नगरीय निकाय चुनाव 2021: ग्वालियर हाईकोर्ट ने नगरीय निकाय में हुए आरक्षण पर लगाई रोक, बोले- रोटेशन पद्धति का पालन नहीं किया गया

नगरीय निकाय चुनाव 2021: ग्वालियर हाईकोर्ट ने नगरीय निकाय में हुए आरक्षण पर लगाई रोक, बोले- रोटेशन पद्धति का पालन नहीं किया गया


Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप

ग्वालियरएक मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीछ में युगलपीठ ने दिया यह बड़ा फैसला

  • नगरीय निकाय चुनाव 2021 पर बड़ा फैसला
  • महापौर व अध्यक्ष पद के आरक्षण पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक
  • अप्रैल तक शासन को देना है जवाब

नगरीय निकाय चुनाव 2021 पर ग्वालियर हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है। महापौर, नगर पालिका व नगर परिषद अध्यक्ष पदों के लिए किए गए आरक्षण में रोटेशन प्रोसेस का पालन नहीं करने पर आरक्षण पर रोक लगाई है। हाईकोर्ट ने राज्य शासन को अप्रैल तक इस संबंध में जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। इस मामले में अगली सुनवाई अप्रैल 2021 में होगी।

नगरीय निकाय चुनावों की सुगबुगाहट के बीच हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने एक बड़ा फैसला दिया है। अधिवक्ता मानवर्धन सिंह तोमर ने नगरीय निकाय चुनाव के लिए महापौर व अध्यक्ष पर के लिए हुई आरक्षण प्रक्रिया को चुनौती दी थी। अधिवक्ता मानवर्धन की याचिका पर न्यायमूर्ति शील नागू एवं न्यायमूर्ति आनंद पाठक की युगलपीठ ने सुनवाई करते हुए यह आरक्षण पर रोक के आदेश दिए हैं। इस मामले में शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता अंकुर मोदी ने पैरवी करते हुए कहा कि शासन द्वारा इस मामले में विस्तृत जवाब प्रस्तुत किया जाएगा। याचिकाकर्ता अधिवक्ता मानवर्धन सिंह तोमर द्वारा यह याचिका में कहा गया कि नगर निगम में महापौर, नगर पालिका और नगर परिषद में अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण करते समय रोटेशन पद्धति का पालन नहीं किया गया है।

जो पहले से आरक्षित थे फिर आरक्षित कर दिए

याचिकाकर्ता का कहना था कि वर्ष 2014 में जो अध्यक्ष एवं महापौर के पद आरक्षित वर्ग के लिए थे, उन्हें फिर से आरक्षित कर दिया गया है। इससे अन्य वर्ग को अध्यक्ष के पद पर प्रतिनिधित्व से वंचित किया जा रहा है, जो कि संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। याचिकाकर्ता की ओर से उदाहरण देते हुए तर्क किया कि इससे पहले भी इंदरगढ नगर परिषद, दतिया नगर पालिका व डबरा नगर पालिका के अध्यक्ष पद के आरक्षण में रोटेशन पद्धति का पालन नहीं होने पर उच्च न्यायालय द्वारा रोक लगाई जा चुकी है। इस मामले में भी आरक्षण करते समय रोटेशन पद्धति का पालन नहीं किया गया है। इसलिए शासन द्वारा किए गए आरक्षण को निरस्त कर नियमानुसार आरक्षण किए जाने के निर्देश दिए जाएं।

फिलहाल आरक्षण पर रोक लगा दी गई है

इस प्रकरण में अतिरिक्त महाधिवक्ता अंकुर मोदी द्वारा न्यायालय को बताया गया कि अभी तक किसी भी नगरीय निकाय चुनाव की घोषणा नहीं की गई है। इसके बाद न्यायालय ने पाया कि महापौर व नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण करते समय आरक्षण की रोटेशन पद्धति का पालन नहीं किया गया है। इसलिए आरक्षण पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही शासन को अप्रैल तक जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं।

खबरें और भी हैं…



Source link