IPL 2021: क्रिकेट के इस अर्जुन पर अनोखे चक्रव्यूह से निकलने की चुनौती

IPL 2021: क्रिकेट के इस अर्जुन पर अनोखे चक्रव्यूह से निकलने की चुनौती


‘सिर्फ इसलिए कि वो सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) का बेटा है, आप अपना कीमती समय सिर्फ एक बच्चे की प्रैक्टिस को शूट करने में बिता रहे हो. आप बच्चे को कृपया छोड़ दीजिए और कोशिश कीजिए कि सचिन आपके साथ इंटरव्यू के लिए तैयार हों.’ साउथ अफ्रीका के पूर्व कप्तान शॉन पोलक ने जब मुझे बेहद सख्त लेकिन शालीन तरीके से हिदायत दी तो मुझे बुरा नहीं लगा. ये बात 2009 आईपीएल की है जिसका आयोजन साउथ अफ्रीका में हो रहा था. पहली बार 10 साल के अर्जुन तेंदुलकर (Arjun Tendulkar) को पोलक जैसे दिगग्ज के ख़िलाफ़ नेट्स पर गेंदबाज़ी करते देखना अभूतपूर्व नज़ारा था. पोलक उस वक्त मुंबई इंडियंस के कोच थे. डरबन में अप्रैल में करीब 12 साल पहले जिस सफर की शुरुआत हुई थी, अब वो एक अलग पड़ाव पर पहुंच चुकी है. अब अर्जुन तेंदुलकर अपने पिता की वजह से मुंबई इंडियंस (Mumbai Indians) के अभ्यास सत्र में हिस्सा ना लेकर एक उभरते हुए खिलाड़ी की तरह इस चैंपियन टीम का हिस्सा है.

आप लोग उसे अकेला छोड़ दें…
वैसे, पोलक की बात मानते हुए मैं तेंदुलकर के पास इटंरव्यू के लिए गया था लेकिन मैं पिता के बजाए बेटे का पहला और एक्सकलूसिव इटंरव्यू करना चाहता था. अपने स्वभाव के मुताबिक सचिन ने बड़ी विनम्रता से मेरी गुज़ारिश को ठुकराया लेकिन साथ में खुद एक गुज़ारिश कर बैठे- ‘अर्जुन बच्चा है, एक सामान्य बच्चा. आप लोग उसे अकेला छोड़ दें ताकि वो स्वाभाविक तौर पर एक क्रिकेटर की तौर पर बड़ा हो सके.’ सचिन की बात तो मैंने मान ली लेकिन उन्हें हंसते हुए याद भी दिलाया कि उम्मीदों के दबाव को झेलना तो तेंदुलकर के खून में है और अर्जुन की उम्र में तो वो खुद उतने शानदार तरीके मीडिया का सामना कर लेते थे.

अर्जुन के साथ तुलना वाली ज़्यादती ना करेंये किस्सा जब मैंने टीम इंडिया के पूर्व कोच लालचंद राजपूत को सुनाया तो उन्होंने तपाक से कहा, ‘बुरा मत मानना, यही तुम लोगों की सबसे बड़ी ग़लती है. अरे, सचिन से अर्जुन की क्या किसी भी युवा खिलाड़ी की तुलना हो ही नहीं सकती है. तेंदुलकर को 10 साल की उम्र से हर ग्रेड की क्रिकेट में इतनी बड़ी पारियां खेलकर मुंबई में उभर रहा था. हर किसी को एहसास हो गया कि था वह बहुत स्पेशल खिलाड़ी है. आप अर्जुन के साथ तुलना वाली ज़्यादती ना करें. वैसे आपको बता दें जब सचिन ने रणजी में अपना पहला शतक बनाया तो कप्तान राजपूत ही थे. उन्होंने बेहद करीब से सचिन को ‘अनोखे बच्चे से भगवान’ बनते हुए भारतीय क्रिकेट में देखा है और निजी तौर पर जानते हैं कि एक पिता और बेटे दोनों के लिए ये तुलना कितनी परेशान करती है. वे कहते हैं, ‘मेरे बेटा अखिल जो खुद रणजी में खेल रहा है, उसे हर वक्त ऐसी तुलना गुजरना पड़ता है. अब मैं तो कोई तेंदुलकर हूं नहीं फिर भी लोग मेरे बेटे को ये बताते नहीं थकते कि मैं अपने दौर में कैसा खिलाड़ी था. अब आप सोचिए अर्जुन को कैसे-कैसे लोगों की बातों से गुज़रते हुए बड़ा होना पड़ा है.’

खेल के प्रति एक जैसा जूनून ही सिर्फ दोनों तेंदुलकर में समान
‘खेल के प्रति एक ही जैसा जुनून ही इकलौती बात है जो दोनों बाप और बेटे में समान है. इसके अलावा आप ना तो उनकी क्रिकेट और ना ही उनकी शख्सियत को किसी भी तरीके से तुलना करके देख सकते हैं,’ ये कहना था सचिन के बेहद करीबी दोस्त सुब्रतो बैनर्जी का जो भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट खेल चुके हैं और सचिन ने उन्हें अपने बेटे का पहला कोच नियुक्त किया था.

