भोपाल तालाब के पानी में विष घोल रहे हैं अस्पताल और कालोनियों के सीवेज, खेतों से आने वाला रसायन भी खतरनाक.
भोपाल शहर की मुख्य पहचान बने ऐतिहासिक तालाब के पानी को आसपास कॉलोनियों के सीवेज ने खराब कर दिया है. अस्पताल, नर्सिंग होम, सर्विस स्टेशन का गंदा पानी इसे दूषित बना रहा है.
यह तालाब इतना बड़ा है कि प्रदेश के दो जिलों में इसका फैलाव है. भोपाल और उसके पड़ोसी जिले सीहोर में इसके किनारे पर कई एकड़ के खेत हैं, जिनका सिंचाई का पूरा दारोमदार इसी बड़ी झील (अपर लेक) पर ही आधारित है. इससे एक बड़े क्षेत्र में जलस्तर बनाए रखने में मदद मिलती है. सीहोर जिले में इसका जल ग्रहण क्षेत्र और भोपाल जिले में खासकर एफटीएल (फुल टैंक लेवल) है.
भोपाल के लोगों को यह झील प्राकृतिक खूबसूरती के साथ पीने का पानी भी देती है, इसलिये यहां के लोगों का इससे भावनात्मक जुड़ाव है. पर सीहोर जिले के ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के साथ ऐसा नहीं है. वे लोग तालाब के लिये अपनी खेती और मकान निर्माण को छोड़ नहीं सकते. पूरा जल ग्रहण क्षेत्र सीहोर जिले में ही फैला है. वहां के खेतों से रसायन तालाब में आ रहे हैं. यहां कई स्थानों पर जलग्रहण और प्रवाह क्षेत्र में भराव करके पक्के निर्माण कर लिये गए हैं. पानी का रास्ता रोक दिया गया है.
भोपाल के बड़े तालाब की बर्बादी के लिये नगर निगम के अफसर जिम्मेदार हैं. वेट लैंड रूल 2017 के नियमों की अनदेखी नगर निगम झील संरक्षण बोर्ड कर रहा है. तालाब में जहरीले गंदे पानी के मिलने से तालाब की बायोडायवर्सिटी पर भी फर्क पड़ेगा.यह बायो डाइवर्सिटी एक्ट का भी उलंघन है. यह झील वन विहार से लगी हुई है. प्रवासी पाक्षियों का प्रजनन भी इस वेटलैंड मे हो रहा है. इस दूषित जहरीले पानी से जलीय जीव और उनके अंडे एवं बच्चों की जान पर भी संकट है . साथ ही यह वाइल्ड लाइफ एक्ट का भी उलंघन है.भोपाल स्थित रामसर साइट भोज वेटलैंड के आसपास 50 से ज्यादा मैरिज गार्डन एवं सेलेब्रेशन पॉइंट बना दिए गए हैं. झील के करीब रामसर साइट भोज वेटलैंड के एफटीएल सीमा के अंदर सैर सपाटा भी है. यह मध्यप्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम द्वारा संचालित किया जाता है. यहां पर विवाह पार्क एवं सेलिब्रेशन पॉइंट के रूप में विकसित कर बुकिंग भी प्रारंभ कर दी गयी है. .इसके बनने से भोज वेटलैंड की बायो डायवर्सिटी एवं जल जीव ,फौना फ्लोरा का बहुत नुकसान हो जाएगा.