फिसड्डी जिला अस्पताल: अस्पताल और ब्लड बैंक के जीर्ण-शीर्ण भवन व गंदगी का मिला नतीजा

फिसड्डी जिला अस्पताल: अस्पताल और ब्लड बैंक के जीर्ण-शीर्ण भवन व गंदगी का मिला नतीजा


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रतलामएक घंटा पहले

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  • कायाकल्प में इस साल हम प्रदेश में 11वें, तीन साल से लगातार पिछड़ रहे
  • 2018-19 में तीसरे और 2019-20 में रहे थे 8वें नंबर पर, पहले नंबर पर रहते तो मिलते 50 लाख रुपए

हमारे जिला अस्पताल की हालत खराब होती जा रही है। भवन जीर्ण-शीर्ण है, सुविधाएं आगे नहीं बढ़ रही, वहीं, वार्डों में भीड़ है, गंदगी आसानी से देखी जा सकती है, पानी की परेशानी का सामना आए दिन करना पड़ता है, इन्हीं सब का परिणाम सोमवार को सामने आया है।

कायाकल्प में जिला अस्पताल प्रदेश में 11वें नंबर पर रहा है। यह स्तर इसलिए पीड़ा देता है क्याेंकि… 2018-19 में हम तीसरे नंबर पर रहे थे। यदि मेहनत कर अच्छा मुकाम हासिल करते तो दूसरे नंबर पर 20 लाख और पहले नंबर पर 50 लाख रुपए मिलते, यह सुविधाओं को बढ़ाने में काम आते।

कायाकल्प का परिणाम सोमवार को सामने आया। टीम ने आखिरी बार 5 फरवरी को निरीक्षण किया था, अस्पताल की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के बावजूद टीम को शौचालय में गंदगी, इमरजेंसी वार्ड के बंद नल सहित अन्य कमियां मिली थीं। परीक्षा में रतलाम 11वें नंबर पर रहा है। हालांकि, अभी हमें सराहना के तौर पर 3 लाख रुपए का अवाॅर्ड दिया गया है।

डिटेल के बाद स्पष्ट होगा कारण

प्रभारी कायाकल्प डॉ. रजत दुबे ने बताया हमारा नंबर 11वां रहा है। हम किस कारण पिछड़े हैं, यह डिटेल मिलने के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा। अभी अवाॅर्ड की सूची जारी हुई है।

मुख्य सचिव ने कहा था – साफ सफाई पर विशेष ध्यान दो

2018-19 में रतलाम को 88.5 फीसदी अंक मिले थे। हम प्रदेश में तीसरे नंबर पर रहे थे। इसी के बाद 2019-20 में 83.3 अंक के साथ प्रदेश में 8वें नंबर पर आ गए थे। प्रदेश के टॉप-10 अस्पतालों में शामिल होने के कारण मुख्य सचिव एसआर मोहंती ने कहा था कि डॉक्टर और नर्सों का समय प्रबंधन, साफ सफाई, दवा की उपलब्धता पर विशेष ध्यान होगा।

इन कामों के अधूरे होने से बड़ा नुकसान, ये हो जाएं तो सुधरेंगे हालात

1. भवन : अस्पताल का भवन जर्जर है। इसके जीर्णोद्धार की कवायद चार साल से चल रही है। अब मामला आगे बढ़ा है, नक्शा बन चुका है, लेकिन काम अभी भी शुरू नहीं हुआ। टीम आने से पहले गिरे हुए प्लास्टर को सुधारकर व पुताई कर प्रभावित करते हैं।

2. सीटी स्कैन : जिला अस्पताल में सीटी स्कैन मशीन नहीं है। 2017 में पीपीपी मोड पर अस्पताल में सीटी स्कैन मशीन लगाने की सरकार ने तैयारी की थी। लेकिन, प्राेजेक्ट आगे नहीं बढ़ा। अब भी काम सिर्फ कागजों में ही है। जिम्मेदार इस साल सीटी स्कैन मशीन लगने की बात कह रहे हैं।

3. ई-हॉस्पिटल : जिला अस्पताल पूरी तरह पेपरलेस नहीं है। ई-हॉस्पिटल का काम 2018 से चल रहा है, लेकिन अब तक पूरा नहीं हुआ है। अब नई लैब को ई-लैब से जोड़ने की बात कही जा रही है। यदि ये काम पूरा होता है तो मरीजों को फायदा होगा।

4. ब्लड बैंक : ब्लड बैंक का भवन जर्जर होने से इसकी शिफ्टिंग के लिए टीम पहले भी कह चुकी है। चार साल से शिफ्टिंग की कवायद कागजों में ही हो रही है। 2016 से 35 लाख 80 हजार से ब्लड कंपोनेंट यूनिट की मशीनें आ गई थीं लेकिन बंद रखी हैं। ब्लड एफेरेसिस मशीन को इंदौर भेज दिया है।

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