इंटर रिजल्ट में 2.4% की गिरावट कोरोना के नाम: 2016 में रूबी टॉपर बनी तब रिजल्ट 47.15%, सख्ती बरती तो 35% हुआ, पिछले साल था 80.44%

इंटर रिजल्ट में 2.4% की गिरावट कोरोना के नाम: 2016 में रूबी टॉपर बनी तब रिजल्ट 47.15%, सख्ती बरती तो 35% हुआ, पिछले साल था 80.44%


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एक घंटा पहले

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कोरोना के बावजूद बिहार बोर्ड के इंटरमीडिएट रिजल्ट में इस साल 78.04 प्रतिशत बच्चों ने सफलता हासिल की है। पिछले साल की तुलना में इस साल रिजल्ट में 2.4 प्रतिशत की कमी हुई है। इस कमी को कोरोना के नाम करना ज्यादा बेहतर होगा। इतना असर तो लाजिमी था। उस बिहार में, जहां टॉपर घोटाले के बाद पैटर्न बदलाव से रिजल्ट में सुधार का दौर चला होगा। बिहार बोर्ड ने 2015 के बाद रिजल्ट में आई गिरावट को 5 साल में दुरुस्त करते हुए यह सफलता हासिल की है। वर्ष 2015 तक 75.17 फीसदी रहा रिजल्ट अगले साल 28 प्रतिशत गिरकर 47.15 फीसदी पर पहुंच गया। उसी साल बिहार बोर्ड में हुए टॉपर घोटाले से देशभर में बिहार की छवि धूमिल हुई। इंटर आट्‌र्स में 444 अंक देकर रूबी राय को बिहार टॉपर बना दिया गया था।

बिहार बोर्ड ने दिखाई सख्ती तो 12 प्रतिशत गिर गया रिजल्ट
2017 में बिहार बोर्ड ने परीक्षा में सख्ती दिखाई तो रिजल्ट 12 प्रतिशत गिरकर 35 फीसदी पर पहुंच गया। देशभर में सबसे खराब रिजल्ट बिहार विद्यालय परीक्षा समिति का ही रहा। परीक्षा विशेषज्ञों के अनुसार इतना खराब रिजल्ट बिहार बोर्ड के इतिहास में कभी नहीं आया। इसके बाद बिहार बोर्ड ने परीक्षा पैटने में बदलाव के साथ ही अपनी पूरी कार्य संस्कृति में ही बदलाव कर दिया। पारदर्शी परीक्षा के लिए पूरी ताकत झोंक दी। अगले साल 2018 में 52.95 प्रतिशत रिजल्ट के साथ बिहार बोर्ड ने एकबार फिर अपना प्रदर्शन सुधारा।

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