तेंदुए की दहशत के वो 23 घंटे: इलाके में दहशत अभी भी कायम, लोग घरों से निकलने में डर रहे, पकड़ा गया तेंदुआ

तेंदुए की दहशत के वो 23 घंटे: इलाके में दहशत अभी भी कायम, लोग घरों से निकलने में डर रहे, पकड़ा गया तेंदुआ


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इंदौर7 घंटे पहले

फॉरेस्ट कर्मचारी राकेश यादव

  • खंडवा रोड पर रहवासी क्षेत्र में घुसे तेंदुए को टीम ने पकड़ा
  • रेस्क्यू टीम ने कहा- सटीक प्लानिंग से मिली सफलता

इंदौर स्थित रालामंडल सेंचुरी से निकला तेंदुआ बुधवार रात लिंबोदी स्थित रहवासी क्षेत्र में घुसे तेंदुए को भले ही पकड़ लिया गया हो, लेकिन इलाके में दहशत अभी भी कायम है। डर के मारे लोग घरों से नहीं निकल रहे हैं। वन विभाग और प्राणी संग्रहालय की टीम ने 23 घंटे की मेहनत के बाद तेंदुए का रेस्क्यू कर लिया है। इस दौरान रेस्क्यू टीम मौके पर डटी रही। रेस्क्यू करने वाले चिड़ियाघर प्रभारी और डॉक्टर उत्तम यादव और वन विभाग की टीम ने भास्कर ने बातचीत की।

सवाल: 10 मार्च कुछ खास है तेंदुए की शहर में आमद को लेकर?

यह संयोग ही है कि तीसरी बार ऐसा हो रहा, जब 10 मार्च को तेंदुआ शहर में घुसा। नगर निगम का स्वच्छता संरक्षण अभियान चल रहा है। जब-जब शहर में तेंदुए की इंदौर एंट्री हुई। शहर स्वच्छता में नंबर वन आया। इस बार भी पूरी उम्मीद है कि इस बार हम नंबर वन आएंगे। दहशत के 23 घंटे लाठियों और ट्रैंकुलाइजर गन से 3 लेयर में जालियां डालकर तेंदुए को पकड़ा।

बता दें कि 10 मार्च 2018 एयरपोर्ट इलाके के पास पल्लर नगर इलाके में तेंदुआ घुस गया था। यहां करीब 3 घंटे तक तेंदुए की दहशत रही थी। उस समय तेंदुए ने दो वन्य कर्मचारी और दो रहवासियों को घायल किया था। इसके बाद 24 जनवरी 2017 बाणगंगा इलाके में बंद बड़ी फैक्टरी के अंदर तेंदुआ दिखाई दिया था। दोनों ही बार शहर स्वच्छता में नंबर वन आया था।

प्रभारी उत्तम यादव तेंदुए को ट्रैंकुलाइज करते हुए।

सवाल: किस तरह से टीम तैयार की
लोगों ने तेंदुए को देख फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को सूचना दी। इसके बाद टीम मौके पर पहुंची। 10 मार्च की रात झाबुआ फाॅर्म पर ऑपरेशन चलाया था, लेकिन गेहूं के खेत होने से सफलता नहीं मिल पाई। तेंदुए ने चार बार अटैक भी किया था। वहां पिंजरा भी लगा दिया था। दो गाड़ियां लगी थीं, लेकिन सफलता नहीं मिल पाई। बकरी भी लगाई, लेकिन वह पकड़ में नहीं आया। सुबह पता चला कि तेंदुए की लोकेशन लिम्बोदी गांव है। यहां उसने बच्चों और महिला पर अटैक किया है। यहां से वह निर्माणाधीन मकान में घुस गया। यदि यहां से तेंदुआ बाहर निकलता, तो जनहानि का भी खतरा था।

प्लानिंग में आई थी दिक्कत
हमारी प्लानिंग थी कि तेंदुए को बाहर निकलने के बजाय यहीं पकड़ लिया जाए। इसके बाद 3 लेयर की नेट लगाई गई। वह बार-बार हमला भी कर रहा था। 10 लोगों की टीम ने नेट को टाइट किया। उसने जाली के अंदर से हमला किया। हमने 10 फीट की लकड़ियां ले रखी थीं, जिससे जाल को दबा दिया गया था। काफी अटैक करने के बाद जब तेंदुआ थोड़ा आराम करने लगा, तो उसे ट्रैंकुलाइज कर दिया। 15 मिनट बाद जब वह बेहोश हो गया, तो उसे पकड़ लिया गया। उसे अभी जू ले जाया गया है।

काफी मशक्कत के बाद तेंदुए को पकड़ लिया गया। उसे पिंजरे में डाला गया।

काफी मशक्कत के बाद तेंदुए को पकड़ लिया गया। उसे पिंजरे में डाला गया।

सवाल: मन में किस प्रकार का डर था?
जंगली जानवरों के साथ डर कर काम करेंगे, तो काम नहीं कर सकते। रिस्क लेना पड़ती है। 5 लोगों की टीम थी। हम 24 घंटे से तेंदुए पर नजर रखे हुए थे। कोशिश थी कि कोई जनहानि न हो। रेस्क्यू ऑपरेशन में डर तो रहता ही है। जंगली जानवर के साथ ही भीड़ को भी खतरा रहता है।

ऑपरेशन में उत्तम यादव, राकेश यादव, वाजिद, बृजेश चौहान, प्रवीण, तोताराम समेत सभी ने काम किया। इसमें राकेश यादव समेत 4 अन्य लोग घायल हुए हैं।

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