MP के मांझी दंपति की कहानी: कई साल तक बंधुआ मजदूरी की, फिर बंजर जमीन को उपजाऊ बनाने पहाड़ काट 7 साल तक खोदा कुंआ, अब बगिया में लहलहा रहे फलदार पेड़

MP के मांझी दंपति की कहानी: कई साल तक बंधुआ मजदूरी की, फिर बंजर जमीन को उपजाऊ बनाने पहाड़ काट 7 साल तक खोदा कुंआ, अब बगिया में लहलहा रहे फलदार पेड़


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टीकमगढ़5 मिनट पहले

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पचिया अहिरवार ने अपने पति हरिराम अहिरवार के साथ मिलकर सात साल तक पहाड़ काटकर कुंआ खोदा और बंजर जमीन पर अपना बगीचा तैयार कर लिया। (फाइल फोटो)

कुछ कर गुजरने का जुनून और न हारने की जिद, जिस व्यक्ति ने अपने जीवन में इन दो शब्दों को उतार लिया वह नामुमकिन को भी मुमकिन बना सकता है। इसी तरह के अपने संकल्प को पूरा करने के लिए बिहार के माउंटेन मैन कहे जाने वाले दशरथ मांझी ने पहाड़ काटकर रास्ता बना दिया था। मांझी की तरह ही मध्यप्रदेश के एक बुजुर्ग दंपति ने अपनी जिद को पूरा करने के लिए बंजर जमीन पर बगीचा उगा दिया।

सात साल तक 20 फीट खुदाई करने के बाद दंपति ने पत्थरों से निकाल लिया पानी।

सात साल तक 20 फीट खुदाई करने के बाद दंपति ने पत्थरों से निकाल लिया पानी।

प्रदेश के टीकमगढ़ जिले के बड़ागांव में रहने वाली पचिया अहिरवार ने अपने पति हरिराम अहिरवार के साथ मिलकर सात साल तक पहाड़ काटकर कुंआ खोदा और बंजर जमीन पर अपना बगीचा तैयार कर लिया। अब इसी कुंए के पानी से दंपति बगीचे की सिंचाई करते हैं। साथ ही इसी बगीचे से उनकी आजीविका भी चलती है। हरिराम का कहना है कि यह सब कुछ उनकी पत्नी के कारण ही संभव हुआ है।

कई साल से वीरान पड़ी थी जमीन

अब बगिया में आम, अमरूद, आंवला, नींबू और पपीता सहित कई फलदार पौधे लगे हैं।

अब बगिया में आम, अमरूद, आंवला, नींबू और पपीता सहित कई फलदार पौधे लगे हैं।

बुजुर्ग दंपत्ति ने कई साल तक बंधुआ मजदूरी की, लेकिन बाद में उससे आजाद हो गए, ऐसे में उन्हें आजीविका चलाने में परेशानी होने लगी। दंपत्ति के पास 2 एकड़ बंजर जमीन थी, जो कई साल से वीरान पड़ी रहती थी। इस भूमि को उपजाऊ बनाने के लिए दोनों ने कई सरकारी दफ्तरों को गेट खटखटाए और कई अधिकारियों के हाथ जोड़े, लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई।

इससे तंग आकर पचिया ने अपने पति को कुंआ खोदने के लिए कहा, पत्नी से प्रेरणा लेकर हरिराम ने पहाड़ काटकर कुंआ खोदने की शुरुआत की। सात साल तक 20 फीट खुदाई करने के बाद दोनों ने पत्थरों से पानी निकाल लिया। पानी मिलने के बाद दोनों ने बंजर जमीन पर बगिया लगाई और उसे हरा-भरा कर दिया।

बगिया से ही होता है परिवार का गुजारा
पचिया अहिरवार बताती हैं सरकारी मदद नहीं मिलने पर हमने एक दूसरे को हिम्मत बंधाई और कुंआ खोदने में जुट गए। पानी मिलने के बाद हमने करीब दो एकड़ बंजर जमीन को उपजाऊ बना लिया। अब हमारी बगिया में आम, अमरूद, आंवला, नींबू और पपीता सहित कई फलदार पौधे लगे हैं। इसी से परिवार का गुजारा चलता है।

अब चारों ओर हरियाली और फलदार पेड़

बंजर जमीन पर यहां चारों सिर्फ फलदार पेड़ नजर आते हैं।

बंजर जमीन पर यहां चारों सिर्फ फलदार पेड़ नजर आते हैं।

पचिया कहती हैं कि कुछ साल पहले तक इस भूमि पर कुछ नहीं होता था। मेहनत के कारण अब यहां हरियाली है, बंजर जमीन पर यहां चारों सिर्फ फलदार पेड़ नजर आते हैं। दंपति की इस मेहनत की इलाके के लोग मिसाल देते हैं।

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