लोकसभा चुनाव में अवैध लेन-देन का मामला: चुनाव आयोग ने मुख्य सचिव व ACS गृह से पूछा- 3 माह में भी एफआईआर क्यों नहीं हुई? अफसरों ने बताया- PE दर्ज हो गई है, जांच चल रही है

लोकसभा चुनाव में अवैध लेन-देन का मामला: चुनाव आयोग ने मुख्य सचिव व ACS गृह से पूछा- 3 माह में भी एफआईआर क्यों नहीं हुई? अफसरों ने बताया- PE दर्ज हो गई है, जांच चल रही है


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भोपाल26 मिनट पहले

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लोकसभा चुनाव में अवैध लेन-देन मामले में मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव गृह ने सोमवार को चुनाव आयोग को अब तक की कार्यवाही की स्टेटस रिपोर्ट सौंप दी है।

  • आयोग ने 16 दिसंबर 2020 को मुख्य सचिव को सीबीडीटी की रिपोर्ट भेज कर एक्शन लेने के निर्देश दिए थे।

लोकसभा चुनाव में अवैध लेन-देन मामले में अब तक हुई कार्यवाही की गति धीमी होने पर केंद्रीय चुनाव आयोग ने नाराजगी व्यक्त की है। राज्य शासन की तरफ से सोमवार को मुख्य सचिव इकबाल िसंह बैंस और अपर मुख्य सचिव गृह डा. राजेश राजौरा आयोग के समक्ष पेश हुए। इस दौरान आयोग ने अफसरों से पूछा कि सीबीडीटी की रिपोर्ट के आधार पर 3 माह में भी एफआईआर क्यों नहीं हुई? इस पर जवाब दिया गया कि ईओडब्ल्यू ने प्राथमिकी (पीई) दर्ज कर जांच शुरु कर दी है। आयोग ने 16 दिसंबर 2020 को मुख्य सचिव को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) रिपोर्ट भेज कर एक्शन लेने के निर्देश दिए थे। आयोग ने कहा कि एफआईआर करने में इतना वक्त क्यों लग रहा है? इस पर मुख्य सचिव ने बताया कि रिपोर्ट में आरोपी बनाए गए चारों अफसरों को राज्य शासन ने चार्जशीट देकर जवाब मांगा है। इसके साथ ही ईओडब्ल्यू रिपोर्ट में दिए गए तथ्यों के आधार पर जांच कर रही है। आयोग के सामने पेश होने से 15 दिन पहले राज्य शासन ने इस मामले में आरोपी तीनों आईपीएस अफसरों और एक राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी को चार्जशीट देकर 15 दिन में जवाब मांगा था। लेकिन चारों अफसरों ने अपना जवाब देने से पहले सीबीडीटी की रिपोर्ट की काॅपी मांग ली है। हालांकि राज्य शासन की तरफ से उन्हें रिपोर्ट की कॉपी अभी तक नहीं दी गई है। इस बीच चुनाव आयोग ने राज्य शासन से इस मामले की स्टेट्स िरपोर्ट मांग ली है। बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार को तीनों आईपीएस सुशोभन बनर्जी, वी. मधुकुमार व संजय माने के खिलाफ कार्यवाही करने की अनुमति दी थी। इसके बाद गृह विभाग ने तीनों आईपीएस अफसरों और राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अरुण कुमार मिश्रा को चार्जशीट की स्वीकृति के लिए प्रस्ताव मुख्यमंत्री के पास भेजा था, लेकिन इसमें करीब एक माह का विलंब हो गया। ऐसे में गृह विभाग ने फरवरी माह में चारों अफसरों को चार्जशीट जारी की।

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