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बुरहानपुर11 घंटे पहले
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रीछ ने हमला कर नानेश्वर की का सिर, आंख, चेहरा नोच लिया, हाथ पर बुरी तरह कांटा।
सोमवार शाम 4.30 बजे। चिडि़यामाल-पीपरी का घना जंगल। भांय-भांय करते जंगल में हवा चलने से सिर्फ पत्तों के सरसराने की आवाज आ रही थी। मैं कंधे पर किराना सामान रख जंगल के रास्ते घर लौट रहा था। नाले में अचानक मेरे सामने रीछ आ गया। मैं कुछ समझ पाता इससे पहले उसने हमला कर मुझे दबोच लिया। घने जंगल में मुझे बचाने वाला कोई नहीं था। मैंने हिम्मत नहीं हारी। 10 मिनट तक उससे जूझता रहा। मैंने उसके चेहरे पर इतने मुक्के मारे कि उसका एक दांत तोड़ दिया। लेकिन करीब छह फीट का रीछ भारी-भरकम और ताकतवर था। झाडि़यों के कारण मैं जमीन पर गिर पड़ा। मौका देख रीछ ने मेरा चेहरा, सिर और आंख नोंच ली।
हाथ पर बुरी तरह काटा। मैं बेसुध हो गया तो उसने मुझे मरा समझ लिया और छोड़कर जंगल के रास्ते चला गया। घावों पर गमछा बांधकर मैं चार किमी पैदल चल जैसे-तैसे घर पहुंचा। इसके बाद परिजन ने मुझे जिला अस्पताल पहुंचाया।
जिला अस्पताल में भर्ती चिडि़यामाल निवासी 25 वर्षीय नानेश्वर पिता नारसिंह ने यह आपबीती सुनाई तो सभी ने उसकी हिम्मत की दाद दी। नानेश्वर ने बताया मैं किराना सामान लेने पीपरी गया था। वहां से सामान लेकर जंगल के रास्ते लौट रहा था। नाले के रास्ते में रीछ ने मुझ पर हमला कर दिया। किराना सामान साथ में होने और जंगल घना होने के कारण मैं भाग भी नहीं सकता था। बचने का बस एक ही रास्ता था, रीछ का सामना करूं। फिर कुछ सोचा नहीं और उससे भिड़ गया।
मेरे गिरते ही वह मुझ पर हावी हो गया और बुरी तरह नोंच लिया। बचने के लिए बायां हाथ उठाया तो इस पर काट लिया। गनीमत रही कि मेरे बेसुध होते ही उसने मुझे मरा समझ लिया। नहीं तो जान बचना मुश्किल थी। कुछ देर बाद मैं उठा। बहता खून रोकने के लिए गमछा बांध लिया। रास्ते में तालाब से पानी पीया और चार किमी पैदल चल शाम को घर पहुंचा।
गर्मी के मौसम में बढ़ जाते हैं रीछ के हमले
जिले के खकनार क्षेत्र में गर्मी शुरू होते ही रीछ के हमले बढ़ जाते हैं। यह क्षेत्र मेलघाट टाइगर रिजर्व से लगा हुआ है। यहां रीछ काफी तादाद में हैं। पिछले साल दांतपहाड़ी और आसपास के जंगल में मादा रीछ ने आधा दर्जन लोगों को हमला कर घायल किया था। इनमें से एक महिला की मौत भी हो गई थी।