भक्ति में डूबकर जमकर खेली फूलों की होली, बेसुध होकर नाचते ही रहे भक्त

भक्ति में डूबकर जमकर खेली फूलों की होली, बेसुध होकर नाचते ही रहे भक्त


पन्ना की प्रणामी मंदिर में फूलों से होली खेलने की परंपरा बरसों पुरानी है.

पन्ना में है विख्यात प्रणामी संप्रदाय का बाई जू राज जी मंदिर. यहां परंपरा है कि होली पर भक्त जमकर होली खेलते हैं. इस बार भी भक्त भक्ति में डूबे और फूलों की होली खेली. यह परंपरा सैकड़ों वर्ष पुरानी है.


  • Last Updated:
    March 28, 2021, 1:59 PM IST

पन्ना. पन्ना में प्रणामी संप्रदाय के मंदिर बाई जू राज जी मंदिर में फूलों की होली खेली गई. यहां सैकड़ों वर्ष पुरानी परंपरा का निर्वहन करते हुए कृष्ण प्रणामी संप्रदाय के लोगों ने उत्सव मनाया. बाईजू राज जी का मंदिर राधिका जी का मंदिर भी कहलाता है. यहां होलिका दहन के ठीक 1 दिन पूर्व रात्रि जागरण होता है और दिन में सुबह से ही भक्तों का तांता लग जाता है.

इसके बाद यहां बरसों पुरानी परंपरा का निर्वहन करते हुए फूलों की होली खेली जाती है. यहां भक्त महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, दिल्ली सहित कई प्रांतों से आए हुए हैं. पंडित देवगण त्रिपाठी ने बताया कि इस उत्सव की छटा निराली है. लोगों ने जागरण किया, पूजा-अर्चना की. यहां मां राधा के मंदिर में फूलों की होली मनाने की विशेष परंपरा है. क्या बच्चे, क्या बूढ़े और क्या महिलाएं, सभी भक्ति में डूबे थे और पूरे मन से आराधना की. उन्होंने कहा कि इस होली के लिए भक्तों ने लंबे समय से तैयारी कर रखी थी. जब भक्ति का असर होना शुरू होता है तो समय कब और कहां निकल जाता है पता ही नहीं चलता.

इस बार भद्रा में नहीं होगा होलिका दहन

इस होली पर सर्वार्थ सिद्धि योग और ध्रुव योग का प्रभाव होगा. ध्रुव योग का संयोग 19 साल बाद हो रहा है. यह सभी राशियों के लिए फलदायक होगा. होलिका दहन भी भद्रा में नहीं होगा, क्योंकि भद्रा काल सूर्यास्त से पहले ही समाप्त हो जाएगा.पंडितों ने बताया कि इस बार 2 योग एक साथ हैं. इसमें ध्रुव योग का संयोग 19 साल बाद आया है. उन्होंने बताया कि होली पर सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा. ये दोनों योग सभी राशियों पर फलदायक होगा. फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर 28 मार्च को सर्वार्थ सिद्धि योग में होली का पूजन होगा. प्रदोषकाल में पूजन का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त है.









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