उद्घाटन समारोह: कवि जितना तपता उसकी कविता उतनी ही स्वर्णिम बनती है : रघु

उद्घाटन समारोह: कवि जितना तपता उसकी कविता उतनी ही स्वर्णिम बनती है : रघु


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सागर3 मिनट पहले

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कविता व्यवस्था, जड़ता और खुद से एक विद्रोह है, जो कवि अंतर विद्रोह की आग में जितना तपता है। उसकी कविता उतनी ही स्वर्णिम और सुंदर रचना बनती है। कविता को सौंदर्य कवि की प्रसव पीड़ा ही देती है। यह बात समाजवादी चिंतक रघु ठाकुर ने कही। वे आदर्श संगीत महाविद्यालय में वनमाली सृजन केंद्र के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि वनमाली सृजन केंद्र सागर के नवोदित कवियों साहित्यकारों को नए अवसर और प्रतिभा के विस्तार का नया मंच उपलब्ध कराएगा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रवीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय भोपाल के उपक्रम वनमाली सृजन पीठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष व टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति संतोष चौबे थे। उन्होंने केन्द्र के संयोजक पद पर साहित्यप्रेमी उमाकान्त मिश्र के मनोनयन की घोषणा करते हुए उन्हें पुस्तकें भेंट की।

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