- Hindi News
- Local
- Mp
- Satna
- Ambulance Stop In Critical Condition, Doctor Was Missing, Stretcher Not Found For 20 Minutes
Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
सतना3 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
ADJ के निधन के बाद ट्रॉमा सेंटर पहुंचे अन्य न्यायाधीश
- अब अंतिम संस्कार में लकड़ी देने से इंकार, नगर निगम प्रशासन ने दिखाया असंवेदनशील व्यवहार
जिला न्यायालय के ADJ की कोरोना से मौत के पहले स्वास्थ्य विभाग ने इलाज में हद दर्जे की लापरवाही की है। बताया गया कि जब 108 एम्बुलेंस का स्टाफ कोरोना पॉजिटिव ADJ को गंभीर हालत में लेकर बुधवार दोपहर 3.45 बजे ट्राॅमा यूनिट में बनाए गए इंफेक्सियम डिसीज कंट्रोल वार्ड पहुंचा। जहां पर न्यायाधीश को वार्ड में शिफ्ट करने के लिए स्ट्रेचर, व्हील चेयर नहीं मिली। ऊपर से मौके पर मौजूद स्टाफ नर्स, वार्ड ब्यॉय ने पूछने पर भी नहीं बताया कि स्ट्रेचर और व्हील चेयर कहां है।
एंबुलेंस का स्टाफ 20 मिनट की मशक्कत के बाद व्हील चेयर पर न्यायाधीश को बैठाकर वार्ड लेकर पहुंचा तो वहां कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था। स्टाफ नर्स बोली कि उन्हें ओपीडी लेकर जाओ वहां पर्चा कटवाओ और डॉक्टर से लिखवाकर लाओ कि कहां दाखिल करना है। तब तक न्यायाधीश के परिजन पहुंच गए। उनके अनुरोध के बाद न्यायाधीश को वार्ड में दाखिल किया गया, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी।
और अब अंतिम संस्कार में लकड़ी देने से इंकार
बताया गया कि न्यायाधीश के परिजन गुरुवार सुबह 9 बजे नारायण तालाब स्थित मुक्तिधाम पहुंचे तो अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी देने से मना कर दिया गया। आरोप है कि नगर निगम प्रशासन ने असंवेदनशील व्यवहार दिखाते हुए कहा कि हमारे पास लकड़ी नहीं है। आपको खुद लकड़ी का इंतजाम करना होगा। ऐसे में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन कराने के लिए खड़ी कोलगवां पुलिस ने आनन-फानन में लकड़ी का इंतजाम किया। तब कहीं जाकर कोरोना से मृत जज का अंतिम संस्कर किया गया।
इलाज में लापरवाही पर आक्रोश, CMHO को ठहराया जिम्मेदार
अधिवक्ताओं का स्पष्ट आरोप है कि ADJ की मौत का कारण अकेला कोरोना नहीं बल्कि कोरोना इलाज में जिले के जिम्मेदार डॉक्टर्स की लापरवाही है। इसका सीधा दोषी CMHO हैं। जब एक जज के इलाज में ऐसी लापरवाही हुई तो आमजन के इलाज में क्या हो रहा होगा। जब जज होम आइसोलेट थे तो शासन के चिकित्सा प्रोटोकॉल के अनुसार जज से टेलीमेडिसिन से वीडियो कॉल पर निगरानी क्यो नही की गई। क्यो नहीं प्रतिदिन जज के विभिन्न पैरामीटर की जानकारी ली गई। अगर हालात नहीं सुधर रहे थे उच्च संस्थान में रेफर क्यो नहीं किया?
भगवान भरोसे हो रहा था जज का इलाज
आरोप है कि जज को यहां के चिकित्सा सिस्टम ने भगवान भरोसे छोड़ दिया। आगे और गजब ये रहा कि अस्पताल में जब जज पहुंचे तो वहां डॉक्टर तक नहीं मिले। नर्सिंग स्टाफ इलाज छोड़ पर्चा-पर्चा खेलने लगीं। ये सब तब था जब CMHO को बोल कर जज ने खुद एम्बुलेंस बुलवाई। मतलब गम्भीरता में हद दर्जे की लापरवाही हुई और अंत में दुःखद समाचार मौत के रूप में सामने आया। रही कसर नगर निगम ने अंतिम संस्कार में पूरी कर दी। जहां उनको अंतिम संस्कार करने के लिए लकड़ी तक नहीं दे पाए।
ये हैं वीडियो कॉल के प्रश्न (ADJ का इलाज भी इन बिंदुओं पर होना था लेकिन ऐसा नहीं हुआ)
1. आप आज कैसा महसूस कर रहें है?
2. आपको बुखार, सर्दी-खांसी, सांस लेने की कठिनाई अथवा सीने में जकड़न जैसे लक्षण तो नहीं है?
3. क्या आपने अपना तापमान तथा ऑक्सीजन सेचुरेशन की जांच की है?
4.दिन में कितनी बार जांच कर रहें है? क्या कम से कम 3 बार रोजाना जांच कर रहें हैं?
5. अभी आपका तापमान एवं ऑक्सीजन सेचुरेशन कितना है?
6. कमरे में चलने-फिरने या शौच जाते समय सांस तो नहीं फूल रही है?
7. क्या आप डॉक्टर की सलाह अनुरूप दवाईयां खा रहें है?
8. क्या दवाई खाने के बावजूद आपको हल्का बुखार तो नहीं है?
9. क्या आप घर के अन्य सदस्यों के संपर्क में तो नहीं हैं?
10. क्या घर के किसी अन्य सदस्य को बुखार, सर्दी-खांसी, सांस लेने की कठिनाई जैसे लक्षण तो नहीं हैं?
(होम आइसोलेटेड व्यक्ति से वीडियो कॉल पर चर्चा हेतु कुछ सांकेतिक प्रश्न)