निजीकरण के विरोध में पूरे देश में बैंकों की दो दिन की हड़ताल है.
Jabalpur-व्यापारिक संगठनों का कहना है बेशक बैंक कर्मचारियों को विरोध करने का पूरा हक है लेकिन विरोध दर्ज कराने के तरीके में बदलाव आना चाहिए.हड़ताल (Strike) इसका उपाय नहीं है.
निजीकरण के विरोध में देश भर में सरकारी बैंको के करीब 10 लाख कर्मचारी हड़ताल कर रहे हैं.सभी सरकारी बैंकों में कामकाज पूरी तरीके से ठप्प पड़ा है.इस वजह से व्यापार जगत बेहद परेशान है. व्यापारिक संगठनों के मुताबिक बैंक हड़ताल होने से व्यापारिक गतिविधियों की रफ्तार में करीब 60 फीसदी की कमी आ गई है.
सीसी लिमिट के कारण सैकड़ों व्यापारियों को काफी नुकसान भी झेलना पड़ा है. एक अनुमान के मुताबिक अगर बात की जाए तो जबलपुर शहर में कुछ इस तरीके से व्यापार प्रभावित हुआ जिसमें
-गल्ला बाजार -50 करोड़-सराफा बाजार -40 करोड़
-ऑटोमोबाइल – 30 करोड़
-सुपरमार्ट, किराना – 50 करोड़
-कॉर्पोरेट, उद्योग एवं अन्य – 60 करोड़ से अधिक का बाजार प्रभावित
-इलेक्ट्रॉनिक 20 से 30 करोड़
विरोध करें हड़ताल नहीं
व्यापारिक संगठनों का कहना है बेशक बैंक कर्मचारियों को उन विरोध करने का पूरा हक है लेकिन विरोध दर्ज कराने के तरीके में बदलाव आना चाहिए. सिर्फ हड़ताल मात्र से ही विरोध दर्ज कराना कोई रास्ता नहीं है क्योंकि इससे व्यापारी और आम जनता बेहद परेशान होती है.