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- I Do Not Hide My Displeasure, I Bring Only A Few Things On Social Media, Sit In Front Of The CM, Then I Speak Many Times
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जबलपुर18 मिनट पहलेलेखक: संतोष सिंह
BJP विधायक अजय विश्नोई ने बेबाकी से बात रखी।
मध्यप्रदेश सरकार के कोरोना के मौत के आंकड़ों पर सवाल उठाकर BJP के विधायक अजय विश्नोई फिर सुर्खियों में है। उनके इस तेवर से सरकार हैरत में है। वे जबलपुर-महाकौशल की अनदेखी पर सरकार की खिंचाई करते रहे हैं। भरी बैठक में हुए ताजा मामले में तो CM को दखल देकर चुप कराना पड़ा। विश्नोई जबलपुर के पाटन से विधायक हैं और पूर्व में स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं। अपनी ही सरकार से नाराज विधायक और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अजय विश्नोई से दैनिक भास्कर की खास बातचीत-
Q: भरी बैठक के बीच CM को आपको क्यों टोकना पड़ा, ऐसी क्या बात कह दी?
जवाब: कोरोना संक्रमितों की संख्या, मौत व इलाज के आंकड़ों पर बात हो रही थी। आंकड़ों में कमतर बातें बताई जा रही थी। इसी पर मैने कहा कि सुलेमान जी (स्वास्थ्य विभाग के ACS), ये जो आंकड़े आप बता रहे हैं तो फिर कोई परेशानी की बात ही नहीं है। फिर जनता परेशान क्यों है? अस्पतालों में बेड क्यों नहीं मिल पा रहे हैं? दवा क्यों नहीं मिल रही है? ऑक्सीजन की व्यवस्थाएं क्यों नहीं हो रही? सच्चाई! इसलिए जान लीजिए। मौतें अखबार में छापते हैं एक, दो, तीन चार। जबकि चौहानी शमशान में ही रोज 14 से 20 मौतें हो रही हैं। ये आंकड़े क्यों छिपाए जा रहे हैं। सच्चाई से जनता उससे सचेत होगी। बस यही बताया।
Q: जिला क्राइसिस मैनेजमेंट की बैठक में और क्या हुआ था? जो आपको ऐसा बोलना पड़ा?
जवाब: जनप्रतिनिधि होने के नाते जिला क्राइसिस मैनेजमेंट का सदस्य हूं। इस कारण मैं बैठक में गया था। हम वहां बैठते हैं तो हमारा काम सिर्फ सुनना ही नहीं होता है। जब वर्चुअल मीटिंग हो रही है। वे वहां से बैठकर स्थिति बता रहे हैं और हमारा काम है कि हम यहां की वस्तुस्थिति से अवगत कराएं। जबलपुर की जो स्थिति है, उसे मैंने सामने रखा।
Q: क्या आपको भी लगता है कि जिला प्रशासन लगातार संक्रमण और मौतों की संख्या छिपा रहा है?
जवाब: हां। यह जिला प्रशासन की हठधर्मिता है, मैं तो इसी बात को कह रहा हूं। ये प्रदेश सरकार का काम है। जिला प्रशासन जनता को अंधेरे में क्यों रख रहा है? और जनता को अंधेरे में रखने से क्या फायदा है? यदि हम मौतें कम बताएंगे, तो किसका भला होगा? इस बात का जवाब कोई तो दे, जिला प्रशासन दे। या प्रदेश सरकार दे। गलत अजय विश्नोई बोल रहा है, गलत प्रेस बोल रही है, गलत शमशान घाट के आंकड़े बोल रहे हैं या गलत प्रशासन के आंकड़े बोल रहे हैं।
Q: लगातार ऐसा क्यों हो रहा है कि अपनी ही सरकार में आपको सोशल मीडिया पर आवाज उठाना पड़ती है?
जवाब: क्षमा करें! आपको लगता होगा कि सोशल मीडिया पर ही बात रखता हूं। आमने-सामने बैठता हूं तो CM को इससे कई गुना ज्यादा बोलता हूं। लगातार CM को विभिन्न विषयों पर चौकन्ना करता हूं। चिट्ठी और फोन पर भी।
Q: फिर भी लगता है कि अजय विश्नोई सरकार से नाराज हैं। ऐसा है ना?