2017 में मुंबई अंडर 19 के बाद अगले साल India Under 19 और फिर 2021 में मुंबई के लए Syed Mustaq Ali Trophy में पदार्पण. इसके बाद तो आईपीएल का कांट्रैक्ट अर्जुन के लिए महज एक औपचारिकता ही थी. ‘मैं मानता हूं कि मुंबई इंडियंस बेहद मज़बूत टीम है और किसी भी युवा को यहां आसानी से मौके नहीं मिलेंगे लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि इस सीज़न अर्जुन को 2-3 मैच मिल जाएं.’ सुब्रतो बैनर्जी ने फोन पर बातचीत के दौरान हमसे ये उम्मीद जताई. वहीं राजपूत का मानना है कि अर्जुन के लिए अच्छी बात ये है कि वो किसी और फ्रेंचाइजी का हिस्सा ना होकर मुंबई के लिए खेल रहे हैं.

‘वो इस फ्रेंचाइजी के सेट अप से भली भांति वाकिफ है. उस टीम के साथ वो पिछले कई सालों से अभ्यास कर रहे हैं. उन्हें कम से कम इस बात से हैरानी या परेशानी नहीं होगी कि अरे मैं आईपीएल जैसे टूर्नामेंट में खेल रहा हूं.’  ज़िम्बाब्वे टीम के मौजूदा कोच राजपूत फोन पर ये बात हरारे से कहते हैं.

ये सच है कि जब आईपीएल ऑक्शन में अर्जुन का नाम आया तो मुंबई के अलावा किसी फ्रेंचाइजी ने उनमें दिलचस्पी नहीं दिखाई. ऑक्शन में आखिरी खिलाड़ी के तौर पर वो 20 लाख की बेस प्राइस पर चुने गए. लेकिन, कोच माहेला जयावर्धने और डायेरेक्टर ऑफ क्रिकेट ज़हीर ख़ान ने बाद में कहा कि अर्जुन का चयन पूरी तरह से क्रिकेट वाला फैसला है. वो अर्जुन को मुंबई का एक युवा खिलाड़ी मानते हैं और उन्हें वैसे ही देखा जाएगा जैसा कि दूसरे युवाओं के साथ इस टीम में होता आया है.

बैनर्जी औपचारिक बातचीत ख़त्म होने से पहले खुद से 2015 का एक किस्सा बयां करते हैं. इंग्लैंड में एक प्रदर्शनी मैच होना था जिसमें तेंदुलकर समेत ब्रायन लारा, शेन वार्न और वसीम अकरम सरीखे महान खिलाड़ी शिरकत कर रहे थे. जब अर्जुन ने ये बात जानी तो वो सचिन से इस मैच में हर हाल में खेलने की ज़िद करने लगे. तेंदुलकर ने कहा कि वो बहुत बड़े खिलाड़ी हैं और तुम्हारा खेलना सही नहीं. लेकिन, किसी तरह से अर्जुन ने पिता को ये कहकर मना लिया वो उन्हें मायूस नहीं करेंगे. और ऐसा ही हुआ. अर्जुन ने उस मैच में लारा का विकेट लेने के अलावा वार्न की गेंदों पर 2 छक्के भी लगाए और अर्धशतक भी पूरा किया. ये ठीक है कि वो एक प्रदर्शनी मैच भर ही था लेकिन जिस तरह से बड़े नामों के बीच अर्जुन इतने सहज तरीके से खेला उससे उनके माइंडसेट का भी पता चलता है.

आईपीएल में अर्जुन ना तो अपने पिता से ज़िद कर सकते हैं और ना ही ज़हीर खान या फिर कप्तान रोहित शर्मा किसी भी तरीके से इस युवा को यूं ही 2-4 मौके दे सकते हैं क्योंकि आईपीएल में कोई भी मैच प्रदर्शनी मैच नहीं होता और हर मैच में जीत हासिल करने के लिए टीमें एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा देती हैं. ऐसे में अर्जुन तेंदुलकर के लिए भले ही मुंबई इंडियंस में उन्हें घर जैसा माहौल मिले, जहीर अंकल, माहेला अंकल और रोहित भइया जैसे सीनियर हों लेकिन ये सारी बातें मैदान के बाहर तक ही सीमित रह जाएंगी. जिस दिन अर्जुन के हाथ में गेंद होगी या फिर वो बल्ला थामेंगे तो उनका निशाना अर्जुन की ही तरह अचूक होना चाहिए क्योंकि अगर रोहन गावस्कर और अभिषेक बच्चन को पिता बनने के बाद भी, अपने तरीके से कामयाब होने के बावजूद भी हर पल अपने महारथी पिता की तुलना से गुज़रना पड़ता है तो अर्जुन कैसे बचेंगे. उन्हें तो इस चक्रव्यूह से निकलने का रास्ता खुद से ढूंढना ही होगा. (डिस्क्लेमर: यह लेखक के निजी विचार हैं.)





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