- Hindi News
- Local
- Mp
- Jabalpur
- In Protest Against Privatization, Work In Government Banks Will Not Be Done On Monday And Tuesday, 800 To One Thousand Crore Transactions Will Be Affected
Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
जबलपुर27 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
सरकारी बैंकों के निजीकरण का विरोध करता यूनाइटेड फोरम बैंक यूनियंस।
- यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस का आरोप RSS के वरिष्ठ सदस्य गोविंदाचार्य की भी नहीं सुन रही सरकार
- फोरम ने भरी हुंकार, केंद्र सरकार की साजिश, हम नहीं होने देंगे कामयाब
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस ने केंद्र सरकार द्वारा सरकारी बैंकों के निजीकरण का विरोध जताया है। इसके विरोध में सोमवार और मंगलवार को बैंकों में हड़ताल रहेगी। इसकी वजह से शहर के 152 बैंकों की विभिन्न शाखाओं में कोई लेन-देन नहीं होगा। बैंकों के बंद होने से आम लोगों को सबसे अधिक परेशानी हो रही है। दूसरा शनिवार और रविवार के चलते वैसे ही दो दिन बैंक बंद रहे। अब हड़ताल लोगों को दोहरी मुसीबत बढ़ाने वाला साबित होगा।
जानकारी के अनुसार यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस जबलपुर इकाई के उप-महासचिव राजेश कुमार कटहल के मुताबिक बैंको के निजीकरण से देश की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा। केंद्र सरकार सरकारी बैंकों को निजी हाथों में सौंपकर पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाना चाह रही है, जिससे ना कि सिर्फ जनता परेशान होगी बल्कि जनता के जो रुपए बैंकों में है, वह भी सुरक्षित नहीं रहेंगे। विश्व के कई देशों के निजी बैंक इसका उदाहरण है, कमोबेश यही हाल भारत के बैंकों का होने वाला है।
RSS के वरिष्ठ सदस्य गोविंदाचार्य की भी नहीं सुन रही सरकार
संघ के उपसचिव राजेश के मुताबिक सरकार ने प्रस्ताव वापस लेने के लिए जब कोई आश्वासन नहीं दिया और वार्ता फेल हो गई ऐसे में आज सोमवार 15 मार्च और 16 मार्च मंगलवार को देश भर के सरकारी बैंक दो दिवसीय हड़ताल पर रहेंगे। जबलपुर में ही 800 से 1000 करोड़ का लेन देन प्रभावित रहेगा। इसके लिए दोषी केंद्र सरकार है। उसकी नीतियों ने हमें सड़काें पर आने को मजबूर कर दिया है।
देश के चार बड़े बैंकों के निजीकरण के लिए प्रस्ताव संसद में हो चुका है पारित
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन की माने तो भारत सरकार द्वारा सरकारी बैंकों के निजीकरण की पहली कड़ी में 4 बैंकों के निजीकरण का प्रस्ताव संसद में पारित किया गया है। इसमें बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र एवं इंडियन ओवरसीज बैंक शामिल हैं। यह चारों बैंक अभी लाभ में चल रहे हैं, इसके बावजूद सरकार द्वारा निजीकरण का प्रस्ताव देना हमें बिल्कुल भी स्वीकार नहीं है।