दमोह में उपचुनाव के बीच ज्योतिरादित्य सिंधिया को बंगाल चुनाव में बीजेपी के स्टार प्रचारकों की लिस्ट में शामिल किया गया है.
Damoh Assembly By-Election: दमोह उपचुनाव के पूरे सीन से भाजपा के सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया गायब हैं. सियासी पंडित सवाल उठा रहे हैं, क्या उपचुनाव में सिंधिया जैसे नेता की जरूरत नहीं है या सोची-समझी रणनीति के तहत उन्हें बंगाल में चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी गई है?
भोपाल. कांग्रेस विधायक राहुल सिंह लोधी के इस्तीफे से खाली हुई दमोह विधानसभा सीट पर 17 अप्रैल को उपचुनाव होने जा रहे हैं. इस्तीफे के बाद उनके भाजपा में शामिल होने और वफादारी का इनाम पार्टी ने उन्हें टिकट देकर किया है. बरसों से भाजपा को दमोह में मजबूत जमीन देने वाले जयंत मलैया का पत्ता काट दिया गया है. वो भीतर से दुखी हैं और आशंका जताई जा रही है कि वह भितरघात भी कर सकते हैं. लेकिन उसके बावजूद भाजपा साम-दाम-दंड-भेद की सारी नीतियां अपनाकर हालातों को अपने पक्ष में करने की कोशिशों में जुटी हैं. बड़ी-बड़ी सभाएं हो रही हैं, जलसे हो रहे हैं, लेकिन दमोह विधानसभा के पूरे चुनावी सीन से भाजपा के सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया गायब हैं. सियासी पंडित सवाल उठा रहे हैं, क्या दमोह उपचुनाव में सिंधिया जैसे मप्र के दिग्गज नेता की कोई जरूरत नहीं है या सोची-समझी रणनीति के तरह इस चुनावी परिदृश्य से बाहर रखने के इरादे से पश्चिम बंगाल में चौथे चरण के प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी गई है?
बता दें कि 30 मार्च मंगलवार को जब दमोह विधानसभा उपचुनाव के लिए भाजपा प्रत्याशी राहुल सिंह लोधी ने अपना पर्चा भरा, तो सीएम शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा, प्रह्लाद पटेल, गोपाल भार्गव, भूपेन्द्र सिंह जैसे तमाम भाजपा के दिग्गज नेता मौजूद थे, लेकिन अपने करीब 2 दर्जन विधायकों, मंत्रियों के साथ पाला बदलकर कमलनाथ की सरकार गिराने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया नहीं थे. सिंधिया के खास समर्थक मंत्री, विधायकों के चेहरे भी मौके पर नमूदार नहीं थे. बता दें कि यहां से कांग्रेस ने राहुल के खिलाफ जिला कमेटी के प्रमुख अजय टंडन को अपना उम्मीदवार बनाया है.
दमोह जीतने शिवराज ने झोंकी पूरी ताकत
दमोह में उपचुनाव घोषित होने के बाद से ही सीएम शिवराज सिंह से लेकर पूरी भाजपा ने इस प्रतिष्ठापूर्ण सीट को जीतने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. सरकार में मंत्री गोपाल भार्गव और भूपेन्द्र सिंह को सीट जिताकर लाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल भी यहां डेरा डाले हुए हैं, उनकी मौजूदगी इसलिए महत्व रखती है, क्योंकि वह लोधी समुदाय के हैं और राहुल सिंह लोधी को पार्टी में लाने में उनकी और साध्वी उमाभारती की महत्वपूर्ण भूमिका रही है.
दमोह जीतने शिवराज ने झोंकी पूरी ताकत
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पोस्टर, होर्डिंग से सिंधिया गायब
सीएम समेत यह सारे नेता दमोह उपचुनाव फतह करने लगातार बड़ी-बड़ी सभाएं ले रहे हैं, लेकिन हर सभा, हर मंच पर लगे पोस्टर्स और होर्डिंग्स में कहीं न सिंधिया का नाम है न ही कोई फोटो. यानी दमोह में जो भाजपा चुनाव लड़ रही हैं, उनमें से कोई भी सिंधिया का नामलेवा नहीं है. नेताओं की इस भीड़ में भी उन्हें कोई जगह नहीं दी गई है.
