आंकड़ों के मुताबिक हर साल की तुलना में इस बार कोरोना संकट के दौर मे पश्चिम मध्य रेलवे ने 13% अधिक माल की ढुलाई की. जो तय टारगेट से 6% अधिक रहा.
Jabalpur. कोरोना संकट काल में पश्चिम मध्य रेल जोन ने 43.72 मिलियन मीट्रिक टन माल की ढुलाई की. एक और खास बात यह है कि पश्चिम मध्य रेल में दौड़ने वाली मालवाहक ट्रेनों की सबसे ज्यादा औसत स्पीड दर्ज की गई
कोरोना संकट अपने भयावह दौर में है. जब इसकी शुरुआत हुई तब से लेकर अब तक हमने जिंदगी रुकते देखी. फिर वापस जिंदगी में पटरी पर लौटना और उसी पर तेज भागना भी सीखा. कहने को लॉकडाउन हर किसी को कोई न कोई सीख दे गया. इस बीच एक अहम खबर भारतीय रेल के पश्चिम मध्य रेल जोन से भी सामने आई है. जब ट्रेनों के पहिए थम गए थे और यात्री परिवहन सेवाएं पूर्ण तरीके से ठप्प पड़ी थीं. तब भी रेलवे ने आम लोगों के सहयोग और अर्थव्यवस्था को बनाए रखने में एक अहम किरदार निभाया.
3965 करोड़ का फायदा
माल गाड़ियों के संचालन से पश्चिम मध्य रेलवे ने पूरे भारत भर को जोड़े रखा. इसके साथ ही 2003 से अपनी स्थापना के इतने साल तक का अब तक का रिकॉर्ड भी पश्चिम मध्य रेल जोन ने बनाया. कोरोना संकट काल में पश्चिम मध्य रेल जोन ने 43.72 मिलियन मीट्रिक टन माल की ढुलाई की. इससे उसे 3965 करोड़ का फायदा हुआ. पश्चिम मध्य रेल जोन ने कोरोना संक्रमण के दौरान सीमेंट, फर्टिलाइज़र, अनाज, आयरन ओर सभी प्रकार के परिवहन में खुद को आगे रखा.बांग्लादेश से लेकर विशाखापट्टनम तक
पश्चिम मध्य रेल जोन की ओर से बनाई गई बिजनेस डेवलपमेंट यूनिट ने सराहनीय काम किया. ताकि रेलवे की आर्थिक हालात खराब नहीं हो सके. आज पश्चिम मध्य रेलवे बांग्लादेश में ट्रैक्टर समेत अन्य ऑटोमोबाइल और डुंडी से लेकर विशाखापट्टनम तक आयरन ओर की सप्लाई कर रहा है.
सबसे तेज़ स्पीड
आंकड़ों के मुताबिक हर साल की तुलना में इस बार कोरोना संकट के दौर मे पश्चिम मध्य रेलवे ने 13% अधिक माल की ढुलाई की. जो तय टारगेट से 6% अधिक रहा. एक और खास बात यह है कि पश्चिम मध्य रेल में दौड़ने वाली मालवाहक ट्रेनों की सबसे ज्यादा औसत स्पीड दर्ज की गई जो देशभर में भी पहले नंबर पर है. पश्चिम मध्य रेल जोन में माल गाड़ियां 57 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ती हैं जो देश भर में सर्वाधिक है.