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- Tata Permission From Lee Corporation, But Still Not Start Work, Construction Of 3 Big Tanks Of City Incomplete
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सागर3 घंटे पहले
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स्वर्ण जयंती सभागार के सामने जहां टंकी बनाना है वह जगह खाली पड़ी।
- डुगडुगी पहाड़ी पर तैयार होने वाला बीपी टैंक का केवल स्ट्रक्चर ही बनाया, पाइप लाइन नहीं बिछाई
शहर में 7 दिन 24 घंटे पानी देने वाली योजना में पाइप लाइन बिछाने में ही लेटलतीफी नहीं कर रही, बल्कि पानी की टंकियों का काम भी अटका हुआ है। जबकि टंकियों के निर्माण के लिए अलग-अलग महीनों में अनुमित जारी की जा चुकी है। उधर, डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के पास तैयार होने वाली पानी की टंकी के लिए विश्वविद्यालय से भी अनुमित मिल गई है। फिर भी कंपनी ने कुछ दिनों के काम करने के बाद उसे बंद कर दिया। डुगडुगी पहाड़ी के बीपी टैंक, मोतीनगर और शनिचरी में पानी की टंकी का काम अभी भी अटका हुआ है।
झरिया माता मंदिर के पास स्वर्ण जंयती सभागार के सामने करीब 12 साल से बंद पड़े हुए ग्राउंड रिजर्व वायर को तोड़ने का काम जुलाई में शुरू किया गया था। जिस गति से काम शुरू किया गया, उसी गति से उसे बंद भी कर दिया। नगर निगम से कंपनी मे डुगडुगी पहाड़ी के बीपी टैंक के लिए 9 माह, राजीवनगर में की टंकी के लिए 37 दिन और शनिचरी में बनने वाले टंकी के डेढ़ महीने पहले परमिशन ली थी। लेकिन किसी भी काम को पूरा करने के लिए टाटा कंपनी ने अपनी दिलचस्पी नहीं दिखाई।
प्रोजेक्ट में यह बनाया जाना है, सभी का काम अधूरा
- बीपी टैंक (बैक प्रेशर टैंक) : स्ट्रक्चर बन गया है, कंपनी को यहां पाइप लाइन बिछाने के लिए काम करना था, लेकिन वह काम अभी तक पूरा नहीं हो पाया।
- विश्वविद्यालय झीरिया माता मंदिर : यहां 3700 किलोलीटर (37 लाख लीटर का टैंक) रिजर्व वायर बनाया जाना है, जो शहर के अन्य ओवरहेड टैंकों से सबसे बड़ा है। यहां पुराना स्ट्रक्चर तोड़ दिया है, लेकिन काम को गति नहीं मिल पा रही है।
- मोतीनगर : यहां 900 किलोलीटर (9 लाख लीटर) क्षमता वाली टंकी का निर्माण होना हैं. लेकिन अतिक्रमण की वजह से कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पाई। जबकि पिछले दिनों इलाके में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई भी की जा चुकी है।
- शनिचरी : यहां 1400 किलोलीटर (1 लाख 40 हजार लीटर) की टंकी बनाई जाना है। लेकिन कंपनी इसका काम भी शुरू नहीं कर पा रही है।
कंपनी से काम का प्रतिवेदन मांगा जा रहा है
^टंकियों के निर्माण न करने को लेकर उन्हें पहले ही हिदायत दी जा चुकी है कि काम में गति लाए। इसके साथ ही उनसे 3 महीनों में किए गए काम का प्रतिवेदन भी मांगा है। अगर अब काम में गति नहीं ला रहे है तो कंपनी पर कार्रवाई की जाएगी।
– आरपी अहिरवार, निगमायुक्त