मैं विरार का लड़का हूं, गलियाों से आया हूं, जानता हूं कैसे बाउंस बैक करना है: पृथ्वी शॉ

मैं विरार का लड़का हूं, गलियाों से आया हूं, जानता हूं कैसे बाउंस बैक करना है: पृथ्वी शॉ


नई दिल्ली. भारतीय युवा बल्लेबाज पृथ्वी शॉ (Prithvi Shaw) ने 188.5 की औसत से विजय हजारे ट्रॉफी 2021 में 754 रन बनाए हैं. वह इस टूर्नामेंट में इस सीजन में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी हैं. इस टूर्नामेंट का फाइनल मैच रविवार को मुंबई और उत्तर प्रदेश के बीच में खेला जाएगा. ऑस्ट्रेलिया दौरे (India vs Australia) पर एडिलेड टेस्ट में 0 और 4 रन के स्कोर पर आउट होने के बाद उन्हें ड्रॉप कर दिया गया था. ऑस्ट्रेलियाई दौरे से ड्रॉप होने के बाद इंग्लैंड के खिलाफ चार मैचों की टेस्ट सीरीज (India vs England) में भी उन्हें शामिल नहीं किया गया. ऐसे में पृथ्वी शॉ मुंबई के लिए विजय हजारे ट्रॉफी (Vijay Hazare Trophy) में खेलते हुए नजर आए और जमकर रन भी बरसाए. सेमीफाइनल में कर्नाटक के खिलाफ उनकी 165 रन की पारी के दम पर मुंबई ने फाइनल में प्रवेश हासिल किया.

पृथ्वी शॉ ने हाल ही में इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर मिली निराशा, टीम से ड्रॉप होना और विजय हजारे ट्रॉफी में वापस फॉर्म में आने को लेकर कई बातें शेयर कीं. पृथ्वी शॉ ने बताया, ”ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर फ्लॉप होने और ड्रॉप होने पर मैं कंफ्यूज था. मैं अपने आप से पूछ रहा था कि क्या हो रहा है? क्या मेरी बल्लेबाजी के साथ कोई परेशानी है? क्या दिकक्त है? खुद को शांत करने के लिए, मैंने खुद से बात की. मैंने खुद से कहा कि गुलाबी गेंद मैच के दौरान में दुनिया के सबसे शानदार बॉलिंग अटैक के सामने था.

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‘खुद से कहा कि मैं उतना बुरा खिलाड़ी नहीं हूं, जितना मुझे सब कह रहे हैं’उन्होंने आगे कहा कहा, ”सवाल यह था कि मैं आउट क्यों हुआ (पहली पारी में मिचेल स्टार्क और दूसरी पारी में पैट कमिंस के हाथों). मैं आइने के सामने खड़ा हुआ और खुद से कहा कि मैं उतना बुरा खिलाड़ी नहीं हूं, जितना मुझे सब कह रहे हैं.” पृथ्वी ने बताया, ” रवि शास्त्री सर और विक्रम राठौर सर ने मुझे अहसास करवाया कि मैं कहां गलत हूं. मुझे कोई समाधान ढूंढना था. बस नेट पर वापस जाना था और इसे ठीक करना था. बस छोटी सी गलती थी, जो मैं कर रहा था. एडिलेड टेस्ट की दोनों पारियों ने मुझे बुरा बना दिया था. मेरी बैक लिफ्ट वहीं थी, लेकिन मेरा बल्ला मेरे शरीर से थोड़ा नीचे आ रहा था. शुरुआत में यही मुद्दा था. मैं एक निश्चित स्थिति में था. मुझे अपने बल्ले को अपने शरीर के करीब रखने की जरूरत थी, जो मैं नहीं कर रहा था.”

‘जब मैं ड्रॉप हुआ, वह मेरी जिंदगी का सबसे दुखद दिन था’
पृथ्वी शॉ ने बताया कि पहले टेस्ट में खराब परफॉर्मेंस के बाद मुझे ड्रॉप कर दिया गया. मैं बुरी तरह परेशान था. मुझे ऐसा अहसास हुआ जैसे मैं बेकार था हालांकि मैं खुश था कि टीम अच्छा कर रही थी. मैंने खुद से कहा कि मुझे अब कमर कसनी होगी. वैसे भी कहावत है कि मेहनत टैलेंट को भी हरा सकती है. मैंने खुद से कहा कि टैलेंट ठीक है, लेकिन इसकी कोई उपयोगिता नहीं अगर मैं कड़ी मेहनत नहीं करता तो. जब मैं ड्रॉप हुआ, वह मेरी जिंदगी का सबसे दुखद दिन था. मैं अपने मरे में गया और रोने लगा. मुझे लग रहा था कि कुछ गलत हो रहा है. मुझे इसका जवाब जल्दी तलाशना था.

भारत आने के बाद सचिन तेंदुलकर से मिले थे पृथ्वी शॉ

उन्होंने आगे कहा, ”मैंने किसी से बात नहीं की. मेरे पास कॉल्स आ रही थीं, लेकिन मैं उस स्थिति में नहीं था कि लोगों से बात कर सकूं. मेरे दिमाग में बहुत कुछ चल रहा था. दिक्कत यह थी कि मैं आउट हो रहा था और मुझे इस समस्या को जल्दी ठीक करना था. भारत आने के बाद में सचिन तेंदुलकर सर से मिला. उन्होंने मुझे कहा कि बहुत ज्यादा बदलाव की जरूरत नहीं है. सिर्फ शरीर के पास खेल सकते हो खेलो.”

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‘मैं विरार का लड़का हूं. मैं गलियों से आया हूं. मुझे पता है कि कैसे बाउंस बैक करना है’
पृथ्वी शॉ ने आगे कहा कि मैं कभी भी जल्दी हार नहीं मानता. मैं विरार का लड़का हूं. मैं गलियों से आया हूं. मुझे पता है कि कैसे बाउंस बैक करना है. मैंने हमेशा टीम को खुद से ऊपर रखा है. चाहे फिर वो क्लब हो, मुंबई हो या फिर भारत. यदि आप चाहते हैं कि मैं 100 गेंदों में 1 रन बनाऊं, तो मैं कोशिश कर सकता हूं लेकिन वह मैं नहीं हूं. यह मेरा खेल नहीं है. मैं इस तरह से नहीं खेल सकता हूं. मैं कभी भी ऐसी स्थिति में नहीं था जैसे मैं ऑस्ट्रेलिया में था, लेकिन मैंने अब कड़ी मेहनत की है. इसे सुधारने के लिए मैंने नेट्स में घंटों बिताए हैं.

उन्होंने कहा, ”एक बार जब आप टीम से बाहर हो जाते हैं तो प्रदर्शन करने और वापसी करने का दबाव होता है. मैं रन बनाने लिए उत्सुक हूं. मैं बड़े रन बनाना चाहता हूं. क्वार्टरफाइनल के दौरान मुझे पीठ में दर्द हुआ और हमारे फिजियो और टीम प्रबंधन ने मुझे ड्रेसिंग रूम में लौटने को कहा, लेकिन मैंने कहा- नहीं. उन्होंने मुझे दवाई दी और मैं लगातार बल्लेबाजी करता रहा. मेरा फोकस नाबाद रहने पर था. जब मैं बल्लेबाजी कर रहा होता हूं तो मैं बेहतर परिस्थितियों को संभालने की कोशिश करता हूं.”





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