- Hindi News
- Local
- Mp
- Gwalior
- 81 Reservation Was Not Ready On Reservation In The Urban Body, The Government Asked For Time From The High Court, The Next Hearing Will Be On April 26
Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
ग्वालियर14 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
फाइल फोटो- अब 26 अप्रैल को नगरीय निकाय चुनाव में आरक्षण पर रोटेशन प्रक्रिया पर शासन को जवाब पेश करना है
- जब तक याचिका पर फैसला नहीं होता अटके रहेंगे नगरीय निकाय चुनाव
- 13 मार्च को हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने एक याचिका पर सुनवाई की थी
- हाईकोर्ट ने आरक्षण की अधिसूचना पर लगा दी थी रोक
मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव के लिए आरक्षण में रोटेशन प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई होनी थी। शासन को याचिका पर अपना जवाब पेश करना था, लेकिन शासन ने जवाब तैयार न होने का हवाला देते हुए समय मांगा है। इस पर हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने समय देते हुए अगली सुनवाई 26 अप्रैल को करना तय की है। शासन को अगली सुनवाई पर पूरे जवाब के साथ आने के लिए निर्देशित किया है। जब तक आरक्षण की विसंगतियों पर फैसला नहीं हो जाता है नगरीय निकाय चुनाव अधर में ही लटके रहेंगे। शासन की ओर से पैरवी अतिरिक्त महाधिवक्ता ग्वालियर MPS रघुवंशी ने की है।
यह है पूरा मामला
13 मार्च को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ ने नगर निगम, नगर पालिका व नगर पंचायतों के लिए 10 व 11 दिसंबर 2020 को जारी आरक्षण अधिसूचना पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने रोक लगाते हुए कहा था कि शासन ने आरक्षण में रोटेशन प्रक्रिया का पालन नहीं किया है। रोटेशन प्रक्रिया का पालन होना चाहिए। शासन को विस्तृत जवाब पेश करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने यह रोक बहोड़ापुर निवासी अधिवक्ता मनवर्धन सिंह तोमर की जनहित याचिका के बाद लगाई थी। मनवर्धन की ओर से अधिवक्ता अभिषेक सिंह भदौरिया ने तर्क दिया था कि शासन ने 81 नगर निगम, नगर पालिका व नगर पंचायतों को अनुसूचति जाति व जनजाति के लिए आरक्षित किया है। जैसे कि मुरैना व उज्जैन नगर निगम के महापौर का पद वर्ष 2014 में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित था। वर्ष 2020 में भी इन सीटों को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रखा है। नगर पालिका व नगर पंचायतों में भी ऐसा ही किया गया है। जबकि 2020 के चुनाव में रोटेशन प्रणाली का पालन करते हुए बदलाव करना था। रोटेशन प्रक्रिया का पालन नहीं अन्य वर्ग के लोग चुनाव नहीं लड़ पा रहे हैं। ये लोगों के संवैधानिक अधिकारों का हनन है। इसके बाद हाईकोर्ट ने आरक्षण पर रोक लगा दी थी।
अब 26 अप्रैल को क्या
अब 26 अप्रैल को होने वाली सुनवाई में शासन जवाब पेश कर सकता है या फिर आगे और भी समय मांग सकता है। क्योंकि आरक्षण में रोटेशन प्रक्रिया में जवाब तैयार न होने का बहाना बना सकता है। अभी शासन कोरोना में व्यस्त होने का हवाला भी दे सकता है।
इनके आरक्षण को दी गई थी चुनौती
याचिका में मुरैना व उज्जैन नगर निगम के महापौर के आरक्षणों के साथ कुल 81 नगरीय निकाय के अध्यक्ष के आरक्षणों को चुनौती दी गई थी इनमें उज्जैन और नगर निगम के अलावा अन्य नगरीय निकाय इस प्रकार हैं।
– नगर पालिका व नगर पंचायतों में मरकोनिया सागर, दमुआ छिंदवाड़ा, डबरा ग्वालियर, गोहद भिंड, सारनी बैतुल, खुरई सागर, आमला बैतूल, चंदेरी अशोकनगर, बीना इटावा सागर, गोटेगांव नरसिंगपुर, महाराजपुर छतरपुर, नागदा उज्जैन, भिंड, हाटा दमोह, मलाजखंड बालाघाट, झाबुआ, अलीराजपुर, पाली उमरिया, बड़वानी, बिजुरी अनूपपुर, तारिचरकलान टीकमगढ़, निवाड़ी, गोरमी भिंड, पलेरा टीकमगढ़, मकदोन उज्जैन, बरिगर छतरपुर, पवई पन्ना, जैतवारा सतना, काकरहाटि पन्ना, लिधोराखास टीकमगढ़, बमौर मुरैना, सांची रायसेन, खेतिया बड़वानी, जवार सीहोर, चांदला छतरपुर, बिरसिंगपुर सतना, लवकुश छतरपुर, पिपलावन देवास, बडोनी दतिया, खरगपुर टीकमगढ़, कोठी सतना, प्रथ्वीपुर निवाड़ी, सलिचोका नरसिंगपुर, इंदरगढ़ दतिया, सुवसरा मंदसौर, पटेरा दमोह, उचेहरा सतिना, साढोरा अशोकनगर, बड़ागांव टीकमगढ़,करही खरगोन, शाहगढ़ सागर, हथोड इंदौर, छपिहेडा राजगढ, बंडा सागर, मचलपुर राजगढ़, अमानगंज पन्नाा, बडकही छिंदवाड़ा, बदरवास शिवपुरी, गडमल्हारा छतरपुर, दबोह भिंड, मांडव धार, दही धार, अमरकंटक अनूपपुर, मेघनगर झाबुआ, निवास मंडला, अल्सुद बड़वानी, धमनोद रतलाम, सरदारपुर धार, ओमकारेश्वर खंडवा, भूआ बिछिया मंडला, थंडला झाबुआ, जोबट अलीराज पुर, रानापुर झाबुआ, बेहर बालाघर, कांताफोड देवास, नौरोजाबाद उमरिया, कुशी धारा, डिंढोरी, चंदिया उमरिया के आरक्षण को चुनौती दी गई थी।