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- More Than 40% Of Infection Is Needed After Spreading, Not Needing To Apply Every Corona Patient
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इंदौर5 मिनट पहले
रेसीड़ेंसी कोठी आयोजित की गई ब�
शायद यह सुखद खबर उन सभी कोरोना मरीज के परिजनों के लिए है जो कि दिन -रात एक कर रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए रोजाना घंटों कतारों में खड़े रहते हैं। इंदौर रेसीडेंसी कोठी पर एक बैठक के दौरान कई डॉक्टरों का मानना था कि यह इंजेक्शन केवल उन्हें मरीजों के लिए है जिन्हें 40% से अधिक फेफड़ों में संक्रमण है आम जनता में या भ्रम फैल चुका है कि यह इंजेक्शन सभी कोरोना पेशेंट को लगाना अनिवार्य है।
शनिवार को हुई रैसीड़ेंसी कोठी पर एक बैठक के दौरान सुमित शुक्ला और डॉ अनिल भंडारी ने बताया कि कि 3 जुलाई 2020 को केंद्र सरकार और WHO ने रेमडेसिविर को गाइडलाइन जारी की थी कि इसका इस्तेमाल किन मरीजों पर किया जाना है। जो मरीज अभी गंभीर नहीं हैं और न ही नया है, जिसे डॉ की भाषा में मॉडरेट मरीज कहा जाता है। ऐसे मरीजों में ऑक्सीजन की कमी होने लगे, तो उन्हें रेमडेसिविर का इंजेक्शन देना जरूरी है। प्रत्येक कोरोनावायरस को लगाने की जरूरत नहीं तुरंत सिटीस्कैन जरूरी नहीं है। इससे बहुत कुछ जानकारी नहीं मिलती है। तीन से चार दिन बाद सिटीस्कैन करवाने से ज्यादा जानकारी मिल पाती है। इससे सिटीस्कैन सेंटर पर लोग बेवजह भीड़ बढ़ा रहे हैं। होम आइसोलेशन के लिए डॉ की सलाह जरूरी है। इसके लिए भी गाइडलाइन तय है। होम आइसोलेट वालों के लिए सामान्य ट्रीटमेंट ही काफी है। हम पहले दिन से क हवा हुआह रहे हैं कि अस्सी फीसद लोगों के लिए कोरोना एक सामान्य फ्लू जैसा इंजेक्शन है, लेकिन डॉ की सलाह से इलाज लेना जरूरी है। डॉ. का कहना है कि गाइडलाइन तय होने वाली है, जिसमें क्वालिफाइड एक्सपोर्ट लोग बताएंगे कि रेमडिसिविर घर बुलाकर लेने वाली दवा नहीं है। न इसकी उतनी जरूरत है।
MGM कॉलेज को मिले 5 हजार रेमडेसिविर–
प्रदेश के बारह मेडिकल कॉलेजों में रेमडेसिविर इंजेक्शन शासन मुफ्त मुहैया करवा रहा है, एमजीएम मेडिकल कॉलेज को 5 हजार इंजेक्शन दिए गए हैं। कॉलेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित ने बताया कि सरकारी मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पतालों को मांग के हिसाब से रेमडेसिविर दिए जाएंगे। इंदौर के अलावा ग्वालियर, जबलपुर, रीवा, रतलाम, खंडवा, विदिशा, सागर, शिवपुरी, दतिया, छिंदवाड़ा और शहडोल को रेमडेसिविर का सह्रश्वलाय होगा, जिसके लिए एक ह्रश्वलान बनाया गया है। एमजीएम मेडिकल कॉलेज को वेयर हाउस बनाया गया है।
छोटे अस्पतालों ने की शुरुआत —
मिली जानकारी के अनुसार छोटे अस्पतालों में हर मरीज को रेमडेसिविर लाने के लिए कहा जा रहा है। एमजीएम मेडिकल कॉलेज के कुछ डॉक्टरो का कहना है कि ज्यादातर छोटे अस्पतालों में बीएमएस डॉक्टर मरीजों को देख रहे हैं। इन्हें ये जानकारी नहीं कि रेमडेसिविर किन परिस्थितियों में जरूरी है। साधारण मरीज को नहीं लगाया जा सकता, फिर भी छोटे अस्पताल हर भर्ती मरीज को रेमडेसिविर लाने के लिए कह रहे हैं और इसी कारण रेमडेसिविर को लेकर परेशानी हो रही है। विशेष अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सुमित शुक्ला का कहना है कि अगर 300 सौ मरीज भर्ती हैं, तो सिर्फ 100 मरीजो को रेमडेसिविर की जरूरत पड़ती है, वो भी तब जब फेफड़ों में संक्रमण चालीस फीसद से ज्यादा हो।
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