गड़बड़ी पकड़ी, फिर अकड़ नहीं गई: भिंड कलेक्टर ने पूछा- अनाज का कितना स्टॉक है, जवाब नहीं दे पाए सेल्समैन; कार्रवाई की बात कही तो विरोध में लगाए मुर्दाबाद के नारे

गड़बड़ी पकड़ी, फिर अकड़ नहीं गई: भिंड कलेक्टर ने पूछा- अनाज का कितना स्टॉक है, जवाब नहीं दे पाए सेल्समैन; कार्रवाई की बात कही तो विरोध में लगाए मुर्दाबाद के नारे



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भिंडएक घंटा पहले

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कलेक्टर डॉ सतीश कुमार एस के सवालों का सेल्समैन जवाब नहीं दे पाए। कलेक्टर ने पूछा कि आप लोगों के पास कितना अनाज स्टॉक में है। इस पर सेल्समैन कुछ नहीं बोले। इसके बाद कलेक्टर ने सवाल किया कि अनाज आवंटन कब-कब हुआ। सेल्समैन ने कहा कि बिल नहीं आए हैं। इसलिए जानकारी देने में असमर्थ हैं। इसके बाद कलेक्टर ने फूड डिपार्टमेंट के अफसरों से फोन पर चर्चा की। अधिकारी ने बताया कि बिल सभी को भेजा था। इन्होंने लेने से इनकार कर दिया। इसके बाद कलेक्टर भड़क गए। उन्होंने सेल्समैन की जमकर क्लास ली और कार्रवाई की बात कही। इस पर सेल्समैन नाराज हो गए और बाहर निकलकर कलेक्टर मुर्दाबाद के नारे लगाने लगे।

लॉकडाउन से लेकर अब तक जिलेभर की सहकारी वितरण समितियों खाद्यान्न वितरण में लापरवाही बरत रही हैं। कई जगहों पर समय पर खाद्यान्न नहीं वितरित किया जा रहा है। जब राशन कार्डधारी खाद्यान्न सामग्री लेने जाते है तो खाद्यान्न न आने की बात कहकर चलता कर दिया जाता है। ऐसी ही गड़बड़ी की शिकायतें लंबे समय से कलेक्ट्रेट में पहुंच रही थीं। इसके बाद कलेक्टर ने सहकारी खाद्यान्न वितरण केंद्रों से लेकर समितियों के पदाधिकारियों की बैठक बुलाई।

बैठक में कलेक्टर ने घमूरी प्राथमिक सहकारी वितरण केंद्र के नारायण सिंह पवैया, गोहद के अनिल कौरव, भदाकुर के नरसिंग शर्मा, इटायली के कृष्णपाल को खडे़ करके भंडारण और वितरण की जानकारी ली। इस दौरान इन लोगों ने जानकारी देने में असमर्थता जाहिर की। बिल नहीं मिलने की गलत जानकारी भी दी। इस पर कलेक्टर नाराज हो गए और चारों पर कार्रवाई की बात कही। उन्होंने कहा कि सभी को निलंबित किया जाएगा। इसके बाद बैठक में कलेक्टर का विरोध शुरू हो गया। सेल्समैन बैठक से बाहर निकल आए और नारेबाजी शुरू कर दी।

कर्मचारी महासंघ ने ज्ञापन सौंपकर प्रशाासन पर आराेप लगाया
बैठक के बाद मध्य प्रदेश सहकारिता समिति कर्मचारी महासंघ के बैनर तले खाद्यान्न विक्रेताओं ने अपनी मांगों को रखा। कर्मचारी महासंघ के जिलाध्यक्ष प्रदीप सिंह परमार ने बताया कि प्रशासन द्वारा उचित मूल्य की दुकानों को उपभोक्ताओं के मुताबिक खाद्यान्न नहीं दिया जा रहा है। पिछले चार महीने से लगातार खाद्यान्न में कटौती की जा रही है। इससे खाद्यान्न वितरकों को उपभोक्ताओं के आक्रोश का शिकार होना पड़ रहा है। कोरोना काल में वितरित खाद्यान्न की जानकारी ऑनलाइन अपलोड नहीं की गई, जिससे वह भंडार में होना दर्शा रही है।

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