रात 1.30 बजे पोस्टमॉर्टम रूम से लाइव: कोविड शव ले जाने के 3000 वसूलने वाला लाला ड्राइवरों को दिनभर में 1 ही किट देता है

रात 1.30 बजे पोस्टमॉर्टम रूम से लाइव: कोविड शव ले जाने के 3000 वसूलने वाला लाला ड्राइवरों को दिनभर में 1 ही किट देता है


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इंदौर2 मिनट पहलेलेखक: राघवेंद्र बाबा

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भास्कर स्टिंग: तनख्वाह नहीं मिलती, 1 शव के मिलते हैं सिर्फ 100 रुपए

  • मर्च्यूरी से निकलते ही घंटों लावारिस पड़े रहते हैं शव

रात 1.30 बजे सन्नाटे के बीच मैं एमवाय पोस्टमॉर्टम रूम पहुंचा, जहां कोविड के शव रखने की व्यवस्था है। एम्बुलेंस में 2 शव थे। ड्राइवर सूरज और रेहान शव निकाल रहे थे। दोनों ने न तो किट पहनी थी और न मास्क लगाया था। पूछने पर बोले मालिक अफसर लाला खान लोगों को दिखाने के लिए सुबह एक किट देता है। एक किट को पहनकर दिनभर घूमते हैं। उसी किट के नाम पर वसूली होती है।

एक शव महिला का बहुत भारी था, जो दोनों से उठ नहीं रहा था। बड़ी मुश्किल से उठाकर स्ट्रेचर पर रखा और फिर अंदर पटक दिया। सब कुछ ऐसा जैसे बोरों को फेंका जाता है। बाहर आकर देखा तो दो एम्बुलेंस में चार घंटे तक शव लावारिसों की तरह पड़े थे। दोनों ने अपनी दोनों एम्बुलेंस से शव उतारे, तब तक उन्हें फोन आ गया।

वे दोनों तत्काल एम्बुलेंस लेकर एमटीएच दौड़े। वहां से फिर चार शव लेकर निकले। इस बार मैंने रास्ते में रवींद्र नाट्यगृह के पास रोक लिया। कई सवालों के जवाब दिए, तभी उनके मालिक का फोन आया। उसे पता चला कि कोई इंटरव्यू ले रहा तो बोला तत्काल भागो। मुसीबत में फंस जाओगे। इसके बाद वह तत्काल भाग गए।

भास्कर स्टिंग: तनख्वाह नहीं मिलती, 1 शव के मिलते हैं सिर्फ 100 रुपए

रिपोर्टर : आपने पीपीई किट नहीं पहनी और न मास्क लगाया?

ड्राइवर : साहब आदत हो गई। मजबूरी में करें क्या। सुबह एक किट मिलती है। उसे पहनकर दिनभर घूमते हैं।

रिपोर्टर : क्या नाम है आपका?
ड्राइवर : मेरा नाम सूरज है। मैं रेडियो कॉलोनी में रहता हूं।
रिपोर्टर : क्या काम करते हो?
ड्राइवर: पहले मजिस्ट्रेट की गाड़ी चलाता था, अब अफसर भाई की एंबुलेंस।
रिपोर्टर : अभी कौन से शव हैं आपकी गाड़ी में?
ड्राइवर:अभी मेरी गाड़ी में एमटीएच से लाई गई दो महिलाओं की बॉडी रखी है।
रिपोर्टर: एक ले जाना चाहिए, दो क्यों ले जा रहे। मानवता नहीं है क्या?
ड्राइवर: कौन देखने बैठा। अभी तो सिर्फ फेंकना है। मर ही इतने रहे हैं।
रिपोर्टर : कोरोना की कितनी लाश रोजाना ले जा रहे हो?
ड्राइवर: गिनती ही नहीं है, वैसे 15-20 से ज्यादा तो मैं ही ले जाता हूं।
रिपोर्टर: तनख्वाह क्या है तुम्हारी?
ड्राइवर: मेरी कोई तनख्वाह नहीं है। एक लाश के 50 रुपए मिलते हैं। कोरोना की लाश फेंकने के 100 रुपए।
रिपोर्टर: कितने लोग जाते हो?
ड्राइवर: हम दो लोग जाते हैं। हमें 200 रुपए मिलते हैं, लेकिन हमारे नाम पर मालिक 2000 रुपए वसूलता है।

सीएमएचओ के रजिस्टर पर लाला की गैंग का कब्जा

एमवाय और सुपर स्पेशिएलिटी में जब भी किसी की मौत हो तो शव अफसर लाला की गैंग की एम्बुलेंस ही ले जाती है। दोनों अस्पतालों से पहले सूचना एम्बुलेंस वाले को दी जाती है, क्योंकि एमवायएच के अधीक्षक ने इनकी पक्की बात करवा रखी है। रात में जितने भी शव फ्रीजर में रखते हैं, उसकी एंट्री सीएमएचओ के रजिस्टर में होती है। सुबह 5 बजते ही एम्बुलेंस वाले रजिस्टर अपने कब्जे में कर लेते हैं। फिर हर परिवार को फोन लगाते। एक आदमी निगमकर्मी बनकर बैठा रहता। उसे 200 रुपए अलग से देते हैं। कोई और एम्बुलेंस वाला कम पैसे में भी शव नहीं ले जा सकता है।

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