सिस्टम पर सवाल: निगम बना भ्रष्टाचार का वटवृक्ष, घाेटालों के मामलाें काे जांच के नाम पर अटकाया

सिस्टम पर सवाल: निगम बना भ्रष्टाचार का वटवृक्ष, घाेटालों के मामलाें काे जांच के नाम पर अटकाया


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ग्वालियरएक घंटा पहले

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  • चार महीने के भीतर एक अफसर सहित तीन कर्मचारी घूस लेते पकड़े गए

चार महीने के भीतर दाे अफसराें के घूस लेते रंगे हाथाें पकड़े जाने से नगर निगम के पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े हाे गए हैं। पहला मामला तत्कालीन सिटी प्लान प्रदीप वर्मा का है जो 5 लाख रुपए घूस लेते पकड़े गए थे। शुक्रवार को क्षेत्राधिकारी मनीष कन्नौजिया और टाइम कीपर इंदर सिंह 50 हजार रुपए की रिश्वत लेते ट्रैप हुए। ये दो मामले ही नहीं, इस तरह की कई शिकायतें निगम अफसरों के खिलाफ लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू में जांच के नाम पर लंबित हैं।
पैसे मांगने वालाें काे नौकरी में रहने का अधिकार नहीं

  • जनता के काम के लिए पैसों की डिमांड करने वाले अफसर और कर्मचारियाें को नौकरी में रहने का अधिकार नहीं है। अब हम ऐसे लोगों को निगम के विभिन्न पदाें पर रखेंगे, जो उसकी योग्यता रखते हैं। नगर निगम के सभी दफ्तराें पर एक सूचना पटल लगाकर लोकायुक्त व ईओडब्ल्यू के अधिकारियों के नंबर प्रदर्शित किए जाएंगे। – शिवम वर्मा, आयुक्त नगर निगम

4 उदाहरण… गड़बड़ी पकड़ी पर हुआ कुछ नहीं

  • नगर निगम में आयुक्त को दो करोड़ रुपए तक के काम स्वीकृत करने के अधिकार हैं, लेकिन अधिकारियों ने आयुक्त से 45 शौचालयों बनाने के नाम पर 7.54 करोड़ रुपए के काम स्वीकृत करा लिए। यह मामला तत्कालीन प्रशासक एमबी ओझा के पास पहुंचा तो अपर आयुक्त वित्त देवेंद्र पालिया, अधीक्षण यंत्री प्रदीप चतुर्वेदी, एई सतेंद्र यादव, सब इंजीनियर राजेश परिहार, सीसीओ प्रेम पचौरी को नोटिस दिए गए। अभी तक फैसला नहीं हुआ।
  • वर्कशॉप में 6.30 करोड़ की राशि के भुगतान में गड़बड़ी का मामला सामने आया था। तत्कालीन प्रशासक श्री ओझा ने वर्कशॉप के तत्कालीन प्रभारी श्रीकांत कांटे और अपर आयुक्त वित्त देवेंद्र पालिया से जानकारी मांगी थी। यह मामला भी ठंडे बस्ते में पहुंच गया है।
  • कर संग्राहक योगेश श्रीवास्तव द्वारा एक निजी व्यक्ति से बैंक में पैसा जमा कराया जाता था। उसने 65 लाख रुपए की राशि जमा नहीं की लेकिन कड़ी कार्रवाई नहीं की गई।
  • कर संग्राहक योगेश श्रीवास्तव का पैसों के लेनदेन का वीडियो वायरल हुआ था। उसे निलंबित कर दिया गया था। बाद में भोपाल के एक अधिकारी के कहने पर पुन: बहाल कर उक्त स्थल पर बैठा दिया गया।

जनिए… हर विभाग में गड़बड़ी, शिकायतें

भवन निर्माण

  • भवन निर्माण अनुमति में अनियमितताओं के मामले की जांच लोकायुक्त पुलिस कर रही है। इसमें तत्कालीन उपयंत्री प्रदीप वर्मा पर आरोप है।
  • बसंत विहार कॉलोनी में पार्क भूमि को भूखंड क्रमांक 40 ए बताकर निर्माण मंजूरी जारी की गई। इसमें भवन अधिकारी सुरेश अहिरवार और क्षेत्राधिकारी वीरेंद्र शाक्य पर आरोप है।

संपत्ति कर

  • अनियमितता के मामले में लोकायुक्त में शिकायत दर्ज कराई गई थी। इसमें जनमित्र केंद्र प्रभारी अवनीश सक्सेना पर आरोप है।
  • कर संग्राहक जयसिंह राजपूत और रणवीर सिंह को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया था। इस मामले में आरोपियों के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति दे दी गई है।

गौशाला

गौशाला में पशु चारे के मामले में तत्कालीन प्रभारी राकेश मित्तल को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया था। इस मामले में लोकायुक्त पुलिस ने अभियोजन के लिए शासन से स्वीकृति मांगी है।
पीएचई

जल प्रदाय के प्रकरणों में अनियमितताओं के मामलों में तत्कालीन प्रभारी लेखाधिकारी रामकिशोर गुप्ता और तत्कालीन कार्यपालन यंत्री पीएचई डीके राठौर पर आरोप हैं।
सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण में गड़बड़ी के आरोप की जांच लोकायुक्त पुलिस कर रही है। इसमें पीएचई के अधीक्षण यंत्री आरएलएस मौर्य व उपयंत्री शिशिर श्रीवास्तव पर आरोप है।
पार्क

पार्कों में विद्युत संधारण के नाम पर अनियमितता की जांच लोकायुक्त पुलिस कर रही है। विनोद शर्मा, सुशील कटारे, हरिकिशन शाक्य के खिलाफ विभागीय जांच कर एक-एक वेतन वृद्धि रोकने की कार्रवाई की गई। एक अन्य मामले में पार्क अधीक्षक मुकेश बंसल पर आरोप है।

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