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उमरिया19 मिनट पहले
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यही थी भीतरी वाली बाघिन।
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के ताला वन परिक्षेत्र में एक बाघिन की मौत हो गई। मृत बाघिन की उम्र लगभग 4 वर्ष बताई जा रही है। स्थानीय लोग इसे ‘भीतरी वाली बाघिन’ के नाम से भी पुकारते थे। टाइगर रिजर्व प्रबंधन के अनुसार बाघिन बीते चार दिन से अस्वस्थ थी और टाइगर रिजर्व के चिकित्सक डॉ. नितिन गुप्ता की देखरेख उसका इलाज चल रहा था।
वन्य प्राणी प्रेमियों का कहना है, टाइगर रिजर्व में लगातार बाघ और तेंदुए की मौत हो रही है। वन्य प्राणियों की सुरक्षा और विकास के मामले में अफसरों की कार्यशैली के साथ ही सुरक्षा में लगे कर्मचारियों की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघ लगातार मौत के मुंह में समा रहे हैं। यहां बीते 15 दिन में ही तीन बाघों की मौत हो चुकी है। टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने एक अप्रैल को एक बाघिन की मौत जानकारी दी, जिसकी मौत 30 मार्च को हुई थी। इसके बाद 12 अप्रैल की सुबह गोबराताल में एक 10 वर्षीय बाघ का शव मिला और 15 अप्रैल को बाघिन की मौत हो गई। इस बीच दो तेंदुए की भी मौत हो चुकी है।
तीन दिन से कुछ खा नहीं रही थी बाघिन
बाघिन तीन दिन से कुछ नहीं खा रही थी। टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर विसेंट रहीम का कहना है कि मौत के कारणों का पता लगाया जा रहा है। नमूने लिए हैं। रिपोर्ट आने के बाद स्थिति स्पष्ट होगी। वन्य प्राणी चिकित्सक ने बाघिन में सेफ्टी सीरिया बीमारी के लक्षण बताएं हैं। बता दें कि भीतरी वाली बाघिन की टेरिटरी पर्यटक रूट में थी। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में इन दिनों पर्यटन चल रहा है।