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मुरैना9 मिनट पहले
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- शासकीय पचड़े में नहीं फंसना चाहते लोग।
- लोगों का मानना गांव में अधिक सुविधा से कर सकेंगे शादी
मुरैना। सोनेराम धाकड़, के बेटे की शादी 30 april की है। वह अपने बेटे की शादी धूमधाम से अपने घर केशव कॉलोनी, मुरैना से करने जा रहे थे। इस बात की सूचना उन्होंने अपने सभी रिश्तेदारों को भी दे दी थी। केवल कार्ड छपना शेष रह गए थे। लेकिन जैसे ही शासन ने शनिवार-रविवार के लॉकडाउन की घोषणा की तो वे डर गए। हालांकि उनकी शादी इन दोनों दिनों में से किसी भी दिन नहीं पड़ रही थी लेकिन उन्हें लोगों ने बताया कि अभी लॉकडाउन बढ़ सकता है। उन्होंने सोचा कि कहीं ऐसा न हो कि उनके बेटे की शादी पचड़े में फंस जाए, लिहाजा उन्होंने शादी को अपने पैत्रिक गांव विजयपुर से करने का तुरंत फैसला ले लिया और शादी के आमंत्रण पत्रिकाओं में भी छपवा दिया।
यह स्थिति अकेले सोनेराम धाकड़ की नहीं है बल्कि मुरैना शहर में शादी करने वाले लगभग हर व्यक्ति की है। जब से शहर में शनिवार-रविववार के लॉकडाउन की घोषणा हुई है, तभी से हर शादी करने वाला परिवार डरा हुआ है तथा अपने पैत्रिक गांव की तरफ शादी करने के लिए तैयारी कर रहा है।
इस माह के ये हैं शादी के शुभ महूर्त
इस माह शादी के कुल चार शुभ मुहूर्त हैं। इनमें सबसे पहले 25 तथा उसके बाद 26 ,27 एवं 30 april है। 30 तारीख आखिरी महूर्त है। इसके बाद मई माह में 2, 7,8 ,22, 23, 24, 26 एवं 30 मई आखिरी महूर्त है।
घोड़ी पर चढ़ने का सपना रह गया अधूरा
जिले में लॉकडाॅउन के कारण उन सैकड़ों युवाओं का घोड़ी पर चढ़कर अपनी दुल्हन को ब्याहकर लाने का सपना अधूरा रह गया है। इसके साथ ही हर मां-बाप का भी जीवन भर का सपना होता है कि वे अपने बेटे को घोड़ी पर चढ़ता देखें, लेकिन इस लॉकडाउन के कारण उनका यह सपना केवल सपना बनकर ही रह गया है।
खत्म होती जा रही शादी-विवाहों में जाने की इच्छा
लोगों की माने तो लॉकडाउन की शादी भी कोई शादी होती है। न बैंड-बाजा, न बारात, न डांस, केवल जाओ और खाना खाकर लौट आओ। लोगों का मानना है कि यह भी कोई शादी में शादी है। शादी के नाम पर केवल रस्मअदायगी रह जाती है। इसलिए लोगों की शादी-विवाहों में जाने की इच्छा भी कम हो गई है।
युवाओं में सबसे अधिक निराशा
शादी विवाहों में खासकर युवा वर्ग को अति उत्साह होता है। किसी के भाई की शादी होती है तो किसी के दोस्त की। उसमें भी बारात को लेकर सभी में अति उत्साह होता है क्योकि बारात में डांस होता है और सभी दिल खोलकर नाचते हैं। केवल युवा ही नहीं बारात में लड़कियां व महिलाएं भी नाचती हैं, बुजुर्ग भी नाचने से गुरेज नहीं करते हैं। लेकिन लॉकडाउन के कारण शादियों का सारा मजा किरकिरा हो गया है। अब शादियां तो जरूर हो रही हैं लेकिन केवल रस्मअदायगी हो रही है, पहले जैसा उत्साह पूरा खत्म हो गया है।