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छतरपुर18 घंटे पहले
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- अंगरोठा गांव में 107 मीटर लंबी नहर को बचाने में महिलाओं ने पाई सफलता
अल्पवर्षा और लगातार गिरते भूजल स्तर के कारण बुंदेलखंड को भीषण पेयजल संकट का सामना करना पड़े रहा है। कई इलाकों में तो भूजल स्तर गिरकर 55 मीटर तक नीचे चला गया है। ऐसे हालात में क्षेत्र की महिलाएं आगे आकर सूख रहे बुंदेलखंड की गोद को पानी से भरने का प्रयास कर रही हैं।
छतरपुर-टीकमगढ़ के 54 गांवों में 1140 जल सहेलियों ने अब तक 50 से ज्याता छोटे तालाब बनाए हैं। 5000 पौधे रोपे, और बछेड़ी नदी, कुजान नदी को नया जीवन दिया। महिलाएं टूट चुके प्राचीन तालाब और लुप्त हो चुकी नदियों को फिर से जिंदा करने का सफल अभियान चला रही हैं। महिलाओं के ऐसे ही समूह उप्र के ललितपुर और झांसी जिलों में भी जलाशयों को संवारने के मिशन में जुटे हैं। इन महिलाओं को अब नया नाम जल सहेली मिल गया है।
नदी बचाने 22 किलोमीटर इलाके में रोपे पौधे
अभियान से जुड़े मानवेंद सिंह बताते हैं कि जल सहेलियों ने बड़ामलहरा की बछेड़ी नदी को नया जीवन दिया। यह नदी पूरी तरह सूख चुकी थी। अंगरोठा गांव में 107 मीटर लंबी नहर बनाकर सूख चुकी झील को भरने से भरने में महिलाओं ने सफलता हासिल की है। नदी के पास पौध रोपण का अभियान भी चलाया जा रहा है। बछेड़ी नदी 22 किलोमीटर इलाके में बहती है इस इलाके में पिछले दो सालों में 2500 पौधों का रोपण किया जा चुका है।
इस अभियान में सरकार से नहीं ले रही कोई मदद
महिलाओं की ओर से जलाशयों को संवारने के लिए चलाए जा रहे इस अभियान में सरकार का कोई आर्थिक सहयोग नहीं है। महिलाएं श्रमदान से ही सारा काम कर रही हैं। महिलाओं से प्रेरित होकर कुछ किसान भी तालाबों की मिट्टी निकालकर अपने खेतों में डालते हैं इससे तालाब गहरे हो जाते हैं किसानों को उपजाऊ मिट्टी मिल जाती है।