कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आये ज्योतिरादित्य सिंधिया को लम्बे वक़्त के बाद भी वैसा राहत और पुनर्वास केंद्र सरकार में नहीं मिल पाया, जिसकी न केवल वे बल्कि उनके समर्थक भी उम्मीद लगाए हुए थे. इसी कारण कांग्रेस को दिल्ली से लेकर भोपाल तक सिंधिया के ऊपर तंज करने का मौक़ा मिल रहा था.
पिछले दिनों राहुल गांधी ने भी उनकी सियासी फ़िक्र जताते हुए यहां तक कह दिया था कि वे कांग्रेस में आयेंगे ही. दिग्विजय सिंह तो आये दिन तंज करते हैं कि हमारी पार्टी में थे तो महाराज थे और भाजपा ने उन्हें भाई साहब बनाकर रख दिया है. आज कमलनाथ सरकार को गए हुए पूरा एक साल हुआ है. इस मौके को प्रतीकात्मक जश्न का ज़रिया बनाया मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने. उन्होंने दिल्ली से सिंधिया जी को भोपाल लंच के लिए बुलाया. साथ में उनके समर्थक और एमपी सरकार के कुछ मंत्रियों को भी शिवराज ने आमंत्रित किया. दरअसल शिवराज राजनीति के बहुत माहिर खिलाड़ी हैं. इस लंच के उन्होंने एक साथ कई मायने निकालने के मौके सियासी जानकारों के लिए खोल दिए.
कितनी तरह से ये लंच परिभाषित किया जा सकता है. इसका पहला नज़रिया ये कि इस लंच के बहाने वे सिंधिया जी को ये बोध कराना चाहते हैं कि पार्टी में उनका सम्मान और दर्ज़ा बिलकुल वैसा ही है, जिसकी उम्मीद लगाकर वे भाजपा में शामिल हुए थे. दूसरा, वे काग्रेसियों को ये मैसेज देना चाहते हैं सिंधिया जी अब भाजपा की ज़िम्मेदारी हैं और उनके कद का अंदाज़ा इसी बात से लगाइए कि खुद मुख्यमंत्री उनके स्वागत और अगवानी में रहते हैं.
तीसरा, यदि कांग्रेस के बयानों से कहीं कुछ सिंधिया जी या उनके समर्थक मंत्रियों/ विधायकों के मन में उपेक्षा का भाव यदि पनप भी रहा हो, तो उसे दूर किया जा सके. चौथा और सबसे महत्वपूर्ण भाजपा के ही शिवराज विरोधी लेकिन प्रभावशाली नेता, जिनके मन में कुछ हिलोरें इस बात को लेकर मार रहीं हों कि यदि सरकार में कहीं कोई अंसतोष पनपा तो लॉटरी उनके नाम लग सकती है, उन्हें भी स्पष्ट मैसेज कि कहीं कोई असंतोष नहीं है. पांचवा, सिंधिया समर्थक सिर्फ दो ही विधायक मंत्री बन पाए हैं. बाकी के जो हार गए,उन्हें निगम मंडल में एडजस्ट करने का दवाब भी शिवराज जी पर है, उसे भी उन्होंने इस लंच के माध्यम से साध लिया.
इस लंच के बाद कोई साझा बयान दोनों नेताओं ने ज़ारी तो नहीं किया लेकिन एक फोटो सामने आया जो बहुत सारी बात खुद कह रहा है. इस फोटो में आप देखिए, पीछे दो टाइगर हैं और सामने शिवराज और सिंधिया खड़े हैं. सभी को समरण ही है कि शिवराज और सिंधिया दोनों ही अपने अपने भाषणों में कई बार ये जुमला बोलते रहे हैं कि “टाइगर अभी जिंदा है”…. इस फोटो को भी साशय लोगों के सामने लाया गया है ताकि अपनी-अपनी समझ के लिहाज़ से लोग उसे परिभाषित करते रहें. मान लें कि दो टाइगर मिलकर स्टेट को चला रहे हैं. कुलमिलाकर शिवराज जी को जितना मैंने जाना है, वे ऐसे दक्ष चिकित्सक हैं जो अपने बीमार को यदि आवश्यक समझते हैं कि उसे कड़वी दवा खिलाना है तो वे कुनैन की गोली भी गुलाब जामुन के अंदर रखकर खिलाते हैं. ताकि, कडवाहट का ज्यादा स्वाद भी मरीज को ना मिले और इलाज भी बेहतर हो जाए.
यूं तो बहुत स्पष्ट और स्थापित तथ्य है कि सिंधिया समर्थक विधायक और हारे हुए मंत्री अभी हाल-फिलहाल में न तो मंत्रिमंडल में और ना ही निगम मंडलों में जगह पा सकते हैं क्यूंकि अभी तो कुर्सी बहुत कम ख़ाली हैं और दावेदारों की लम्बी फ़ौज है, जिनकी अनदेखी करना इस वक़्त तो आसान नहीं होगा, लेकिन अब इस लंच के बाद ज़ाहिर है उन्होंने थोड़ा बहुत जो असंतोष सिंधिया के मन में पल रहा होगा, उसे डायलूट कर दिया और इस फोटो के ज़रिए एक सन्देश भी सिंधिया जी के एमपी भाजपा में ओहदे का प्रसारित करवा दिया. इसीलिए शिवराज की ग्राहता इतने सालों के बाद भी पार्टी के अंदर बिलकुल वैसी ही बनी हुई है जैसी पहले थी. (ये लेखक के अपने विचार हैं)
First published: March 20, 2021, 2:40 PM IST