विपक्ष ने सरकारी भर्तियां ना होने के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है.
Bhopal. आंकड़े बताते हैं कि मध्य प्रदेश (MP) में बैकलॉग के करीब 19000 पद खाली पड़े हैं. शिक्षकों (Teachers) के 40000, पुलिस कर्मचारियों के 18000, पटवारी राजस्व निरीक्षक समेत अलग-अलग विभागों में करीब 80000 पद खाली हैं.
मध्य प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों में उम्र के अनुपात को देखें तो करीब एक लाख कर्मचारी ऐसे हैं जिनकी उम्र 56 साल से ज्यादा है. जबकि 22 हज़ार से ज्यादा कर्मचारी ऐसे हैं जो 60 साल की उम्र को पार कर चुके हैं. साल 2021 में करीब 21 हज़ार कर्मचारी रिटायर होने जा रहे हैं. फिलहाल प्रदेश में नियमित कर्मचारियों की संख्या 5 लाख 55 हज़ार के आसपास है. ऐसे में अंदाज़ा लगाना ज्यादा मुश्किल नहीं है कि आखिर सरकारी सिस्टम इतना सुस्त क्यों है ?
कर्मचारियों की संख्या में उम्र का अनुपात
मध्य प्रदेश के सरकारी विभागों में काम कर रहे सरकारी कर्मचारियों के अनुपात को देखें तो 18 से 21 साल की उम्र के केवल 3504 कर्मचारी हैं. 22 से 25 साल की उम्र के 20054 कर्मचारी, 26 से 30 साल उम्र के 47404, 31 से 35 साल उम्र के 64171, 36 से 40 साल 71667, 41 से 45 साल के 80958, 46 से 50 साल के 82041, 51 से 55 साल के 87056 और 56 से 60 साल के 75592 कर्मचारी हैं. 60 साल से अधिक उम्र के 22544 कर्मचारी अभी ड्यूटी बजा रहे हैं.
क्यों हैं ऐसे हालात ?
सरकारी विभागों में नई नौकरियां ना निकलने की वजह से भी सिस्टम उम्रदराज हो चला है. आंकड़े बताते हैं कि मध्य प्रदेश में बैकलॉग के करीब 19000 पद खाली पड़े हैं. शिक्षकों के 40000, पुलिस कर्मचारियों के 18000, पटवारी राजस्व निरीक्षक समेत अलग-अलग विभागों में करीब 80000 पद खाली हैं. विपक्ष ने सरकारी भर्तियां ना होने के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. कांग्रेस प्रवक्ता भूपेंद्र सिंह का कहना है सरकार ने संविदा को ही नियति मान लिया है. सरकारी नौकरियों में युवाओं की भर्तियां नहीं हो रही हैं. दूसरी तरफ सत्ता पक्ष की ओर से बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है सरकार भर्तियों के लिए लगातार अभियान चला रही है. बीते साल करीब 10,000 सरकारी नौकरियों में भर्तियां की गई थीं.