पोस्टर, होर्डिंग से सिंधिया गायब
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दमोह से दूर क्यों रखे गए सिंधिया
बता दें कि अपने समर्थक मंत्रियों और विधायकों की बगावत के बूते मार्च 2020 में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार गिराने और शिवराज सिंह सरकार बनवाने के बाद मध्य प्रदेश में जो उपचुनाव हुए, उसमें प्रभाव वाले क्षेत्रों में तो ज्योतिरादित्य सिंधिया ने प्रचार किया था, लेकिन उसके बाद उन्हें पार्टी ने कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी. दमोह उपचुनाव में भी सिंधिया को कहीं प्रतिभा दिखाने का मौका नहीं दिया गया. दमोह में भी कांग्रेस बिकाऊ नेता चाहिए या टिकाऊ नेता चाहिए का मुद्दा उठा रही है, सिंधिया समर्थक मंत्रियों की ही तरह राहुल सिंह लोधी भी कांग्रेस का विधायक पद छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं और उसी विधायक पद को हासिल करने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं. राजनीतिक पंडित मानते हैं कि बिना किसी बड़ी डील के बगैर लोधी ने भाजपा में छलांग नहीं लगाई है. भाजपा के नेता नहीं चाहते कि छवि खराब करने वाल बिकाऊ-टिकाऊ का मुद्दा और ज्यादा न उछले, इसलिए ज्योतिरादित्य सिंधिया को दमोह से दूर ही रखा गया है.
दमोह से दूर क्यों रखे गए सिंधिया
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भाजपा में शामिल होकर पहली बार मप्र से बाहर मांगेंगे वोट
इसी उपचुनाव के दौरान सिंधिया को प. बंगाल में हो रहे विधानसभा चुनाव के चौथे चरण में प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी गई है. चौथे चरण के चुनाव बंगाल में 10 अप्रैल को होने हैं. भाजपा में शामिल होने के बाद यह पहला मौका होगा कि सिंधिया अपने राज्य मप्र से बाहर किसी राज्य में भाजपा के लिए वोट मांगेंगे. इस सूची में शिवराज सिंह चौहान का नाम भी है. भाजपा के लिए सिंधिया कितने महत्वपूर्ण हैं, इसका अंदाजा स्टार प्रचारकों की सूची देखकर लगाया जा सकता है, जिसमें उन्हें 24 वें नंबर पर रखा गया है. शिवराज सिंह का नाम 14वें और कैलाश विजयवर्गीय का नाम सूची में 9 वें नंबर पर है. बंगाल, केरल, असम समेत 5 राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने स्टार प्रचारकों की किसी भी सूची में सिंधिया को स्थान नहीं दिया है. यह पहला मौका है, जब उनपर भरोसा जताते हुए बंगाल में केवल चौथे चरण के लिए प्रचारकों की सूची में शामिल किया है.
भाजपा में शामिल होकर पहली बार मप्र से बाहर मांगेंगे वोट
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दमोह में क्यों हो रहे उपचुनाव
बता दें कि दमोह विधानससभा सीट राज्य के दमोह जिले की एक सीट है, जो बघेलखंड इलाके में पड़ता है. इस विधानसभा सीट पर मतदाताओं की कुल संख्या 2.39 लाख है. सन् 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में यहां से भाजपा के वरिष्ठ नेता जयंत मलैया विधायक चुने गए थे, जिन्हें 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के राहुल सिंह लोधी ने हराया था, अब भाजपा के टिकट पर उपचुनाव लड़ रहे हैं. उनके दलबदल के कारण ही यहां उपचुनाव हो रहे हैं. (डिस्क्लेमरः ये लेखक के निजी विचार हैं.)
दमोह में क्यों हो रहे उपचुनाव
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