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ग्वालियर3 मिनट पहले
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1 अप्रैल से प्रारंभ हो रहे नए शैक्षणिक सत्र को लेकर संशय बना हुआ है। कोरोना संक्रमण बढ़ने के कारण माना जा रहा है कि स्कूल जुलाई में ही खुल सकेंगे। दूसरी तरफ हकीकत यह है कि जिले के 55 फीसदी स्कूलों, खासकर सरकारी में सोशल डिस्टेंस का पालन मुश्किल होगा। इनमें इतनी जगह नहीं है कि दो छात्रों के बीच दो गज की दूरी रखी जा सके।
इससे समझें…व्यवस्थाओं की हकीकत
- मिडिल स्कूल जनकगंज-3 में 153 छात्र है पर कमरे सिर्फ तीन। इनमें एक कमरे में कबाड़ भरा है। यदि प्राइमरी के 78 और मिडिल के 76 छात्रों को सुबह-शाम बुलाया गया तब भी दो गज की दूरी का फासला नहीं रहेगा, क्योंकि कमरे छोटे-छोटे हैं।
- मुरार में घासमंडी नंबर-2 प्राइमरी स्कूल में 78 छात्र हैं। यहां एक कमरा, एक बरामदा है। दो गज की दूरी पर सभी छात्रों के बैठना मुश्किल है।
- बावन पायगा मिडिल स्कूल में 118 छात्र हैं। तीन कमरे हैं पर कक्षा 6 के 62 छात्रों को एक साथ नहीं बैठाया जा सकता है, क्योंकि एक तो लिमिट 40 की तय है दूसरा दो गज की दूरी का झंझट है।
- यह हो सकते हैं विकल्प: {जिन स्कूलों में जगह कम हैं वहां पर आधे-आधे छात्र बुलाकर क्लास लगाई जा सकती हैं। {सप्ताह को तीन दिन में बांटकर भी छात्रों को क्लास के हिसाब से बुलाया जा सकता है। छात्रों को ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों विकल्प देकर स्कूल की भीड़ कम हो सकती है।