Masik Shivratri 2021: मासिक शिवरात्रि में महाकाल भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए पढ़ें आरती और कथा

Masik Shivratri 2021: मासिक शिवरात्रि में महाकाल भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए पढ़ें आरती और कथा


Masik Shivratri 2021 Katha And Shiv Ji Aarti- आज 10 अप्रैल, शनिवार को मासिक शिवरात्रि है. सुबह से ही शिवमंदिर में भोलेशंकर के दर्शन के लिए भक्त जा रहे हैं. आज भक्तों ने महाकाल भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखा है और पूजा अर्चना कर रहे हैं. भक्तों ने भोलेशंकर को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग पर दूध, धतूरा, भांग, बिल्वपत्र, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पुष्प अर्पित किया. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव का दर्शन, व्रत और पूजा करने वाले भक्तों पर भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं. आइए जानते हैं मासिक शिवरात्रि की कथा और भोलेशंकर की आरती…

मासिक शिवरात्रि की व्रत कथा:

पौराणिक कथाओं और धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, शिव जी महाशिवरात्रि के दिन मध्य रात्रि के समय शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे. उनके शिवलिंग में प्रकट होने के बाद सबसे पहले उनकी पूजा भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु ने की थी. तब से लेकर आज तक इसी दिन भगवान शिव का जन्मदिवस बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. पुराणों में भी शिवरात्रि पर किए जाने ल्रत का जिक्र किया गया है. शास्त्रों के अनुसार, माता लक्ष्मी, मां सरस्वती, गायत्री, सीता, पार्वती जैसे देवियों ने भी अपने जीवन के उद्धार के लिए शिवरात्रि का व्रत किया था. मासिक शिवरात्रि से सुख और शांति प्राप्त होती है. माना जाता है कि यह व्रत संतान प्राप्ति, रोगों से मुक्ति पाने के लिए भी किया जाता है.
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जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव…॥ (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारी पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)





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