- Hindi News
- Local
- Mp
- Jabalpur
- Holika Dahan Will Be Held Today, Holi Of Colors Will Be Celebrated Tomorrow, Festival Will Be Celebrated In The Midst Of Restrictions
Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
जबलपुर15 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन रंगों वाली होली खेली जाती है। इस वर्ष कोरोना महामारी की छाया होली महापर्व पर पड़ी है। इसलिए पाबंदियों के बीच पर्व मनाया जाएगा। इस साल होलिका दहन 28 मार्च रविवार को किया जाएगा, जबकि रंगों वाली होली 29 मार्च को खेली जाएगी।
होलिका दहन के दिन लोग होली पूजा करने के साथ ही एक-दूसरे को गुलाल-अबीर लगाकर होली की बधाई देते हैं। इस साल होली पर ध्रुव योग का निर्माण हो रहा है। ज्योतिष शास्त्र में ध्रुव योग को शुभ माना जाता है। पूर्णिमा तिथि 28 मार्च को सुबह 3 बजकर 30 मिनट से शुरू होगी, जो कि 29 मार्च की रात 12 बजकर 15 मिनट तक रहेगी।
पं. रोहित दुबे ने बताया कि इस साल होलिका दहन का शुभ मुहूर्त शाम 6:30 बजे से रात्रि 8:30 बजे तक रहेगा। इसके साथ ही चौघड़िया में शुभ, लाभ व अमृत के दौरान भी होलिका दहन किया जा सकता है। पं. वासुदेव शास्त्री ने बताया कि होली के दिन मकर व गुरु एक ही राशि मकर में विराजमान रहेंगे।
शुक्र व सूर्य मीन राशि पर संचार करेंगे। चंद्रमा कन्या राशि में गोचर करेगा। इस दिन गोबर के उपलों या लकड़ियों से जगह-जगह होली रखी जाती है। जलती हुई होली के चारों ओर लोग परिक्रमा करते हैं। अपने और परिवार के लिए मनौतियाँ माँगते हैं। होलिका दहन के दिन जलती होली में गेहूँ की बाली को भूनकर खाने की परम्परा भी है। होलिका दहन के अगले दिन रंगोत्सव पर लोगों द्वारा एक-दूसरे को तिलक लगाकर पर्व की शुभकामनाएँ दी जाएँगी।
इस बार नदारद है वह उल्लास
इस बार होली पर्व पर युवाओं और बच्चों में हर्षोल्लास नदारद है। पर्व पर शहर के गली-मोहल्लों में होलिका-प्रहलाद की बड़ी एवं छोटी प्रतिमाएँ स्थापित नहीं हो पाई हैं। इस वर्ष कोरोना महामारी का संक्रमण, लॉकडाउन व कर्फ्यू के कारण पर्व के आयोजन पर ब्रेक लग गया है।
उल्लेखनीय है कि शहर में हर साल गुंजन कला सदन के तत्वावधान में रंसरंग बारात निकाली जाती थी, जिसमें छोटे-बड़े सभी दूल्हे की वेशभूषा में घोड़े, बग्गी में निकलते थे फिर होलिका दहन और रंग- गुलाल के साथ समापन होता था, साथ ही हास्य कवि सम्मेलन, गचगेंधा सम्मेलन और चैतन्य महाप्रभु जन्मोत्सव पर गोपाल लालजी मंदिर हनुमानताल से कल्याण मंदिर लार्डगंज थाने तक फूलों की होली खेलते, हरिनाम संकीर्तन करते हुए विशाल शोभायात्रा निकाली जाती थी।
होलिका दहन के दर्शन से शनि-राहु-केतु दोष से मुक्ति
पं. राजकुमार शर्मा शास्त्री के अनुसार होलिका दहन करने या फिर उसके दर्शन मात्र से ही व्यक्ति को शनि-राहु-केतु के साथ नजर दोष से मुक्ति मिलती है, साथ ही होली की भस्म का टीका लगाने से नजर दोष तथा प्रेतबाधा से मुक्ति मिलती है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार किसी मनोकामना को पूरा करना चाहते हैं, तो जलती होली में 3 गोमती चक्र हाथों में लेकर अपनी इच्छा को 21 बार मन में बोलकर तीनों गोमती चक्र को अग्नि में डालकर अग्नि को प्रणाम करके वापस आ जाएँ। यदि कोई व्यक्ति घर में होली की भस्म चाँदी की डिब्बी में रखता है, तो उसकी कई बाधाएँ अपने आप ही दूर हो जाती हैं।
अपने कार्यों में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए आटे का चौमुखा दीपक सरसों के तेल से भरकर उसमें कुछ दाने काले तिल, एक बताशा, सिन्दूर और एक ताँबे का सिक्का डालकर उसे होली की अग्नि से जलाएँ। अब इस दीपक को घर के पीड़ित व्यक्ति के सिर से उतारकर किसी सुनसान चौराहे पर रखकर, बगैर पीछे मुड़े वापस आकर अपने हाथ-पैर धोकर घर में प्रवेश करें।