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- The Couple From Malta Adopted Two Sisters Of Satna’s Maternal Uncle; TB Was Snatched Away By Parents, Herself Also Remained Ill For Nine Months
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सतना8 मिनट पहले
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टीबी से माता-पिता की हुई थी मौत। खुद भी रहीं बीमार, अब जाएंगी माल्टा।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर दो बहनों को जिंदगी भर की खुशी का तोहफा मिला है। दोनों के सिर से माता-पिता का साया छीन गया था। वे सतना के मातृछाया में रह रही थीं। लेकिन अब वे सात समंदर पार के लिए उड़ान भर रही हैं। उन्हें माल्टा देश में रहने वाले दंपती ने गोद लिया है। सोमवार को कोर्ट के आदेश के बाद एडॉप्शन की प्रक्रिया पूरी की गई। दोनों बहने सतना जिले की उचेहरा के पथरहटा गांव की हैं।
निशा (6) और ढाई साल की मनीषा सगी बहने हें। दोनों की दर्दभरी कहानी की शुरुआत दो साल पहले हुई थी। पहले पिता शिवप्रसाद चौधरी को टीबी ने निगल लिया। इसके कुछ दिन बाद मां की मौत टीबी से ही हो गई। अनाथ होने के बाद उनकी तकलीफें और बढ़ गई। दोनों टीबी से ग्रसित हो गई। नौ माह इलाज चलने के बाद वह पूरी तरह से सही हो पाईं। बहनों को अक्टूबर 2019 में सतना के उतैली स्थित मातृछाया में लाया गया।
यूरोप के माल्टा निवासी क्लेवन चेचिया व डेनिला चेचिया दो बच्चियों को गोद लेने के लिए आवेदन किया गया था। इसके बाद निशा और मनीषा को इसके लिए चुना गया। दोनों बहनों को गोद लेने के लिए सोमवार को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर पति और पत्नी सतना पहुंचे। यहां कोर्ट में अंतिम प्रकिया पूरी की। इसके बाद मातृछाया पहुंचकर दोनों को अपने साथ माल्टा ले जाने के लिए जबलपुर रवाना हो गए। जबलपुर से वे फ्लाइट पकड़कर वे दिल्ली जाएंगे। वहां से अपने देश माल्टा जाएंगे।
119 बच्चों को मिली गोद, 7 को विदेश में सेवा भारती के अध्यक्ष प्रदीप सक्सेना ने बताया कि वर्ष 2010 से अब तक संस्था में 163 बच्चे आए हैं। इनमें से 119 को मां-पिता की गोद मिली। पूर्व में 3 बच्चों को विदेशी मां-पिता मिले हैं। दो लड़कियां अमेरिका व एक लड़का स्पेन में रह रहा है। निशा और मनीषा के बाद और दो बच्चाें विदेश दंपती गोद लेने आने वाले हैं। मातृछाया में अभी 13 बच्चे हैं, जिनको गोद लेने के लिए 53 दंपती ने आवेदन किया है।