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खंडवा2 घंटे पहले
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मांगों को लेकर एलआईसी अधिकारी-कर्मचारी नारे लगाते हुए।
केंद्र सरकार एलआईसी का भी आईपीओ लाकर उसका निजीकरण कर रही है। इसके खिलाफ बीमा कर्मचारी-अधिकारियों ने गुरुवार को एलआईसी ऑफिस के समीप विरोध प्रदर्शन किया। निगम के पंकज जैन ने बताया सरकार ने बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा वर्तमान 49% से बढ़ाकर 74% करने का निर्णय लिया है। इससे देश की जनता की बचत को निजी देसी विदेशी पूंजी घरानों के सुपुर्द करने का षडयंत्र किया जा रहा है।
पिछले साल से यह समाचार आते रहे हैं कि भारतीय जीवन बीमा निगम का आईपीओ लाया जाएगा। हाल ही में बजट सत्र में इसकी घोषणा कर दी गई है। एलआईसी की स्थापना 1956 में 5 करोड़ की पूंजी से की गई थी। आज इसकी विशालता का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि करीब 40 करोड़ पालिसीधारकों की सेवा में रत इसका 28 लाख करोड़ का धन सरकारी योजनाओं में लगा है।
प्रथम से लगाकर 12वीं पंचवर्षीय योजनाओं में खरबों रुपयों का धन एलआईसी ने लगाया है। ऐसे संस्थान के शेयर बेचकर सरकार किसका हित साध रही है, विचारणीय है। अनेक जन संगठनों, जन प्रतिनिधियों पालिसीधारकों का इस विरोध को समर्थन है। इस देश विरोधी कदम को सरकार वापस लें।
सभा को शाखा प्रबंधक उदय खोत, भालचंद्र महाजन, सचिन कुमार, पवन मैना ने भी संबोधित किया। इस मौके पर नरेंद्र बरुड, धीरज छाबड़ा, नरेश गोयल, रमन गुप्ता, सुजीत बेपारी सहित अन्य मौजूद थे।