जवाब: सरकार को लेकर नाराजगी नहीं हो सकती है। सरकार के कुछ कामों और गतविधियों को लेकर नाराजगी होती है। जब भी लगता है, अपनी नाराजगी छुपाता नहीं। सामने लेकर आता हूं। पर मुख्यमंत्री से एक भी बात नहीं छिपाता हूं जबकि प्रेस से छुपाता हूं।
Q: जबलपुर को प्रतिनिधित्व नहीं मिला। जबलपुर और महाकौशल की आवाज कैसे उठ पाएगी?
जवाब: उसकी चिंता मत करिए। जब तक अजय विश्नोई है, महाकौशल की आवाज उठती रहेगी। प्रतिनिधित्व नहीं मिला, यह बात सच है। उसका नुकसान भी है। बहुत सी चीजों का नुकसान है। बहुत से आंकड़े हैं। पता करा लीजिए कि आज की तारीख में इंदौर, भोपाल व जबलपुर में कितने मरीज हैं। सरकारी आंकड़ों को ही ले लीजिए। फिर ये देख लीजिए कि इंदौर व भोपाल में कितने रेमडेसिविर इंजेक्शन की व्यवस्था हुई। और जबलपुर को कितना मिला? यही नुकसान होता है।
Q: जिले में रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर मारामारी मची है। ब्लैक में इसे बेचा जा रहा है।
जवाब: रेमडेसिविर इंजेक्शन की उपलब्धता का सवाल है तो सरकार कोशिश कर रही है। खरीद तब पाएगी जब बाजार में उपलब्ध रहेगा। 80 हजार या एक लाख इंजेक्शन खरीद भी लेंगे, तो इतने से MP के मरीजों की थोड़ी सी ही मदद होगी, पूरी नहीं। कालाबाजारी रोकना चाहिए।
Q: आखिर जिला प्रशासन कोरोना संक्रमण और मौत के आंकड़े क्यों छुपा रहा है। इसके पीछे का उद्देश्य क्या है?
जवाब: मैं नहीं समझ सकता हूं कि छिपाने के पीछे कोई उद्देश्य होना चाहिए। कुल मिलाकर प्रशासन उनको (CM को) गुमराह कर रहा है। इसलिए मेरा काम, हमारे मुख्यमंत्री को सचेत करना था कि आप सच्चाई को जानिए और सच्चाई के जो आंकड़े हैं, उसके हिसाब से अपनी गतिविधियों को तय कीजिए।
Q: आप स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं। कोविड के नियंत्रण को लेकर क्या बेहतर प्लान हो सकता है?
जवाब: स्वास्थ्य मंत्री का जो मेरा अनुभव है, वह बहुत पुराना है। तब की और आज की परिस्थितियों में फर्क है। उस अनुभव के लाइन पर आज की तारीख में कोई कमेंट नहीं कर सकता। पर स्वास्थ्य मंत्री होने या नहीं होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। नेतृत्व को भौतिक धरातल की परिस्थितियों को देखकर तात्कालिक निर्णय लेने पड़ते हैं। जनप्रतिनिधि होने के साथ एक अस्पताल भी चला रहा हूं। इस कारण मुझे मालूम है कि परेशानियां क्या आ रही है? मरीजों को क्या परेशानी जा रही है।
Q: रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर पिछले दिनों कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से आपकी क्या चर्चा हुई थी?
जवाब: रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी है जिसके कारण मरीज परेशान हैं। शुक्रवार को नरेंद्र तोमर जी से मैं एयरपोर्ट पर जाकर मिला था। अनुरोध किया था कि केंद्र सरकार से बात कीजिए और रेमडेसिविर इंजेक्शन के निर्यात पर रोक लगा दीजिए। खुशी की बात है कि निर्यात पर रोक लगा दी गई। रेमडेसिविर इंजेक्शन की समस्या चार-पांच दिनों में दूर हो जाएगी।