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नई दिल्ली3 मिनट पहलेलेखक: राजकिशोर
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दिल्ली में चल रहे ISSF शूटिंग वर्ल्ड कप में भोपाल की रहने वाली चिंकी यादव ने 25 मीटर पिस्टल इवेंट में गोल्ड मेडल जीता। भास्कर से बातचीत में उन्होंने कहा कि यह वर्ल्ड कप में उनका पहला मेडल है। चिंकी ने कहा कि गोल्ड के रूप में अपना पहला वर्ल्ड कप मेडल जीतकर वे बेहद खुश हैं। चिंकी के पिता मेहताब सिंह यादव पेशे से भोपाल के टीटी नगर स्टेडियम में इलेक्ट्रीशियन हैं।
वे पिछले 23 सालों से खेल विभाग के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। चिंकी का घर स्टेडियम के अंदर ही है। इस वजह से वे बचपन से ही कई खेलों को देख रही हैं। चिंकी ने शूटिंग वर्ल्ड कप के फाइनल में भारत की ही टॉप शूटर मनु भाकर और राही सरनोबत को हराया। उन्होंने कहा कि मनु और राही के होने के बावजूद वे दबाव में नहीं थीं। भास्कर से चिंकी की बातचीत के कुछ अंश…

गोल्ड मेडल के साथ चिंकी (बीच में), सिल्वर के साथ राही सरनोबत (बाएं) और ब्रॉन्ज मेडल के साथ मनु भाकर (दाएं)।
फाइनल में आपके साथ मनु और राही थीं। क्या आप पर दबाव था?
देखिए मैच प्रेशर तो सभी खिलाड़ियों के ऊपर होता है। मनु और राही के होने से दबाव नहीं था। फाइनल में होने का दबाव था। मैं नर्वस थी। मैच के दौरान जो विचार आते हैं, उसको कंट्रोल करने के लिए मैं मेडिटेशन करती हूं। हमारे साथ साइकोलॉजिस्ट भी जुड़ीं थीं। वे हमें दबाव को हैंडल करना सिखाती हैं। फाइनल टाई हुआ। इस तरह के प्रेशर को झेलने के लिए मैंने ट्रेनिंग की है।
मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन सा शूटर मेरे साथ भाग ले रहा है और किस लेवल पर खेल चुका है। मेरा बस एक ही लक्ष्य है, अपना बेस्ट देना। मेरी कोच और साइकोलॉजिस्ट मैम ने कहा था कि आपने जो ट्रेनिंग की है, उसी पर फोकस करना। मैंने वही किया और दूसरी चीजों पर ध्यान नहीं दिया।
यह मेडल ओलिंपिक की तैयारी के लिए कितना महत्वपूर्ण है? क्या आपकी दावेदारी मजबूत हुई?
मैंने पहले भी वर्ल्ड कप में खेला है, लेकिन मेडल नहीं जीत सकी थी। यह वर्ल्डकप में मेरा पहला मेडल है और पहला ही मेडल मैंने गोल्ड जीता। इससे मैं खुश हूं। इससे मेरा आत्मविश्वास बढ़ा है। अब मैं ओलिंपिक के लिए और मेहनत करूंगी। मुझे लगता है कि इस प्रदर्शन के बाद मुझे ओलिंपिक के लिए टीम में शामिल किया जाएगा। हालांकि, मैं इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दे रही हूं। मैं सिर्फ अपनी ट्रेनिंग पर फोकस कर रही हूं।

मैच के दौरान कुछ शॉट खराब भी चले जाते हैं। आप इसे कैसे मैनेज करती हैं?
मैच के दौरान खराब शॉट के बाद दिमाग में कई तरह के विचार आते हैं। मैं केवल यही सोचती हूं कि जो चला गया, वह मेरे हाथ में नहीं है। ऐसे में मुझे अगले शॉट पर फोकस करना है।
आप अपने बारे में बताएं। आप शूटिंग में कैसे आईं?
मेरे पिता भोपाल में टीटी नगर स्टेडियम में इलेक्ट्रीशियन हैं। हम लोग कैंपस में ही रहते हैं। वहां पर कई स्पोर्ट्स की एकेडमी है। 2012 में मुझे पता चला कि शूटिंग के लिए ट्रायल है। मैंने भी ट्रायल दिया। मेरा चयन शूटिंग एकेडमी के लिए हो गया। मैं वहां पर अभ्यास करने लगी। पहले ही साल में मेरा चयन नेशनल्स के लिए हुआ।
मैंने लगातार जूनियर नेशनल में मेडल जीता। उसके बाद सीनियर में आई। सीनियर में आने के बाद एक साल तक मैं कुछ नहीं कर पाई। उसके बाद मैं सीनियर टीम में जगह बनाई। मेरा सपना स्नूकर या जिम्नास्टिक में जाने का था। मैं इन खेलों के लिए मेहनत भी कर रही थीं, लेकिन शूटिंग ट्रायल में चयन होने के बाद हालात बदल गए और शूटिंग में आ गई।

चिंकी द्वारा जीते गए मेडल्स के साथ उनकी मां कृष्णा यादव और पिता मेहताब यादव।
भारत 9 गोल्ड समेत 18 मेडल्स के साथ टॉप पर
25 मीटर पिस्टल इवेंट के फाइनल में चिंकी और राही का स्कोर 32-32 पॉइंट रहा। इसके बाद दोनों के बीच शूटआउट मुकाबला हुआ। इसमें चिंकी ने राही को 4-3 से हरा दिया। भारत ने अब तक टूर्नामेंट में 9 गोल्ड, 4 सिल्वर और 5 ब्रॉन्ज समेत कुल 18 मेडल जीते हैं। टीम इंडिया टूर्नामेंट में फिलहाल मेडल्स टैली में टॉप पर है। वहीं, USA दूसरे नंबर और कजाकिस्तान तीसरे नंबर पर है।