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- Indecent Language Written Against BJP MP, Collector And Other Officials In The Wall Of Satna Collectorate Premises
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सतना4 मिनट पहले
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सतना कलेक्ट्रेट परिसर स्थित स्मार्ट सिटी कार्यालय के सामने अभद्र भाषा लिखा स्लोगन
- ईश्वर चन्द्र त्रिपाठी के हवाले से लिखा गया स्लोगन, जनप्रतिनिधि के साथ सरकारी अमला भी बना अंजान
- भगवान भरोसे कलेक्ट्रेट परिसर की सुरक्षा, पहले भी परिसर के अदंर गुमटी रख ली गई और अधिकारी नहीं जान पाए
सतना कलेक्ट्रेट परिसर की दीवार में अभद्र भाषा के स्लोगन की तस्वीर सोशल मीडिया में वायरल हो रही है। दीवार में जो स्लोगन लिखा गया है वह ईश्वरचन्द्र त्रिपाठी के हवाले से है। हालांकि ये दावा नहीं किया जा सकता है जो स्लोगन लिखा है वह ईश्वरचन्द्र त्रिपाठी ने ही लिखाया है। सूत्रों का कहना है कि किसी ने ईश्वरचन्द्र त्रिपाठी का नाम लिखकर खुन्नस निकाली है। जबकि प्रशासनिक जानकारों का कहना है कि यह भी नहीं कहा जा सकता कि बीती रात का लिखा ही स्लोगन है।
हो सकता है इन दिनों जिले के आला अधिकारी राज्य सरकार के निर्देश पर दिनभर मास्क अभियान के प्रचार प्रसार में लगे है। वहीं रविवार को छुटृटी थी। जबकि सोमवार को सभी अधिकारी पीएस के दौरे में व्यस्त थे। ऐसे में मंगलवार को कुछ मीडिया कर्मियों की नजर कलेक्ट्रेट परिसर की दीवार में पड़ी तो अभद्र भाषा लिखी हुई मिली। ऐसे में किसी ने ये तस्वीर खींचकर सोशल मीडिया में वायरल कर दी। इस मामले में अभी तक न किसी जनप्रतिनिधि ने प्रतिक्रिया दी है न जिले के आला अधिकारी।
स्लोगन में किसको बनाया निशाना
बता दें कि सतना कलेक्ट्रेट परिसर की बाउंड्री में पहले सतना सांसद गणेश सिंह के खिलाफ अभद्र भाषा के स्लोगन लिखे गए। जहां सांसद को दलाल जैसे शब्द लिखे गए। इसके बाद दूसरे स्लोगन में कलेक्टर अजय कटेसरिया, सिटी मजिस्ट्रेट राजेश शाही, टीआई कोतवाली अर्चना द्विवेदी के संबंध में अभद्र भाषा लिखी गई। हालांंकि अभी तक जनप्रतिनिधि के साथ सरकारी अमला भी पूरे मामले से अंजान है। दावा किया जा रहा है कि पूरे कलेक्ट्रेट परिसर और स्मार्ट सिटी कार्यालय के सामने तक स्लोगन लिखे गए है।
कौन है ईश्वर चन्द्र त्रिपाठी
किसान नेता ईश्वर चन्द्र त्रिपाठी अन्ना हजारे के समर्थक है। वे सतना से लेकर दिल्ली तक हर एक किसान आंदोलन और अन्ना के आंदोलनों में शामिल हो चुके है। वे भारतीय किसान मजदूर संयुक्त यूनियन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी है। जो देशभर में सरकार के खिलाफ पैदल मार्च कर चुके है। वे अक्सर भ्रष्टाचार, महंगाई, अवैध उत्खनन के साथ किसान और गरीब की लड़ाई में लगे रहते है। हाल ही में दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलनों का भी वे नेतृत्व कर चुके है।