ट्रांसजेंडर टॉयलेट कथा: इस जिले में हुई सम्मान देने की छोटी सी कोशिश, क्या हम बदलेंगे अपनी सोच?

ट्रांसजेंडर टॉयलेट कथा: इस जिले में हुई सम्मान देने की छोटी सी कोशिश, क्या हम बदलेंगे अपनी सोच?


मध्य प्रदेश के शाजापुर में ट्रांसजेंडर के लिए नई शुरुआत हुई है. (सांकेतिक तस्वीर)

ट्रांसजेंडर टॉयलेट कथा: शाजापुर जिले में प्रशासन ने नई पहल की है. यहां ट्रांसजेंडर के लिए अलग से टॉयलेट बनाया गया है. इसे नवाचार माना जा रहा है. इस टॉयलेट की चर्चा जिले में गह तरफ है.



  • Last Updated:
    March 18, 2021, 8:51 AM IST

शाजापुर. शाजापुर में एक टॉयलेट इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है. लोग इसकी टॉयलेट की चर्चा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि यहां यह अपने तरह का पहला टॉयलेट है. लोगों का कहना है कि समाज ने अभी तक जिन लोगों की उपेक्षा की है, उनके सम्मान में यह छोटा सा कदम है.

गौर करने लायक बात यह है कि जब आप पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल करते हैं तो महिला, पुरुष, दिव्यांग देखकर टॉयलेट का चुनाव करते हैं.  ऐसी स्थिति में वे लोग क्या करें, जिन्हें समाज ने अलग-अलग नाम तो दे दिए पर उपेक्षा की और उनकी सुविधा का ख्याल नहीं रखा.

अपने-आप में नजीर माना जा रहा यह कदम

ऐसे ही लोगों यानी थर्ड जेंडर या ट्रांसजेंडर के लिए शाजापुर प्रशासन ने खास पहल की है. प्रशासन ने यहां के पब्लिक टॉयलेट पर एक चौथी कैटेगरी का बोर्ड पर लगाया है – ट्रांसजेंडर. दरसल जिला पंचायत शाजापुर स्वच्छ भारत मिशन के तहत दुपाड़ा, देवला बिहार सहित जिले के विभिन्न गांवों में 87 टॉयलेट का निर्माण करवा रही है. कुछ पूरी तरह बन चुके हैं तो कुछ निर्माणाधीन हैं. लेकिन, सबसे ख़ास बात यह है की इन शौचालयो में महिला पुरूष के अलावा ट्रांसजेंडर यानी की थर्ड जेंडर के लिए भी अलग से एक शौचालय बनाया गया. जिसे यहां अपने-आप में नजीर माना जा रहा है.प्रशासन के बाद अब समाज की बारी- जिला पंचायत सीईओ

जिला पंचायत सीईओ मीशा सिंह का कहना है कि कुदरत के क्रूर मजाक का शिकार थर्ड जेंडर आपके हमारे समाज का ही एक हिस्सा हैं. उसके अधिकार उसे पूरे सम्मान के साथ दिए जाने चाहिए. सरकारी महकमा तो अपनी कोशिश कर ही रहा है अब समाज की बारी है.

नवाचार का अनूठा उदाहरण

सरपंच प्रतिनिधि सचिन पाटीदार का इस मामले में कहना है कि सार्वजनिक शौचालय में ट्रांसजेंडर्स के लिए अलग से यह सुविधा उपलब्ध करवाने वाला शाजापुर जिला देश प्रदेश में इस नवाचार का अनूठा उदाहरण है. सरकारी अफसरों के  दिमाग से निकली यह सोच और बेहद छोटी सी कोशिश इस वर्ग के अधिकार ओर सम्मान की बड़ी लकीर खींचता है.

हर वर्ग को सम्मान मिलना जरूरी

वहीं, पंचायत सचिव रामेश्वर का कहना है कि पीएम मोदी के स्वच्छ भारत मिशन की सफ़लता का यह सर्वोच्च उदाहरण भी कह सकते हैं. इसमें हर वर्ग को स्वच्छता का अधिकार भी पूरे हक़ ओर सम्मान से मिला है. बेहद कम राशि मे बने सर्व सुविधायुक्त इन शौचालयो में महिलाओं के विश्राम और बच्चों के स्तनपान की सुविधाओं का भी ध्यान रखा गया है.








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