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मध्यप्रदेश2 मिनट पहले
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इंदौर के गुर्जर अस्पताल में रविवार को ऑक्सीजन खत्म होने की नौबत आ गई। देर रात अस्पताल प्रबंधन ने मरीजों को कह दिया कि ऑक्सीजन खत्म होने वाली है, किसी और अस्पताल में शिफ्ट हो जाएं। इस पर मरीज के परिजन बाइक और कार से सिलेंडर लेकर पहुंचे।
- सरकार अब वातावरण से ऑक्सीजन खींचने वाली 2000 मशीनें खरीदेगी
मध्यप्रदेश में लॉकडाउन और नाइट कर्फ्यू के बाद भी संक्रमण की रफ्तार कम नहीं हो रही है। प्रदेश के 4 बडे़ शहरों में सबसे ज्यादा स्थिति खराब है। 50 फीसदी से ज्यादा मरीज इन्हीं शहरों में मिल रहे हैं। यहां 24 घंटे के अंदर 22 मौतों के साथ 27 हजार से ज्यादा केस आए हैं, जबकि शनिवार को सिर्फ 14 मौतें हुई थीं। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग के बेटे और भांजी भी संक्रमित हो गए हैं।
कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या और ऑक्सीजन की डिमांड को देखते हुए राज्य सरकार अब वातावरण से ऑक्सीजन खींचने वाली 2000 मशीनें खरीदने जा रही है। ‘ऑक्सीजन कंसंट्रेटर’ कही जाने वाली यह मशीन हर जिला अस्पताल में भेजी जाएंगी। कोविड-19 के फर्स्ट स्ट्रेन में 2000 मशीनें केंद्र सरकार ने दी थी। अबकी बार मप्र खुद इतनी ही खरीदने जा रहा है। एक सप्ताह के भीतर यह मशीन मप्र को मिलेगी। इससे प्रति मिनट 1 से 6 लीटर तक मेडिकल ऑक्सीजन बनाने और जारी करने की क्षमता होती है।
मध्यप्रदेश में कोरोना के हालात बिगड़ने का असर सरकारी तंत्र पर पड़ा है। राज्य शासन ने सरकारी कार्यालयों में कर्मचारियों की उपस्थिति सीमित कर दी है। मंत्रालय व राज्य स्तरीय कार्यालयों में तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की उपस्थिति 25% रोटेशन से होगी, जबकि प्रथम और द्वितीय श्रेणी के अधिकारियों की उपस्थिति शत-प्रतिशत रहेगी। जिलों में इस संबंध में कलेक्टर निर्णय लेंगे।
भोपाल: वेंटिलेटर पर 700 मरीज
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर भयावह हो गई है। यहां 24 घंटे में 823 मरीज सामने आए हैं, जहां 6 की मौत हुई है। हालत ये है कि शहर के 51 सरकारी और निजी अस्पतालों में मौजूद 900 से ज्यादा वेंटिलेटर में से 700 पर संक्रमित भर्ती हैं। इनमें भी कई मरीज गंभीर हैं। सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने अप्रैल के 10 दिन में 40 वेंटिलेटर बढ़ाए, लेकिन इन्हीं दिनों में शहर में 5647 संक्रमित मिल चुके हैं। बता दें कि पूरे मार्च में 7820 मरीज मिले थे।
10 में से 8 मरीजों को सीटी में संक्रमण
कोरोना की पहली लहर में भोपाल में हर 10 में से 2-3 मरीज के एचआर सीटी में संक्रमण मिलता था। चार-पांच का संक्रमण स्कोर जीरो होता था, लेकिन अब 10 में से 8 मरीजों के सीटी में संक्रमण है। पहले पांच या उससे कम स्कोर वाले ज्यादा थे, अब 5 से अधिक स्कोर वाले ज्यादा हैं।
इंदौर: नए केस बढ़ने के साथ मौतें भी बढ़ रही हैं
कोरोना के मामलों में इंदौर सबसे ज्यादा संवेदनशील शहर हो गया है। यहां लगातार मरीजों की संख्या बढ़ रही है। 923 संक्रमित मिले हैं, जहां 6 की मौत हुई है। एक दिन पहले यहां 5 मौतें हुई थीं। रविवार को यहां के गुर्जर अस्पताल में रविवार को ऑक्सीजन खत्म होने की नौबत आ गई। देर रात अस्पताल प्रबंधन ने मरीजों को कह दिया कि ऑक्सीजन खत्म होने वाली है, किसी और अस्पताल में शिफ्ट हो जाएं। इस पर मरीज के परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया। थोड़ी देर बाद परिजन ने भागदौड़ शुरू की और खुद ही बाइक व कार पर रखकर सिलेंडर लाए। इसी बीच वेंटिलेटर पर एक मरीज की मृत्यु हो गई। बाद में अस्पताल प्रबंधन ने स्पष्ट किया कि मरीज गंभीर था।
ग्वालियर: 515 संक्रमित मिले, मां-बेटी समेत 6 की मौत
प्रदेश में ग्वालियर तीसरा सबसे संक्रमित जिला बन गया है। रविवार को 1924 सैंपल में से 515 लोगों की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई है। मां-बेटी समेत 6 लोगों की मौत भी हुई है। यहां संक्रमण दर 26 फीसदी पहुंच गया है। जिला प्रशासन ने शहर के 3 वार्ड के 15 से अधिक इलाकों में कंटेनमेंट जोन घोषित किया है। 19 अप्रैल तक यहां लॉकडाउन रहेगा।
जबलपुर: 496 केस सामने आए, 18 में बिका रेमडेसिवर इंजेक्शन
24 घंटे में यहां 469 नए संक्रमित सामने आए। अप्रैल में पिछले 11 दिनों में रोज एक दिन पहले का रिकॉर्ड टूट रहा है। जिले में तीन दिन में एक हजार से अधिक नए संक्रमित सामने आ गए। 11 दिनों में तीन हजार कोरोना के नए संक्रमित सामने आए हैं। एक्टिव केस 2656 है। सितंबर 2020 में भी कोरोना की रफ्तार ऐसी नहीं थी। संक्रमण के बीच रेमडेसिविर का एक इंजेक्शन ब्लैक में 18 हजार रुपए में बेचा जा रहा है। एसडीएम ने सूचना पर मढ़ाताल स्थित मनीष मेडिकल को सील कर दिया।