मामला बड़ौदा तहसील के नागर गांवड़ा गांव का है. यहां एक महिला को पहले से ही 5 बेटियां हैं. उसने बेटे की चाहत में 6वीं औलाद को जब जन्म दिया तो वह भी बेटी ही निकली. गर्भ से निकलते ही मां ने उससे मुंह फेर लिया. पिछले एक महीने से मां का दूध न पीने की वजह से मासूम को खून की कमी हो गई. उसकी स्थिति इतनी दयनीय हो गई कि वह कुपोषण के दायरे में आ गई.
समझाने पर भी मां ने किया साफ इनकार
मामले की जानकारी मिलने ही क्षेत्र की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने महिला को समझाया, तब भी महिला ने बेटी को स्तनपान कराने से साफ-साफ इनकार कर दिया. कार्यकर्ता बच्ची को न्यूट्रीशन रिहेबिलिटेशन सेंटर (NRC) ले आई. यहां उसे खून की जरूरत पड़ी तो महिला ने इससे भी मना कर दिया. इस दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की बेटी ने रक्तदान कर मासूम की जान बचाई.दर्द की कहानी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की जुबानी
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता नीरू राठौर ने बताया- जब मुझे इस बात का पता चला कि गांवड़ा गांव में सुरेश बैरवा की पत्नी रामपति की 5 माह की बेटी प्रिया अतिकुपोषित की श्रेणी में आ गई है, तो मैं तुरंत उसके घर पहुंची. मुझे बताया गया कि रामपति की पहले से ही पांच बेटियां हैं. बेटे की आस में छठवीं संतान की तो वह भी बेटी हुई. रामपति ने 4 महीने तक तो बेटी को स्तनपान कराया. लेकिन, करीब 1 महीने पहले स्तनपान कराना बंद कर दिया. वह बेटी को चम्मच आदि से दूध पिलाने लगी. इस वजह से प्रिया कमजोर होकर बीमार हो गई.
बेहद कमजोर हो गई थी मासूम
नीरू राठौर के मुताबिक, मां से जब बेटी को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए कहा तब भी उसने मना कर दिया. कार्यकर्ता ने परियोजना अधिकारी जितेंद्र तिवारी को इसकी जानकारी दी. तिवारी मौके पर गए और स्वजनों को समझाइश देकर प्रिया को अस्पताल में भर्ती कराया. जांच में प्रिया का वजन 3.5 किलो और हिमोग्लाबिन 3.2 प्वाइंट मिला. प्रिया के अधिक कमजोर होने के कारण उसे ब्लड चढ़ाने की जरूरत पड़ी.
मां ने कहा- किसी कीमत पर नहीं दूंगी खून
डॉक्टरों ने रामपति से ब्लड देने के लिए कहा तो उसे मना कर दिया. महिला ने कहा कि वह उसे खून किसी भी कीमत पर नहीं देगी. उसने प्रिया को दूध पिलाना भी इसी वजह बंद कर दिया. महिला द्वारा बेटी को खून देने से मना करने पर विभाग के अधिकारियों ने स्टाफ से ही खून का इंतजाम करने के लिए कहा. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता छोटी बाई वैष्णव की बेटी मोनिका ने प्रिया की जान बचाने के लिए स्वेच्छा से रक्तदान किया. ब्लड चढ़ने के बाद प्रिया की हालत में काफी सुधार है.
6 महीने तक मां का दूध जरूरी
महिला बाल विकास विभाग के सीडीपीओ जितेंद्र तिवारी का कहना है कि हमारी कार्यकर्ता द्वारा कुछ दिन पहले जानकारी मिली थी कि एक मां अपनी बेटी को अपना दूध नहीं पिलाती है, जबकि बच्चे को 6 माह तक मां का दूध पीना अनिवार्य है. ऐसे में हमारे द्वारा कार्यकर्ता से कहा गया कि समझा दीजिए और बच्ची को दूध पिलाईए लेकिन इसके बाद भी कोई असर देखने को नहीं मिला. बच्ची की हालत गंभीर हो गई. जिसे देखते हुए हमने बच्ची को कार्यकर्ता द्वारा श्योपुर जिला अस्पताल में भर्ती कराया. आज बच्ची स्वस्थ है.