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जबलपुरएक घंटा पहले
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- एक सप्ताह में हाे गईं 1050 रजिस्ट्रियाँ, 7 करोड़ से ज्यादा की हुई आय
प्राॅपर्टी के रेट बढ़ने से पहले ही रजिस्ट्री कराने वालों की संख्या भी बढ़ गई। हर दिन पंजीयन विभाग में डेढ़ सौ से ज्यादा रजिस्ट्रियाँ हाे रही हैं। पंजीयन विभाग में लोगों की भीड़ लग रही है। रजिस्ट्री की संख्या बढ़ने की एक वजह यह भी है कि 1 अप्रैल से नई कलेक्टर गाइडलाइन लागू हाे जायेगी।
गाइडलाइन का जो प्रस्ताव तैयार किया गया है उसमें जिले में 20 से 30 फीसदी तक प्राॅपर्टी के रेट बढ़ाने की तैयारी है। गाइडलाइन बढ़ने से उस क्षेत्र के जमीन के रेट तो बढ़ ही जायेंगे रजिस्ट्री कराना भी महँगा पड़ेगा। पंजीयन विभाग में मार्च के पहले सप्ताह की ही बात करें तो 6 दिन में 1050 से ज्यादा रजिस्ट्रियाँ हुई हैं, जिससे अभी तक 7 करोड़ से ज्यादा की आय विभाग को हो चुकी है।
384 करोड़ का है टारगेट
पंजीयन विभाग को इस बार 384 करोड़ की राजस्व वसूली का लक्ष्य दिया गया है। अभी तक 265 करोड़ रुपये की आय हुई है। वहीं पिछले 6 दिनों में कलेक्ट्रेट स्थित पंजीयन कार्यालय में 436 रजिस्ट्रियाँ हुई हैं जिनसे 3 करोड़ 6 लाख की आय हुई है।
इसी तरह अंधुआ स्थित पंजीयन दफ्तर में 639 रजिस्ट्रियाँ हुई हैं जिनसे 4 करोड़ 23 लाख की आय हुई है। वहीं पिछले वर्ष मार्च माह के पहले सप्ताह में 8 सौ के लगभग रजिस्ट्रियाँ हुई थीं और आय लगभग साढ़े 4 करोड़ के आसपास हुई थी। इसी तरह पिछले साल 307 करोड़ की ही राजस्व वसूली हो पाई थी।
गाइडलाइन न बढ़ाने पर भी हो रहा विचार
जानकारों का कहना है कि भले ही पूरे प्रदेश में नई गाइडलाइन का प्रस्ताव तैयार हो रहा है लेकिन हो सकता है कि गाइडलाइन पुरानी ही लागू रहे। आगामी चुनावों को देखते हुए और जनता को राहत देने गाइडलाइन को जस का तस रखने की संभावना जताई जा रही है। हालाँकि यह आने वाले दिनों में ही स्पष्ट हो पायेगा।
स्टाम्प शुल्क घटाकर दे सकते हैं राहत
प्रदेश में रजिस्ट्री कराने पर सबसे ज्यादा स्टाम्प शुल्क साढ़े 12 प्रतिशत चुकाना पड़ता है। गाइडलाइन अगर बढ़ाई जाती है तो सरकार स्टाम्प शुल्क कम करके जनता को राहत दे सकती है। इस दिशा में विचार किया जा सकता है।
- नई गाइडलाइन के लिये पूरे प्रदेश में प्रस्ताव बनाया गया है। पंजीयन विभाग के अधिकारी इसकी तैयारी में जुटे हैं। गाइडलाइन को लेकर जल्द ही निर्णय लिया जायेगा। िफलहाल तो बैठक और वीसी के माध्यम से चर्चा हुई है। – सुखवीर सिंह, आईजी पंजीयन विभाग