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इंदौर6 घंटे पहलेलेखक: गौरव शर्मा
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अभी मुंबई, हैदराबाद के लिए ही 5 से साढ़े 6 लाख टैक्स लगता है।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने ट्रेवल्स की गाड़ियों (नौ सीटर से ज्यादा) और ऑल इंडिया परमिट की बसों को राहत दी है। नौ सीटर से लेकर सभी बड़े वाहनों के लिए सालाना परमिट फीस तय कर दी है। अब ऑल इंडिया परमिट की (23 सीटर से अधिक) नॉन एसी बस के लिए दो लाख और एसी बसों के लिए तीन लाख रुपए सालाना परमिट फीस रहेगी। बस ऑपरेटर इसे जमा कर देशभर में कहीं भी गाड़ी का संचालन कर सकते हैं।
बस ऑपरेटर यह टैक्स एक साथ या त्रैमासिक भी जमा कर सकते हैं। हालांकि त्रैमासिक फीस देने पर उन्हें सालाना फीस का 30 फीसदी देना होगा। बस ऑपरेटर एसोसिएशन ऑफ मप्र के सचिव हरि दुबे के अनुसार नए फैसले से हमें 40 फीसदी तक की बचत होगी। अभी यदि इंदौर-मुंबई के बीच बस चल रही है तो ही दोनों राज्यों को बसों का प्रति सीट टैक्स देना होता है, जो सालाना करीब 5.28 लाख रुपए हो जाता है।
वहीं, इंदौर-हैदराबाद के बीच तीन राज्यों को टैक्स देना होता है, जो साढ़े 6 लाख रुपए से ज्यादा का होता है। उन्होंने कहा फैसले से वॉल्वो बस को काफी फायदा होगा, क्योंकि इसकी सिटिंग कैपेसिटी भी ज्यादा है। बस ऑपरेटर कन्फेडरेशन ऑफ इंडिया तीन साल से यह मांग कर रहा था।
टाइम लाइन भी तय : एक महीने में परमिट नहीं तो स्वत: जारी हो जाएगा
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने परमिट जारी करने के लिए टाइम लाइन भी तय कर दी है। यदि किसी वाहन स्वामी ने आवेदन किया और परिवहन प्राधिकरण ने 30 दिन के अंदर कोई निर्णय नहीं लिया तो वह परमिट स्वत: स्वीकृत माना जाएगा। इसे इलेक्ट्रॉनिक पद्धति से तैयार किया जाएगा।
