वैराग्य धारण: 13 की उम्र में हुई थी इच्छा, अब 52 में हो रही है पूरी, जिम्मेदारियों से मुक्त मुमुक्षु राजकुमारी दीक्षा पथ पर

वैराग्य धारण: 13 की उम्र में हुई थी इच्छा, अब 52 में हो रही है पूरी, जिम्मेदारियों से मुक्त मुमुक्षु राजकुमारी दीक्षा पथ पर


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रतलाम/बाजना2 घंटे पहले

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  • बाजना की बेटी का निकला वर्षी-दान वरघोड़ा, आचार्य नित्यसेन सुरीश्वर मसा के सान्निध्य में 21 मार्च को लेंगी दीक्षा

जिले के बाजना की बेटी राजकुमारी चंडालिया आचार्य नित्यसेन सुरीश्वर मसा के सान्निध्य में 21 मार्च को दीक्षा ग्रहण करने वाली है। राजस्थान के वाडेली गांव मीरपुर तीर्थ के पास सिरोही व पावापुरी के बीच होने वाली दीक्षा के निमित्त सोमवार को बाजना में वर्षीदान वरघोड़ा निकाला गया। मुमुक्षु राजकुमारी चंडालिया ने 13 साल की उम्र में नागेश्वर तीर्थ (राज) में उपधान तप किया तभी से उनमें दीक्षा लेने के भाव जागृत हो गए थे। पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाते उनकी इच्छा अंदर ही अंदर दबने लगी लेकिन अब अपनी इच्छा के अनुरूप वे दीक्षा ग्रहण करने जा रही हैं।

राजकुमारी चंडालिया का बाजना में 28 फरवरी 1969 में जन्म भंवरलाल व मोहनबाई पालरेचा परिवार में हुआ था। 6 बहन व 5 भाइयों के परिवार में सबसे छोटी राजकुमारी है। 16 साल की उम्र में राजकुमारी की शादी धार जिले के धामनदा निवासी अनाज व्यापारी अभय कुमार चंडालिया से हुआ। विवाह के बाद जिम्मेदारियां बढ़ गईं और चाहते हुए भी दीक्षा की ओर अग्रसर नहीं हो पाईं।

बड़ा बेटा अंकित चडालिया, महावीर चंडालिया व बेटी सीमा गदिया है। इनकी शादी हो चुकी है। दो साल पहले अनाज व्यापारी अभय कुमरा का निधन हो गया। सारी जिम्मेदारियां निभाने के बाद अब राजकुमारी चंडालिया ने दीक्षा लेने का मन बनाया। बेेटा, बेटी, दामाद, भाइयों व बहनों से बात की और अपने मन की इच्छा प्रकट की।

अच्छे कार्य के लिए सभी ने सहयोग करते हुए दीक्षा लेने के लिए हामी भर दी। मुमुक्षु राजकुमारी चंडालिया ने बताया बचपन की इच्छा अब पूरी हो रही है। मन शांत है और परमात्मा से यही विनती है कि वह इस मार्ग पर चलने की शक्ति प्रदान करे।

परिवार के लिए सौभाग्य की बात है
मुमुक्षु राजकुमारी चंडालिया ने कक्षा 9वीं तक पढ़ाई की। उनके निर्णय का परिवार के सभी लोगों ने स्वागत किया। अंकित ने बताया कि मां दीक्षा लेकर संयम मार्ग को अग्रसर हो रही हैं। यह हमारे व परिवार के लिए बड़े सौभाग्य की बात है। मुमुक्षु के भाई पुखराजमल पालरेचा, केसरीमल पालरेचा, हस्तीमल पालरेचा, मुन्नालाल पालरेचा, मगनलाल पालरेचा व बहनों ने बताया कि बहन दीक्षा का मार्ग अपनाने जा रही है। हमारे परिवार में अभी तक इस मार्ग पर नहीं गया है। यह हमारे परिवार के लिए सौभाग्य की बात है।
वरघोड़ा निकाला, जगह-जगह ग्रामीणों ने किया दीक्षार्थी का बहुमान

मुमुक्षु राजकुमारी चंडालिया का दीक्षा निमित वर्षीदान वरघोड़ा सोमवार को निकाला गया। बैंड-बाजों, ढोल-नगाड़ों के साथ जैन मंदिर से निकला वरघोड़ा नगर के सदर बाजार, बस स्टैंड, राजपूत मोहल्ला होते हुए पुन: जैन मंदिर पहुंचा। जहां प्रभु की आरती के बाद शाम 4.30 बजे सकल जैन श्री संघ का आयोजन हुआ।

आयोजन के लाभार्थी स्व. भंवरलाल जसराज पालरेचा परिवार रहा। गांव की बेटी मुमुक्षु दीक्षार्थी बहन राजकुमारी चडालिया का नगर में जगह-जगह बहुमान ग्रामवासियों ने किया। वर्षीदान वरघोड़े में अहमदाबाद, लिमड़ी, उज्जैन, बांसवाड़ा, मेघनगर, बखतगढ़ सहित अन्य क्षेत्रों आए बड़ी संख्या में समाजजन व ग्रामीणजन मौजूद रहे। रात को मुमुक्षु राजकुमारी चंडालिया का विदाई समारोह हुआ जिसमें वक्ताओं ने अपनी बात कही।

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