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- Shivraj Singh Chouhan Update; Madhya Pradesh CM Convenes Meeting On Domestic Violence, Govt Welfare Scheme For Victims
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भोपालएक घंटा पहले
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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को घरेलू हिंसा को रोकने के संबंध में बैठक बुलाई थी।
- भोपाल, सागर व बैतूल में हाल ही में हुईं तीन घटनाओं में पीड़िताओं को 4-4 लाख रुपए आर्थिक सहायता दी जाएगी
- महिला का कोई अंग काटा गया तो हत्या के प्रयास से ज्यादा सख्त धारा लगाने का प्रवधान किया जाएगा
घरेलू हिंसा को रोकने के लिए शिवराज सरकार ज्यादा सख्त होने जा रही है। CM शिवराज सिंह चौहान ने इसके लिए कानून में ज्यादा सख्त प्रावधान करने के निर्देश अफसरों के दिए हैं। CM ने कहा कि घरेलू हिंसा की शिकार पीड़िताओं के लिए सरकार वेलफेयर स्कीम बनाएगी। इसके साथ ही प्रदेश के सभी 700 थानों में महिला डेस्क खोली जाएगी।
CM ने घरेलू हिंसा को लेकर शनिवार को मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, डीजीपी विवेक जौहरी और अपर मुख्य सचिव गृह डा. राजेश राजौरा के साथ बैठक की। इस CM मुख्यमंत्री ने कहा कि घरेलू विवाद के दौरान यदि किसी महिला का हाथ-पैर या अन्य कोई अंग काटा जाता है तो ऐसे अपराध का ज्यादा संगीन माना जाएगा। इसके लिए कानून में सख्त धाराएं जोड़ी जाए। वर्तमान में ऐसी घटनाओं में आरोपी के खिलाफ धारा 307 यानी हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज किया जाता है। लेकिन अब ऐसे जघन्य मामलों में इससे ज्यादा सख्त धाराओं का प्रवाधान कानून में किया जाए।
MP में फिर हैवानियत:पति ने सो रही पत्नी का कुल्हाड़ी से एक हाथ और दूसरे की उंगलियां काट डालीं
मुख्यमंत्री ने कहा कि महिलाओं के साथ ऐसी बर्बरता ना हो और समाज में इसका संदेश जाना चाहिए ताकि अपराधी में भय पैदा हो। उन्होंने डीजीपी को निर्देश दिए कि घरेलू हिंसा के मामलों को गंभीरता से लेकर प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित करें। पुलिस को ऐसे मामलों में ज्यादा संवेदनशील होकर एक्शन लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रदेश के 100 थानों में महिला डेस्क हैं, लेकिन अब सभी 700 थानों में इसे खोलने का निर्णय लिया गया है। जिसमें महिला पुलिस अधिकारी को इंचार्ज बनाया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि भोपाल, सागर और बैतूल की घटना की शिकार पीड़िताओं को 4-4 लाख रुपए आर्थिक सहायता देने के निर्देश दे दिए हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी महिलाओं का जीवन यापन करने के लिए वेलफेयर स्कीम लागू की जाएगी। मुख्यमंत्री ने एक दिन पहले ही ऐसे मामले फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाने के निर्देश अफसरों को दिए थे। मुख्यमंत्री ने कहा है कि पति का पत्नी के हाथ काटना बहुत ही गंभीर व दुर्भाग्यपूर्ण हैं। ऐसी घटनाएं रोकने सख्त कानून बनाएंगे।
17 दिन में यह हुई हैं घटनाएं
1. 9 मार्च- निशातपुरा की पारस कॉलोनी निवासी संगीता पर पति प्रीतम सिंह सिसोदिया ने फरसे से हमलाकर एक हाथ और एक पैर का पंजा काट दिया था। डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर हाथ जोड़ा, लेकिन बाद में काटना पड़ा।
2. 22 मार्च – रात 11 बजे सागर के बामनहोरा गांव निवासी आरती गौड पर पति रणधीर ने कुल्हाड़ी से हमला कर दोनों हाथ काट दिए। परिजनों ने अगले दिन हमीदिया अस्पताल में भर्ती किया। ऑपरेशन के बाद आरती अभी हमीदिया अस्पताल में ही भर्ती हैं।
3. 25 मार्च : बैतूल के चिचोली में पति ने की है। उसने अपनी सो रही पत्नी पर कुल्हाड़ी से ताबड़तोड़ हमला कर दिया। पत्नी का एक हाथ और दूसरी हाथ की तीन अंगुलियोंं को काट कर अलग कर दिया, दो उंगलियां भी जख्मी कर दीं। कुल्हाड़ी का एक वार पत्नी के चेहरे पर होने से पत्नी को हालत गंभीर है।
घरेलू हिंसा से पीड़ित महिला के अधिकार
- पिता या पति घर जिसका भी हो उस पर महिला का भी अधिकार : महिला पति या पिता जिसके भी घर में रह रही है उसे उस घर से बेदखल नहीं किया जा सकता है, फिर भी अगर आधी रात में महिला को घर से निकाल दिया जाए तो कानून के तहत प्रावधान है कि आप शॉर्ट स्टे होम जा सकती हैं।
- घर से निकाले जाने पर तुरंत खर्च पाने का अधिकार : महिला को अगर अचानक घर से बेदखल कर दिया जाता है और उसके पास कोई आर्थिक मदद न हो तो ऐसी स्थिति में मजिस्ट्रेट आरोपी को तुरंत ही खर्च उपलब्ध कराने के ऑर्डर दे सकता है।
- मददगार की सुरक्षा : घरेलू हिंसा जिस महिला के साथ हो रही है वही इस बात की शिकायत करे यह जरूरी नहीं। महिला को जानने वाला कोई भी व्यक्ति इस बात की शिकायत कर सकता है और शिकायत करने वाले व्यक्ति को पूरी सुरक्षा दी जाएगी।
- सुविधाएं देनी होंगी : महिला नहीं कमा रही है तो भी गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए तमाम सुविधाएं पाने का अधिकार है, जैसे वॉशरूम की सुविधा।
- सीधे कोर्ट जाएं : शिकायत करने के लिए महिला सीधे कोर्ट भी जा सकती हैै।
- वकील जरूरी नहीं : वैसे तो घरेलू हिंसा के केस में वकील की जरूरत नहीं होती, फिर भी लीगल एक्ट के तहत नि:शुल्क वकील मिलेगा।
- महिला की कही बात काफी : घरेलू हिंसा का मामला चूंकि चार दिवारी के भीतर का होता है इसलिए इसमें गवाह या सबूत की जरूरत नहीं होती। महिला की कही हुई बात ही गवाह है।
- एक पक्षीय सुनवाई भी : गंभीर मामले पर मजिस्ट्रेट बिना दूसरे पक्ष को सुने सिर्फ पीड़िता का पक्ष सुनकर एकपक्षीय आदेश भी दे सकता है।