भोपाल के शमशान और कब्रिस्तान में शवों की आई बाढ़, अंतिम संस्कार करने तक के लिए नहीं बची जगह, देखें Video

भोपाल के शमशान और कब्रिस्तान में शवों की आई बाढ़, अंतिम संस्कार करने तक के लिए नहीं बची जगह, देखें Video


भोपाल में श्मशानों और कब्रिस्तानों में शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए जगह तक नहीं बची है.

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की राजधानी भोपाल (Bhopal) में इन दिनों 40 से 50 शव श्मशान और कब्रिस्तान में अंतिम संस्कार के लिए पहुंच रहे हैं. श्मशाम नें शवों को जलाने और कब्रिस्तान में शवों को दफनाने के लिए जगह नहीं मिल पा रही है.

भोपाल. प्रदेश की राजधानी भोपाल (Bhopal) में कोरोना (Corona) काल में मौतों (Death) का आंकड़ा एकाएक बढ़ गया है. शमशान घाट ओर कब्रिस्तान में आम दिनों के मुकाबले बहुत ज्यादा लाशें पहुंच रही हैं, जिसके चलते कब्रिस्तान में जगह की कमी तो शमशान घाटों में लकड़ियों की कमी होने लगी है. यहां तक कि शमशान घाटों में अंतिम संस्कार के लिए इंतजार करना पड़ रहा है. भोपाल के कब्रिस्तान और शमशान घाटों का यह हाल है.

कोरोना की दूसरी लहर इतनी खौफनाक होगी इसका अंदाजा शायद किसी को नहीं था. एक तरफ जहां अस्पतालों में मरीजों के लिए जगह नहीं है. वहीं शमशान घाट और कब्रिस्तानों में भी जगह की कमी होने लगी है.

वीडियो में दिख रहे भोपाल के कब्रिस्तान में जहां कोरोना से होने वाली मौत के बाद लाशों को दफनाया जाता है. यहां पर अब लाशों को दफनाने के लिए जगह नहीं बची है. मिट्टी खोदकर नई कब्र बनाने के लिए कलेक्टर को कब्रिस्तान वालों ने खत भी लिखा है. वहीं हर रोज दर्जन भर लाशें यहां पहुंच रही हैं.

Opinion : मध्य प्रदेश में मुर्दे उगल रहे हैं कोरोना से हो रही मौत के आंकड़ों का सचवहीं भोपाल के शमशान घाटों की हालत और भी ज्यादा खराब है. यहां रोज 40 से ज्यादा लाशों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है. हालात ये हैं कि अंतिम संस्कार के लिए लाइन लग रही है, तो लकड़ियां भी अंतिम संस्कार के लिए कम पड़ने लगी हैं.

कोरोना काल के पहले दिन में मुश्किल से 4 या 5 लाशें आती थीं. लेकिन, अब रोज 40 के आसपास लाशें अंतिम संस्कार के लिए शमशान घाटों पर पहुंच रही हैं, भोपाल में 2 शमशान घाट और एक कब्रिस्तान में लाशों को दफनाया जा रहा है. ऐसे में सवाल ये है कि इन बिगड़ते हालातों को कैसे संभाला जाएगा, क्योंकि जिस तरह से मौतों के आंकड़े बढ़ रहे हैं, उससे तो ये साफ है अब हालात बेकाबू हो चले हैं.









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