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मुरैनाएक घंटा पहले
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- सुसाइड नोट की फोटो हमें नहीं दी गई क्योंकि हम पहचान जाते उसकी राइटिंग है या नहीं
- जब हमने सामान से छेड़छाड़ करने के लिए इंकार किया था तो क्यों खोला उसका बैग
मुरैना। मेरे भाई हरेंद्र राणा ने आत्महत्या नहीं की है। वह आत्महत्या कर ही नहीं सकता है, क्योंकि उसके सामने कोई ठोस वजह नहीं थी। उसका हमारे पास मैसेज आया था कि, भाई हमारे बड़े बैग में रखी डायरी के 16 सितंबर के पेज को देख लेना। लेकिन जब हमने पेज देखा तो 16 सितंबर का पेज खाली था तथा उसमें अलग से फटा हुआ सुसाइड नोट रखा हुआ था। जब हमने पुलिस से कहा कि हमें सुसाइड नोट की फोटो खींचकर भेज दो तो वह भी नहीं भेजी।
डिजिटल भास्कर को फोन पर दिए संक्षिप्त साक्षात्कार में हरेंद्र राणा के छोटे भाई देवेंद्र राणा ने बताया कि जब उन्हें पता लगा कि उनके भाई ने आत्महत्या कर ली है, तो उन्होंने पुलिस से कहा था कि वह उसको उन लोगों के आने तक कहीं न ले जाएं और न ही उसके सामान के साथ छेड़छाड़ करें। लेकिन पुलिस ने उनकी बात को न मानते हुए न केवल उसके बैग के लॉक को तोड़कर डायरी निकाल ली, बल्कि उसको अस्पताल भी ले गए। देवेंद्र राणा का साफ कहना है कि इसमें पुलिस के कुछ अधिकारी शामिल है जो अपने आप को बचाने में लगे हैं।
दो मैसेज किए थे हरेंद्र ने
मरने से पहले हरेंद्र राणा ने अपने भाई देवेंद्र को मोबाइल पर 2 मैसेज किए थे। पहले मैसेज में लिखा था कि भाई डायरी में पेज नंबर 16 सितंबर को देख लेना। बड़े बैग में है। उसके पास दो बैग थे जिनमें एक पिट्ठू बैग तथा दूसरा बड़ा बैग था जिसमें डायरी रखी हुई थी। उसके बाद हरेंद्र ने दूसरा मैसेज किया था जिसमे लिखा था कि प्रेम, सचिन, नरेश व सत्यपाल को बचा लेना। यह चारों ही सिपाही हरेंद्र के साथ रहते थे।
अधिकारियों ने इस प्रकार बोला झूठ
हरेंद्र के भाई देवेंद्र ने बताया कि जब उन्हें इस बात की जानकारी लगी कि उनके भाई ने आत्महत्या कर ली है तो उन्होंने पुलिस से कहा था कि उसके सामान के साथ छेड़छाड़ न करें और न ही उनके भाई को कहीं ले जाएं, लेकिन उनके पिता के वहां पहुंचने से पहले ही पुलिस ने उसके बैग को खंगाल लिया और उसको अस्पताल ले गए। उसने जब पुलिस वालों से कहा कि उसकी इजाजत के बिना वह कैसे उसे अस्पताल ले गए तो उन्होंने कहा कि उनके पिता से पूछ लिया था तथा उन्होंने ही ले जाने के लिए कहा था और सामान भी खगालने के लिए कहा था। जब देवेंद्र ने अपने पिता से इस संबंध में पूछा तो पिता ने कहा कि मेरी किसी से कोई बात ही नहीं हुई है। अब सवाल यह उठता है कि यहां पुलिस ने झूठ क्यों बोला?
बेहद गरीबी में पढ़ाया है हरेंद्र के पिता ने
देवेंद्र सिंह राणा ने बताया कि उसके पिता यूपी में होमगार्ड की नौकरी करते थे। जब नौकरी नहीं होती थी तो प्राइवेट नौकरी करते थे। वे तीन भाई बहन है। सबसे बड़ी बहन है उसका नाम विनीता है, उसके बाद देवेंद्र तथा हरेंद्र तीसरे नंबर का व सबसे छोटा था। बेहद गरीबी के कारण इन भाई बहनों को कभी-कभी एक वक्त का खाना ही नसीब हो पाता था।
एक व्यक्ति नहीं दबा सकता मेरे भाई को
देवेंद्र राणा ने बताया कि उसके भाई की लंबाई साडे 6 फुट थी तथा 90 किलो वजन था। इसलिए किसी अकेले व्यक्ति का उस पर काबू पाना नामुमकिन था।
पुलिस ने क्यों तोड़ा बैंग का लॉक
देवेंद्र राणा ने बताया कि जिस बड़े बैग में डायरी रखी हुई थी। उसका लाक नंबर 7486 था। जिसे पुलिस ने तोड़ कर न केवल डायरी निकाल दी बल्कि अन्य सामान भी अस्त-व्यस्त कर दिया।
पुलिस के किन अधिकारियों के टारगेट में था हरेंद्र
पुलिस को मिले सुसाइड नोट में हरेंद्र ने लिखा है कि वह सभी को बहुत प्यार करता है तथा वह पुलिस के कुछ अधिकारियों के टारगेट में था। सवाल यह उठता है कि वह कौन अधिकारी है जिनकी वजह से हरेंद्र मौत को गले लगाने के लिए मजबूर हुआ।
वर्जन
हम हरेंद्र की मौत को आत्महत्या ही मान रहे हैं क्योंकि कमरे के अंदर से कुंडी लगी हुई थी तथा कोई दूसरा व्यक्ति नहीं था। जहां तक हाथ पैर बंधे एवं मुंह में कपड़ा ठुसे होने का सवाल है इस एंगल पर जांच चल रही है। जिन अधिकारियों के वह टारगेट पर था उनकी भी जानकारी ली जा रही है।
सुनील कुमार पांडे, पुलिस अधीक्षक मुरैना