बीहड़ों में उगती है ‘संजीवनी’: गुग्गुल बदल सकता है चंबल की किस्मत, आयुर्वेद में MP का बढ़ सकता है दबदबा, राजस्थान-गुजरात से बीज अच्छा

बीहड़ों में उगती है ‘संजीवनी’: गुग्गुल बदल सकता है चंबल की किस्मत, आयुर्वेद में MP का बढ़ सकता है दबदबा, राजस्थान-गुजरात से बीज अच्छा


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भिंड/पवन दीक्षित38 मिनट पहले

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चंबल की बीहड़ का दृश्य।

  • राजस्थान, गुजरात सहित अन्य प्रांतों से ज्यादा चंबल में पैदा होने वाले गुग्गुल का बीज ज्यादा अच्छा

मध्य प्रदेश का चंबल संभाग हजारों साल से बंदूक, हत्या, डकैती की वजह से बदमान होता आ रहा है। चंबल की बीहड़ों में अपहरण करके फिरोती वसूलना एक धंधे की तर्ज पर होता आया। यह बदनामी के दाग को चंबल की बीहड़ों में पैदा होने वाला गुग्गुल के पौधे धो सकते हैं। अब जरूरत है सही प्रयास की। क्योंकि देशभर से सबसे अच्छा गुग्गुल, चंबल नदी के बीहड़ों में स्वत: पैदा होता है। इन पौधों का संरक्षण सही ढंग से न हो पाने की वजह से वे नष्ट हो जाते हैं। यद्पि शासन की ओर गुग्गुल को बढ़वा दिया जाए तो चंबल वासियों का भाग्य बदल सकता है। वहीं गुग्गुल की पैदावार बढ़ाकर देश-विदेश में मध्य प्रदेश अपना दबदबा बना सकता है।

गुग्गुल अतिविलुप्त प्रजाति का औषधि पौधा है। जो भारत में राजस्थान, गुजरात के अलावा मध्य प्रदेश के चंबल की बीहड़ों में बहुतायत मात्रा में पाया जाता है। सबसे खास बात यह है कि चंबल की बीहड़ों में पाया जाने वाला गुग्गुल का पौधा अन्य प्रांतों की अपेक्षा ज्यादा अच्छा कहा जाता है। इन पौधों की गणना हर साल वन विभाग द्वारा करने को लेकर चिट्‌ठी पाती लिखी अफसरों को लिखते हैं। ग्वालियर रीजन के मुख्य वन संरक्षक अधिकारी, सीजनेवल प्लान के तहत बीहड़ों में पाए जाने वाले गुग्गुल को लेकर जागे। मुख्य वन संरक्षक ऑफिस से डीएफओ की टीम चंबल की बीहड़ों में आई। ये अफसर, कोषण, बरही की बीहड़ में पहुंचे। बुधवार की दोपहर में इन अफसरों ने गुग्गुल के पौधों की स्थिति देखी। यहां पहुंचने के बाद वे देर रात को वापस ग्वालियर चले गए। निरीक्षण पर आने वाले अफसरों की बात मानें तो गुग्गुल को लेकर चंबल की बीहड़ों में बहुत संभावनाएं है। बस, जरूरत है सही प्रयास की।

प्रतीकात्मक फोटो।

प्रतीकात्मक फोटो।

शरीर के 60 रोगों को जड़ से खत्म कर देता गुग्गुल

गुग्गल एक औषधि पौधा है जिसका आयुर्वेद में विशेष महत्व है। गुग्गुल के पौधे से उपयोग आयुर्वेद हृदय रोग, डायबिटीज, रक्त चाप जैसे शरीर के 60 प्रकार की बीमारियों के उपचार की दवाएं बनाई जा सकती है। गुग्गुल की औषधि से शरीर के रोग जड़ सके खत्म हो जाते हैं। यह पौधा अतिविलुप्त प्रजाति का होने की वजह से बाजार में आसानी ने नहीं मिलता है। बीहड़ की बंजर जमीन में गुग्गुल को बढ़ावा देकर रोजगार के नए साधन उपलब्ध कराए जा सकते हैं।

इस तरह से फायदेमंद है गुग्गुल की औषधि

  • हड्डी रोग निवारक ।
  • शरीर के तांत्रिका तंत्र मजबूत करता।
  • मुंह के छाले व घाव को आसन से ठीक करता।
  • गुग्गुल से बालों का गंजापन होता दूर।
  • पेट की पुराने से पुरानी बीमार को करता ठीक।

घी की तरह देवताओं को गुग्गुल होता अति प्रिय

आयुर्वेदिक दवाओं के अलावा गुग्गुल का उपयोग पूजा और अनुष्ठानों में किया जाता है। गुग्गुल से धूपबत्ती, अगरबत्ती, हवन सामग्री बनती है। इसलिए इस का उपयोग पूजा-अर्चना में घरों में किया जाता है। ऐसा माना जाता है पूजा-अर्चना में घी की तरह देवताओं को गुग्गुल की आहुतियां प्रिय होती है। इसलिए हर छोटे-बड़े अनुष्ठान व तांत्रिक पूजा में गुग्गुल का उपयोग होता है।

इसलिए हो रहा गुग्गुल विलुप्त

गुग्गुल का संरक्षण को लेकर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। गुग्गुल की मांग अंतरराष्ट्रीय मार्केट में बनी हुई है। इसलिए वनस्पति माफियाओं की नजर गुग्गुल पर है। गुग्गुल की पत्ती, छाल और गोंद महंगे दामों के बेची जाती है। इसके अलावा गुग्गुल का बीज पक्षियों, गिलहरी, चूहों को पसंद है, इसलिए गुग्गुल में बीज आता ही कुछ समय के अंदर नष्ट हो जाता है। गुग्गुल के पौधों में साल में दो बार बीज आता है। यह बीज को संरक्षित करके पौधों की संख्या बढ़ाई जा सकती है। वन विभाग की ध्यान न होने से बीज नष्ट हो जाता है।

बीहड़ों में गुग्गुल के बीजों का संरक्षण को लेकर देखने आए

वन विभाग ग्वालियर में पदस्थ एसडीओएफ बीएस चौहान का कहना है कि मुरैना और भिंड जिले की चंबल की बीहड़ में गुग्गुल के पौधों को देखने आए थे। गुग्गुल का बीज मौसम में पकता है। देखने पर पाया है कि गुग्गुल के पौधों का बीज इस बार फिर नष्ट हो गया। यहां दो से तीन जगह देखने गया था।

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