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जबलपुरएक घंटा पहले
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- अप्रैल माह से नए टैरिफ लागू हुए तो आठ फीसदी तक बढ़ सकते हैं दाम, चार माह में दूसरी बार बढ़ेंगे रेट
जनता पेट्रोल और गैस के महँगे दामों से अभी उभर नहीं पाई है कि आने वाले माह से बिजली के बढ़े दामों का झटका लग सकता है। करंट का झटका भी मामूली नहीं, बल्कि सीधे 7 से 8 फीसदी ज्यादा होगा। जिससे हर किसी के घर का बजट बिगड़ना तय है। हालात अभी भी ऐसे हैं कि कोरोना संक्रमण काल में टूटी आर्थिक स्थिति से जनता संभल नहीं पाई है कि अब बिजली की बढ़ी दर से बिल भुगतान की नौबत आ रही है।
जानकारों का कहना है कि मप्र नियामक आयोग ने अगर पाॅवर मैनेजमेंट कंपनी द्वारा दायर टैरिफ याचिका को मंजूरी प्रदान की तो तीन सौ यूनिट की खपत में सीधे 197 रुपए तक की बढ़ोत्तरी होगी। इससे पूरे कंपनी क्षेत्र में करीब 57 लाख और जबलपुर रीजन के करीब 24 लाख उपभोक्ताओं पर बोझ पड़ेगा। बिजली उपभोक्ताओं को इन चार माह में दूसरी बार बढ़े हुए दामों की मार झेलनी पड़ेगी। इससे पहले दिसंबर में दो फीसदी रेट बढ़ाए गए थे।
कंपनी ने 44 हजार करोड़ रुपए का खर्च बताया
पीएमसी ने तीनों वितरण कंपनियों का खर्च 44 हजार करोड़ रुपए बताया है। जिसमें 2020-21 के लिए कंपनी ने करीब 2 हजार करोड़ रु. का अंतर बताते हुए साढ़े पाँच फीसदी और बढ़ोत्तरी की माँग की थी, मगर कोराेना के चलते आयोग ने उस माँग को दिसंबर में मंजूरी देते हुए केवल 1.98 फीसदी दाम में बढ़ोत्तरी की।
एक्सपर्ट व्यू
बिजली कंपनी के रिटायर्ड एडिशनल सीई राजेंद्र अग्रवाल का मानना है कि बिजली कंपनी ने याचिका में 3611 करोड़ के प्रस्तावित टैरिफ में आय-व्यय की गणना, विभिन्न तरह के खर्च का आकलन गलत तरीके से किया है। वार्षिक राजस्व जरूरत में 2629 करोड़ घाटा बता दिया तो उपभोक्ताओं पर बोझ पड़ेगा।