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इंदौर15 मिनट पहले
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फाइल फोटो
थानेदार (एसआई ) की पत्नी की शिकायत पर आबकारी अधिकारी पर छेड़छाड़ का केस दर्ज किया है। पीड़ित महिला भी आबकारी विभाग में नौकरी करती थी। विभाग में कार्य करने वाले एक अधिकारी ने महिला से संबंध बनाने के लिए दबाव बनाता था। महिला द्वारा महिला थाना में भी शिकायत दर्ज करवाई थी।
पुलिस के मुताबिक महिला ने बयानों में बताया कि घटना की शुरुआत वर्ष 2007 की है । आरोपी कल्याण सिंह उस समय आबकारी में लेखापाल के पद था और महिला उससे कनिष्ठ पद पर पदस्थ थी। कई बार ऑफिस में लेखापाल द्वारा महिला को फाइलें लेकर बुलाता और बुरी नीयत से छुने की कोशिश की । आरोपी जब सहायक अधीक्षक के पद पर प्रमोशन हुआ तो उसने महिला से कहा मेरे साथ शारीरिक संबंध बनाओ वरना धार-झाबुआ तबादला करवा दूंगा। जब महिला ने आरोपी की बात पर ध्यान नहीं दिया तो उसने महिला की 2008 में निर्वाचन कार्यालय में ड्यूटी लगवा दी। महिला जब ड्यूटी पर पहुंची तो अधिकारी ने बताया कि यहां सिर्फ पुरुषों की ड्यूटी लगी है। अधिकारी ने महिला को बेवजह परेशान करना शुरू कर दिया था।
महिला थाना प्रभारी ज्योति शर्मा ने बताया कि महिला कुछ महीनों पहले थाने पर आई थी वह अपने बार-बार बयान बदल रही थी और कुछ महीने तक थाने पर नहीं आने पर उसे नोटिस देकर बुलाया गया पूरे मामले में विशाखा गाइडलाइन के अंतर्गत यदि महिला अपने ही विभाग के किसी अधिकारी पर यह आरोप लगाती है तो विशाखा गाइडलाइन के अंतर्गत पहले उसकी विभागीय जांच होना जरूरी है जिसके बाद महिला थाना आगे की कार्रवाई करेगा।
क्या है विशाखा गाइडलाइन्स–कार्यस्थल पर होने वाले यौन-उत्पीड़न के ख़िलाफ़ साल 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने कुछ निर्देश जारी किए थे। सुप्रीम कोर्ट के इन निर्देशों को ‘विशाखा गाइडलाइन्स’ के रूप में जाना जाता है। इसे विशाखा और अन्य बनाम राजस्थान सरकार और भारत सरकार मामले के तौर पर भी जाना जाता है। इस फ़ैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यौन-उत्पीड़न, संविधान में निहित मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हैं। इसके साथ ही इसके कुछ मामले स्वतंत्रता के अधिकार के उल्लंघन के तहत भी आते हैं।