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उज्जैन10 मिनट पहले
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- संस्कृत शिक्षण प्रशिक्षण ज्ञान विज्ञान संवर्धन केंद्र ने शिक्षकों को दिया प्रशिक्षण
सभी शिक्षकों को अपने जैसे शिक्षक तैयार करने चाहिए। जो कुछ भी हम जानते हैं उस ज्ञान को अपने छात्र में संप्रेषित करना चाहिए। इससे शिक्षक का शिक्षकत्व द्योतित होता है। विद्या ही एकमात्र साधन है जो खर्च करने से बढ़ता है और खर्च न करने पर घटता है, इसीलिए हमें अपने स्थान पर स्थानीय क्षेत्र में अधिक से अधिक लोगों को ज्ञान बांटना चाहिए। ज्ञान बांटने से बढ़ता है।
महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विवि के उपकुलपति डॉ. मनमोहन उपाध्याय ने यह बात कही। वे विश्वविद्यालय के संस्कृत शिक्षण प्रशिक्षण ज्ञान विज्ञान संवर्धन केंद्र की अगुवाई में 15 दिनी संस्कृत शिक्षक प्रशिक्षण शिविर के समापन पर संबोधित कर रहे थे। इस प्रशिक्षण शिविर में 38 शिक्षकों ने सहभागिता की। जिन्होंने संस्कृत के शिक्षक बनने के लिए व संस्कृत के संभाषण शिविर संचालित करने का प्रशिक्षण प्राप्त किया।
यह शिविर प्रतिदिन विवि के सभाकक्ष में सुबह 11 से दोपहर 12 बजे तक आयोजित किया गया। समापन सत्र में प्रशिक्षकों ने अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा इस प्रकार के शिविर समय-समय पर आयोजित किए जाने चाहिए, जिससे हमें लाभ प्राप्त हो सके। जो हमारे दोष हैं, उनको जान कर उनका परिमार्जन कर सकें। इस दौरान केंद्र की शिक्षिका मीना ठक्कर भी मौजूद थीं।