ICAI भोपाल ब्रांच की पहली चेयरपर्सन: पहले क्लाइंट कहते थे- मैडम, आपको काम आता भी है या नहीं; आज कई कंपनियों की वेल्थ मैनेज करती हैं CA सुनीता बाहेती

ICAI भोपाल ब्रांच की पहली चेयरपर्सन: पहले क्लाइंट कहते थे- मैडम, आपको काम आता भी है या नहीं; आज कई कंपनियों की वेल्थ मैनेज करती हैं CA सुनीता बाहेती



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भोपाल10 मिनट पहलेलेखक: राजेश गाबा

सुनीता के घर में चार चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं।

  • सेंट्रल इंडिया चार्टर्ड अकाउंटेंट स्टूडेंट्स एसोसिएशन की प्रदेश में पहली वाइस चेयरपर्सन भी बनीं

घर का बजट संभालने वाली महिलाएं देश और कंपनी के बजट को संभालने में कम ही आगे आती हैं। आंकड़ों के मुताबिक, प्रदेश में महज 29.42 फीसदी ही महिला CA हैं। वहीं, भोपाल में एक ऐसी महिला भी है, जो प्रदेश की पहली सेंट्रल इंडिया चार्टर्ड अकाउंटेंट स्टूडेंट्स एसोसिएशन (सिकासा) की सेक्रेटरी, वाइस चेयरपर्सन और फिर चेयरपर्सन बनीं। वे भोपाल की आईसीएआई ब्रांच की पहली महिला चेयरपर्सन भी रह चुकी हैं। हम बात कर रहे हैं सुनीता बाहेती की। CA फैमिली से ताल्लुक रखने वाली सुनीता के परिवार में चार चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं।

सुनीता ने साइंस स्ट्रीम लेकर प्रदेश में टॉप किया है। उन्हें तत्कालीन शिक्षामंत्री ने सम्मानित किया था। इसके बाद पिता के कहने पर कॉमर्स स्ट्रीम में ग्रेजुएशन किया। इसमें भी यूनिवर्सिटी में टॉप किया। परिवार में ससुर रमेशचंद्र बाहेती भी CA थे। पति, देवर और देवरानी भी चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं।

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सुनीता बताती हैं कि पिता जीएल भंडारी इनकम टैक्स में ऑफिसर रहे थे। वे भी चाहते थे कि मेरे बच्चे सीए बनें। बीकॉम के बाद मुंबई जाकर आर्टिकलशिप की। इसमें 25 स्टूडेंट्स में से केवल दो लड़कियां ही थीं। 22 साल की उम्र में 1992 में CA बन गई थीं। शादी भोपाल में तय हुई।

गिनी-चुनी ही महिलाएं थीं इस पेशे में
मैं 1995 में बतौर CA पारिवारिक फर्म से जुड़ी। जब क्लाइंट को डील करती थी तो लोग पूछते थे कि मैडम आपको ये काम आता भी है, आप टाइम निकाल पाएंगी। मैं भी उन्हें कहती थी कि मैंने भी सीए बनने के लिए उतनी ही मेहनत की है, जितनी पुरुष ने की है, इसलिए काबिलियत पर शक मत करो। आज अनीता नामी कंपनियों की वेल्थ मैनेज करती हैं।

प्रदेश की पहली महिला चेयरपर्सन बनीं
सुनीता बाहेती के मुताबिक, ‘मैं सेंट्रल इंडिया चार्टर्ड अकाउंटेंट स्टूडेंट्स एसोसिएशन (सिकासा) की सेक्रेट्री, वाइस चेयरपर्सन और चेयरपर्सन बनी। इसके बाद इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया की भोपाल ब्राॅन्च में चेयरपर्सन बनने वाली पहली महिला थीं। इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया की भोपाल ब्रांच में मेरे से पहले मेरे हसबैंड चेयरमैन बने। उसके बाद मैं रोटरी क्लब ऑफ प्रोफेशनल भोपाल की चेयरपर्सन बनी।’

ओरिएंटेशन के लिए आउटसोर्सिंग खत्म की
सुनीता बताती हैं कि जब मैं महिला चेयरपर्सन बनी, तो लोगों को लगा कि यह क्या काम कर पाएगी। तब मैंने निर्णय लिया कि मैं पर्सनल लाइफ, प्रोफेशनल लाइफ को बैलेंस करूंगी। ज्वाॅइनिंग के एक दिन बाद ही सालभर का मैप बना लिया कि मुझे क्या करना है। मैंने देखा, सीए स्टूडेंट्स के ओरिएंटेशन की ट्रेनिंग के लिए हम आउटसोर्स करते हैं। मैंने किराए पर बिल्डिंग लेकर खुद के 40 कम्प्यूटर और एक्सपर्ट तैयार किए। इससे खर्च बचा और स्टूडेंट्स को ओरिएंटेशन आसानी से मिलने लगा।

महिलाओं को मिले स्पेस और ऑनर
सुनीता का कहना है कि फीमेल को फाइनेंशियली स्ट्रांग होने के साथ घर में और बाहर स्पेस मिलना चाहिए, क्योंकि वह जो पूरा घर का काम और मैनेजमेंट संभालती है, वह भी पूरी इंडस्ट्री है। इसे भी पहचान मिलना, सम्मान मिलना जरूरी है।

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